आजाद भारत के बाद की युवा पीढी.
आजाद भारत के बाद की युवा पीढी.
आजाद भारत के बाद की युवा पीढी।
दुनीया में कभी- कभी,
आती हैं आर्थिक मंदी।
आजाद भारत के बाद की युवा पीढी,
हमेशा सहती आ रही हैं आर्थिक मंदी।
आर्थिक मोर्चे पर,हर पल हारते रहे जंग,
जीवन के हरेक मुकाम पर हुआ मोह भंग।
दिल के अरमान दिल में ही तोड गये दम,
जिंदा लाश की तरह सहते रहे वे गम।
जिंदगी बन गई नई पीढी की नासुर,
कर्तव्य के ढोते – ढोते बोझ के अंबार।
बचपन ,जवानी और बुढापे का अंतर,
समझ में नहीं आया,कैसे हुआ छुमंतर।
गुजरी जिंदगी को देखा पाससे उस पार,
जीवन में क्या पाया आकर इस बार।
ना मां-बाप,ना समाज, ना परिवार के सपने हुये साकार,
पुरा जीवन भ्रष्ट नेताओं ने किया हैं बेकार।
जो जवानों ने आझादी के लिए,
अर्पन किया जीवन अपना सारा।
उन्हें यह तो नाझ था अपार,
देशवासी गुन-गान गायेगा हमारा।
शहादत से हुआ उनका जीवन रोशन और अमर,
लेकिन,आझादी के बाद की युवा भारतीय पीढी,
ना रही घर की, ना घाट की,उनके लिए थी,
वो काले पाणी कि सजा अंदबार-निकोबार की।
