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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

आज भी कसकते हैं

आज भी कसकते हैं

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आज भी कसकते हैं, तेरे साथ बिताये

लम्हे ज़िन्दगी के।

जब ठंड से कड़कड़ाती,

उस रात में अचानक से तुम मिले।


इशारे ना इधर से हुए, ना ही उधर से,

फिर भी ये दिल मचल गया।

तुम्हे रोज़ पाने की लत ने,

इसको तुम्हारे लिए, कहीं संभाल के रख दिया।


तुमने सिखाया पहले बहुत कुछ,

और फिर धीरे -धीरे, अपना दिल ~ए ~इज़हार किया।

देखते ही देखते मेरे संग,

तुमने भी अपने, प्यार का जवाब दिया।


धड़कने फिर धड़कने लगीं,

तेरे नाम से, और तड़पने लगीं।

ज़िस्मों की आग, शोला बनकर, धधकने लगी।

कई बार उन शोलों को, ठंडी बर्फ का,

एक नाम दिया।


हाँ हमने भी, पाप से, प्यार को अंजाम दिया।

आज भी कसकते हैं,

तेरे साथ बिताये वो लम्हे ज़िन्दगी के।|


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