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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

4  

Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

हे सूर्यदेव

हे सूर्यदेव

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सुनहरी आभा से युक्त हो

धारण, दिव्य शरीर जो करते है

हे तेज स्वरूप, तेजस्वियों के ईश्वर

प्रणाम, हम हाथ जोड़ तुम्हे करते है।।


जल सोखते तीव्र किरणों से 

ग्रहण, सोममय रस को करते है

मेघरूप में प्रकट होकर

जो वर्षा भूमि पर करते है।।


फल-फूल और अन्न उगाते

जब भास्कर रूप को धरते है 

हे आदिपुरुष, हे ज्योति स्वरूप

आपको नमस्कार हम करते है।।


पाला गिराते शीतल रूप में

प्रकट, सौम्यता वसन्त ऋतु में करते है 

गर्मी-सर्दी में संतुलन बना

तृप्त देव-पितरों को करते है।।


जीवनदाता हे जीवन रक्षक

आप ही वृक्ष-लताओं की रक्षा करते है 

अग्नि-सोम से व्याप्त हो प्रभु

आपके, वेदत्रयीस्वरूप को नमस्कार हम करते है।।


अस्थूल-अनंत, हे निर्मल स्वामी

संहार, आप दैत्य-दानव का करते है 

मार्तण्ड रूप में आप विराजे

संग्राम, शत्रुओं से भयंकर करते है।।


आपके शिवा गति न प्रभु

सृष्टि, पालन संग आप ही प्रलय करते है

शब्दों में तुम्हे बांध सके न 

आपको श्रद्धाभाव से नमन हम करते हैं।।


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