आगे बढ़ो
आगे बढ़ो
॥ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः॥
सुन लाडली आगे बढ़ो
कर्तव्य की सीढ़ी चढ़ो
तव दृष्टि में नित्य लक्ष्य हो
सन्मार्ग ही तव साक्ष्य हो॥१॥
बाधा सभी खुद जीत लो
श्रम की सदा तुम रीत लो
तारे गगन के तोड़ लो
दुर्भाग्य-घट को फोड़ लो॥२॥
ऊँचा उड़ो नित व्योम में
उत्साह हो हर रोम में
निज वेदना खुद ही हरो
पथ पर नहीं बेटी डरो॥३॥
