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KUMAR अविनाश

Romance

4  

KUMAR अविनाश

Romance

आ जाओ मेरे हमदम...

आ जाओ मेरे हमदम...

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जिंदगी का वादा था, अब जिंदगी में तो आ जाना,

तुम बिन क्या तीज त्योहार,बस दिल को है बहलाना । 


नहीं लगता है मन कहीं भी, थम गये हैं मेरे रात दिन, 

रुक गया है जैसे जीना, बस है साँसो का ताना बाना । 


थरथराते हैं मेरे हाँथ हमदम, जब छूती हैं याद तेरी 

ऑखो से बहते रहते ऑसू मेरे जिंदगी अधूरी बिन तेरे


सहलाता रहता हूँ वो बीते पल यादो के हर इक झरोखे, 

हो जाऊगॉ सबसे ज्यादा खुश जब तुम आओगे मेरे लिए मेरे होके । 


कटती नही है मुझसे प्रियतमा, ये लंबी लंबी राते , 

होते जो पास तो सो जाते लेकर बाँहों का सिरहाना । 


देकर मुट्ठी भर चाँदनी, भर गये अमावस जीवन में, 

बैरागी सा फिरता हूँ, बस काम तुमको ही याद करना । 


बैठा हूँ राह देखता मैं ,आ जाओ तुम मेरे हमदम 

लहराते आना ऑचल अपना मेरे लिए सिर्फ तुम ही हो


परिवार सुख की रक्षा मे दिया है मैने सब सुख अपना, 

पर कसम तुम्हे भवानी माँ, प्यार मेरा हर हाल में बचाना।


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