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Teju D

Others

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Teju D

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उम्र घटती गई, ख़्वाहिशें बढती गई

उम्र घटती गई, ख़्वाहिशें बढती गई

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उम्र में ख्वाहिशों को ढालते हुए

कुछ इस तरह चल पड़े,

उम्र घटती गई, ख़्वाहिशें बढती गई||

राह दरिया नजाकत संग ले के बढ़े

पर नजाकत घटती गई, राह बढती गई||

सूफ़ियाने सफ़र की साज़िशे रहीं,

यारियाँ आफताबे जुस्तजू भी चलीं

बढ़ चले आयतों में गुज़ारिशें समेटे,

आयतें घटती गई, गुज़ारिशें बढ़ती गई||

नैन सपनो में डूबे हुए से मगर,

दिल मे अपनों की यादें छिपाए रहे

झिलमिलाते शहर से गुजरते हुए ,

खो गए उस चमकती रोशनी में यूँ कि,

यार घटते गये, सपने बढ़ते गये||

चले तो थे खरीदने को लबो पे मुस्कुराहटें

चंद पैसों पे होके फ़िदा यूँ,

गुलामे हसरत हुए कि

पैसे बढ़ते रहे, मुस्कुराहटें जाती रहीं||

शिद्दतें तो बहुत थी शिफा कि मगर

मोक्ष के राह का मसीहा ना मिला |

लड़खड़ाए कदम जब सहारों के लिए ,

साथ चलने को तब संगदिल ना मिला |

वक़्त की चाल में फिसलते हुए ,

कुछ इस तरह रूबरू हम ज़माने से हुए

ज़माना बढ़ता गया, हम पिछड़ते गए ||

उम्र में ख्वाइशों को ढालते हुए

कुछ इस तरह चल पड़े ,

उम्र घटति गई, ख़्वाहिशें बढती गई ||


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