वर्षों से किया इंतजार सखी इस सोलहवें सावन का ।। वर्षों से किया इंतजार सखी इस सोलहवें सावन का ।।
एक जैसी है हम दोनों की पीर, जी को भेदती है बन के तीर एक जैसी है हम दोनों की पीर, जी को भेदती है बन के तीर