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Sakshi Goel

Abstract

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Sakshi Goel

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आज फिर तुने उसे ठुकरा दिया।

आज फिर तुने उसे ठुकरा दिया।

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क्या कमी है उसके प्यार में?

जो तु बार बार ठुकरा के चलि जाती है।

हाँ सालो तक उसने तेरा इन्तजार किया,

नाजाने कितने रिश्तो को ठुकरा दिया।

दिन रात सिर्फ़ तेरे ख्यालो में जिया,

और आज फिर तूने उसे ठुकरा दिया।

तेरे लिए दुनिया से लड़ता आया,

हर उठते सवाल पर जवाब देता आया।

हर दुआओं मे तुझे माँगता आया,

और आज फिर तूने उसे ठुकरा दिया।


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