Bhoop Singh Bharti
Tragedy
काटै पेड़ हजार यो, बोवै कोई एक
मानव दानव रै बणा, काम करै ना नेक।
काम करै ना नेक, जीव नै मारण लागा
सांस दई रै घोट, फेर बी कोनी जागा।
आ बैल मुझे मार, कहावत सभनै डांटै
कहै 'भारती' ईब, पेड़ नै मतना काटै।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
तपाया था बदन को दिन दिन भर पेट की आग बुझाने को तपाया था बदन को दिन दिन भर पेट की आग बुझाने को
आज ज़माने में आजाद वो शख्स है, जिसका खुद के मन पे नियंत्रित तेल है। आज ज़माने में आजाद वो शख्स है, जिसका खुद के मन पे नियंत्रित तेल है।
आपने तो हमें कूड़ा ही समझा ! कूड़े के ढेर की तरह आपने निकाला अपने महानगर से ! आपने तो हमें कूड़ा ही समझा ! कूड़े के ढेर की तरह आपने निकाला अपने महानगर ...
अहम जड़ित ज्ञान नहीं है कविता। मन बहलाने का साध्य नहीं है कविता। अहम जड़ित ज्ञान नहीं है कविता। मन बहलाने का साध्य नहीं है कविता।
हम उनसे कुछ कह नहीं पाए फिर भी वो समझ बैठे औऱ अपनी बाहों में भर कर हमें वो रोने लगे। हम उनसे कुछ कह नहीं पाए फिर भी वो समझ बैठे औऱ अपनी बाहों में भर कर हमें वो रो...
जीने को जी जाने के लिए एक बहाना भी ज़रूरी है ! जीने को जी जाने के लिए एक बहाना भी ज़रूरी है !
बोला क्यों रोते हो मैं भी हूँ तुम्हारे जैसा। बोला क्यों रोते हो मैं भी हूँ तुम्हारे जैसा।
रे भइया डंडा पड़ जायेगो कैसो गजब भयो रे भइया कैसो गजब भयो। रे भइया डंडा पड़ जायेगो कैसो गजब भयो रे भइया कैसो गजब भयो।
भूख वो अच्छी है जो सच्ची है सच की भूख में ही अमूल्य सुख है। भूख वो अच्छी है जो सच्ची है सच की भूख में ही अमूल्य सुख है।
तुम्हें मेरा हंसता हुआ चेहरा तो दिखा मगर सिसकती हुयी रूह नहीं। तुम्हें मेरा हंसता हुआ चेहरा तो दिखा मगर सिसकती हुयी रूह नहीं।
बिना सिसके कभी आना न ! खिड़की के पास ! बिना सिसके कभी आना न ! खिड़की के पास !
पर दिल को कहीं और लगाना होगा। अभी तो टाइम है, समय बिताना होगा। पर दिल को कहीं और लगाना होगा। अभी तो टाइम है, समय बिताना होगा।
माता का आंचल छोड़ अब स्त्री के वस्त्र उतरे माता का आंचल छोड़ अब स्त्री के वस्त्र उतरे
माँ ने गुड़िया को सुनायी एक गोरैये की कहानी है! माँ ने गुड़िया को सुनायी एक गोरैये की कहानी है!
कभी वो दिन भी थे जब हर बात हमारी तुम्हें बड़ी ही प्यारी लगती थी! कभी वो दिन भी थे जब हर बात हमारी तुम्हें बड़ी ही प्यारी लगती थी!
रास्ते वीरान हो गए सड़कें गुमनामी में खो गयी रास्ते वीरान हो गए सड़कें गुमनामी में खो गयी
अस्मत आज फिर तार-तार हुई, इंसान हैवान बन गया शायद! अस्मत आज फिर तार-तार हुई, इंसान हैवान बन गया शायद!
गर हुए नाकाम तो लैला मजनूं बन जाएंगे, अगर मिली कामयाबी तो फिर ना किसी को याद आएंगे। गर हुए नाकाम तो लैला मजनूं बन जाएंगे, अगर मिली कामयाबी तो फिर ना किसी को याद ...
धरती जन्नत से सुंदर हो रही है आज पहली वर्षा हो रही है। धरती जन्नत से सुंदर हो रही है आज पहली वर्षा हो रही है।
विश्वास की नीवं में, सीमेंट भरा था ना ? फिर किस बात की चिंता, किस बात की सोच ! विश्वास की नीवं में, सीमेंट भरा था ना ? फिर किस बात की चिंता, किस बात की सोच ...