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Lokanath Rath

Romance

2  

Lokanath Rath

Romance

आहिस्ता आहिस्ता...

आहिस्ता आहिस्ता...

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क्यों ढूंढ रहे हो आप 

प्यार की वजह को,

किसे पूछ रहे हो अब

धीरे धीरे, आहिस्ता आहिस्ता?


चाह कर देखिए किसी को

यूँ ही बेवजह, बेइन्ताहा,

रूह को आएगा सुकून मानो

यकीनन, मगर आहिस्ता आहिस्ता।


देखो एक नजर चाँद को

शीतल चान्दीनी को बिखराता,

उसे भी प्यार हो जाता है

सबसे, पर आहिस्ता आहिस्ता।


कई बार देखे होंगे वो

भामरे फूल से खिलता,

कोई किसे वजह नहीं पूछते 

प्यार होजाता, आहिस्ता आहिस्ता।


जरा याद करो वो दिन

जब आँखे मिला करता,

आप भी नजर चुराए थे

यूँ ही आहिस्ता आहिस्ता।


वो मिलना और बातें करना

तब अच्छा लगता था,

वो लम्हे कितने हसीन थे

गुजर गया, आहिस्ता आहिस्ता।


प्यार हुआ और इकरार भी

बन गया एक रिश्ता,

अब ढूंढ़ना पूछना सब छोड़

मिलेगा सुकून, आहिस्ता आहिस्ता।



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