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Teju D

Abstract Romance

4.8  

Teju D

Abstract Romance

अलविदा

अलविदा

1 min
214


अब याद कोई मंजर तेरे संग का न रहा

सिवाय गमें वास्ता ये जिंदगी ना रहा 

थक गईं हैं ये पलके तुझे हर मोड़ खोजकर

अब इन आंखों में सिवा पत्थर के कोई पानी न रहा


तरसे हैं सौ मर्तबा एहसास को तेरे

मंजिल से तेरी ओर की राहें निकाल कर

हर राह की अंतिम कड़ी भी अब बंद हो चली

तिनकों में भी तेरे एहसास का मंजर नहीं रहा


लपटी हुई थी आयतें सुर्ख चादरों के इर्दगिर्द

हर सुराख से तेरे होने की उम्मीद जताकर

ओढ़ी होई चादर का किनारा भी फट गया

दरख्तो में भी छप्पर का अब सहारा ना रहा


सांसों की कुछ नब्जो ने पुकारा था तेरा नाम कभी

मुस्कुराती यादों के कई पन्ने टटोलकर

सांसों से अब नब्जो का याराना भी न रहा

जब याद तेरे संग का कोई मंजर न रहा।


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