आज एक और खूबसूरत दिन
आज एक और खूबसूरत दिन
आज एक और खूबसूरत दिन
जीवन को प्रकृति का अमूल्य उपहार
देने वाले की याद
दीदार के लिये प्रार्थनाएं।
उसी का ध्यान
उसी की पूजा
उसी की आरती
उसी के लिये यज्ञ।
निरन्तर चलता हुआ
और वो निरन्तर
अपने लिए होता हुआ
यह सब देखता हुआ।
न कोई संवाद
न कोई जरूरत
न कोई सूचना
हमारी उसके लिए
न उससे हमारे लिये।
परम्परागत सब
चल ही रह था
कि वो बोल उठा
मैं तो हूँ ही तुम्हारे साथ।
अपनी जिम्मेदारियां तो
निभाओ मनुष्य होने की।