आगबबूला
आगबबूला
शाम को लौट आऊंगा
मैं सुबह का भूला
पलके बिछाना राहों में
संग झुलूंगा झूला।
तुमने प्रशंसा की मुक्त कंठ
मैं था तारीफ से फूला।
पर वक्त ने मुझे सिखाया है
बहुत मुझसे वसूला।
मैं मना लूंगा तुझे है यकीन
खुद पर पूरा
अगर गुस्सा हो तो होना चाहिए
आगबबूला।