बाल हठ
बाल हठ
चाचा की शादी में सभी बच्चे बहुत खुश थे।
खूब सारे पकवान बने थे तभी नन्ही लाडली भतीजी मचल गयी। जीरे के आलू तो बने ही नहीं है, मुझे तो बस वही खाना है, और देखते ही देखते उसका रोना शुरु हो गया।
तभी उसकी प्यारी छोटी बुआ उठी और बोली, “तुझे जीरे के आलू खाना है, रुक ! चुप हो जा वह भी बने हैं। तुझे अभी खिलाती हूँ, और वह झट से गयी और फट से प्लेट मे आलू ले कर आ गयी और नन्ही ने खुश हो कर खाना खा लिया।
सबने आश्चर्य के साथ पूछा कि, “इतनी जल्दी क्या और कैसे किया।“
उन्होंने हँसते हुये जवाब दिया कि, “कुछ खास नहीं बस सब्जी के आलू को धो कर थोड़ा पानी डाल कर नयी प्लेट में लाकर उसे बहला दिया।“
तभी सबने देखा नन्ही भरे पेट खुश हो कर चाचा की शादी में नाच रही थी।