आज जेहन में फिर उनका ख्याल आया
आज जेहन में फिर उनका ख्याल आया
आज जेहन में फिर उनका ख्याल आया ,
फिर उनसे गुफ्तगू करने को दिल चाहा ,
फिर उन्ही खोखली बातों में खोने को दिल हुआ,
फिर उसी शाम की तरह
घंटो अकेले बैठने का मन हुआ।
आज फिर हम उसी मोड़ पर आ गए
जिन्हें बदलने की कुब्बत ना थी हममें,
जिन सवालों के जवाब खोज के आगे बढ़े थे
फिर उन्ही सवाली के फेर में फंस के
एक और बार उम्मीद लिए उसी चौखट पहुंच गए।
अंजाम से वाकिफ तो थे पर दिल को
यकीन आज भी हमसे ज्यादा उनपे था।
आदतों से ना हम बदले थे ना वो बदले थे,
पर जेहन से मजबूर हम आज भी थे और कल भी थे।
एक अलग ही मंज़िल का सफर था हमारा,
किसी और ही राह में हम अंत खोजते रहे।
फिर लगी ठोकर, फिर उनसे रुसवाई हुई
आज फिर हमने अपनी राहें बदली।
फिर कुछ पल उन्हें कुछ पल अपने आपको कोसा
अश्क कब फिर से मेरी आंख में आया,
आज फिर से वही मेरा हमसफ़र बन गया,
फिर से मुस्कुराने की वजह खोजने चला।
दिल फिर से मजबूत हुआ और एक और
बार टूटने के लिए तैयार हो गया।