आज तुझे बताना होगा।
आज तुझे बताना होगा।
हे प्रेम वाटिका के मधुलिका।
कैसे बनी तू इतनी कलिका।।
रंग तेरे फीके नहीं हैं।
फिर भी तेरे होंठ पर मधु हैं छलका।।
आज तुझे जताना होगा।
आज तुझे बताना होगा।।
निखार हैं तेरे रूप में।
जाती नहीं तू कहीं धूप में।।
चमक हैं तेरे हर अंग- अंग में।
आज खिली हो फूलों के सौ रंग में।।
क्या करती हो, तुझे समझाना होगा।
आज तुझे बताना होगा।।
देखकर बेहोश हैं नज़रे मेरी।
छिप गई पलकें मेरी, आंखो के तली।।
दूर से दिखती हैं तू कितनी हसीन।
अपना ले तू मुझे, न कर तौहीन।।
कैसे सौंदर्य बनी, फुसफुसाना होगा।
आज तुझे बताना होगा।।
तेरे रूप को किससे उपमा करूं।
किसी को देखकर कैसे अपना कहूं।।
खुशबुओं की चादर तो तूने ही ओढ़ रखा हैं।
कैसे जाऊं छोड़कर तुझे, मेरा दिल तुझपर अटका हैं।।
इतनी सुगंधित कैसे, तुझे गुनगुनाना होगा।
आज तुझे बताना होगा।।

