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Anjana Singh (Anju)

Abstract

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Anjana Singh (Anju)

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आज के रिश्ते

आज के रिश्ते

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लोगों में जाने कैसा 

दिख रहा व्यवहार है

रिश्तों में भी खोखला

पनप रहा व्यापार है


कुछ कह जाते कुछ सुन जाते

कभी कहते कहते रह जाते

सही गलत के खेल में

ना जाने कितने रिश्ते ठह जाते


आज जहां भी देखो वहां

क्यूं रिश्तों की गलियां तंग है

अच्छा है या बुरा

किस बात की जंग है


जिंदगी की कसौटी से

ना जाने कितने रिश्ते गुजरते हैं

कुछ खरे सोने से निकलते हैं

कुछ पानी जैसे उतरते हैं


किसी की गैरमौजूदगी में ही नहीं

दिखता तन्हाई का एहसास

रिश्तों की मौजूदगी में

होती है अपनेपन की तलाश


आज रिश्तों में मुलाकातों के 

सिलसिलें हो गए हैं यूं कम

जिसकें लिए दिखतें नहीं

लोगों के दिलों में कोई गम


रिश्ते यूं मुरझा जाते हैं

जिसे सींचा था कभी कड़ी मेहनत से

नष्ट हो जाते हैं ये

नफ़रत की बौछार से


जाने किन शिकायतों का 

सब लोग शिकार हो रहें

मन में शक पैदा कर

रिश्तों के गुनाहगार हो रहें


आज रिश्ते हमारे

कुछ ऐसे बदल गए हैं 

अपने पराए हो गए हैं

गैर अपने से हो गए

ना जानें ये तालुकात 

किस तरह बदल गए


कितनी ही उम्र गुजार देते लोग

रिश्तों का मतलब समझाने में

अब शायद रह गए हैं लोग

सिर्फ मतलब के रिश्ते बनाने में


माना जिंदा रखने के लिए रिश्तों में

जरूरी भी है कुछ फासले

पर इतना‌ भी फासला ना हो कि

जीना हो जाए मुश्किल


रिश्ते बखूबी हैं निभाए जा सकते 

सारे गिलें शिकवे हैं मिटाए जा सकते 

रिश्तों में तो मन की बात जायज होती 

 ये तो थोड़े तवज्जों की मोहताज होती



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