अनसुलझी पहेली
अनसुलझी पहेली
भगवान ने एक ही बार मनुष्य का जन्म दिया है दोबारा देगा भी नहीं इसलिए खूब घूमो खाओ ऐश करो हम क्यों सब की टेंशन पाले, ज़िन्दगी जीने के लिए है, गुजारने के लिए नहीं है।
अगर गुजारनी ही होती तो मैं इतना संघर्ष करके अलग क्यों होती हमारी पहली मुलाकात एक शादी में हुई थी मैं अपनी फैमिली के साथ रिश्तेदार के यहाँ गई थी वहाँ कुछ लड़के उनके दोस्त हमारे डांस ग्रुप में खूब इंजॉय की फोटो खिंचवाए हम सब की अच्छी दोस्ती हो गई मुझे फोटो खिंचाने का बहुत शौक था हम सब ने खूब फोटो खिंचाए फोटो भेजने के लिए भी कहा हम सबने नंबर एक्सचेंज किए उसने मेरे फोटो के साथ मेरे डांस की भी तारीफ की और कभी-कभी मैसेज भी करता रहा मगर मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी।
हमारी दूसरी मुलाकात कुछ अजीब ही थी उसका रिश्ता लेकर कोई हमारे घर आया मम्मी पापा लड़का देख कर आए वह लड़की देखना चाहते थे मैंने कभी मम्मी पापा से पूछा ही नहीं केवल जगह का ही नाम जानती थी लड़के की फैमिली और लड़का हमारे घर आए , मैं उसे पहचान गई और वह भी बड़ी प्लानिंग करके घर पहुंच गया था कुछ औपचारिकताओं के बाद हम एक दूसरे से बात करने को कहा गया मैं कुछ पूछूं उसके पहले ही उसने कह दिया जब से तुम्हें देखा लगा बात करूं तुमने कभी मैसेज का कोई रिप्लाई नहीं किया क्यों ?अरे ध्यान ही नहीं दिया।फोटो तो मिल गई थी मैं फोटो देने नही मैं तो फोटो वाली को लेने आया हूं तुम घर पहुंच गए ….हां तो दिल में भी पहुंच जाऊंगा मेरा साथ दोगी तुम. दूसरी मुलाकात में ही मुझे उसके साथ अपनापन लगा लड़के की फैमिली छोटी और ज्यादा दूर नहीं थी हमारे कुछ रिश्तेदार भी उसी शहर में रहते थे तो घर वालों को बात बन गई मैं क्या कहती ,फैसले बड़ों को ही लेने थे कुछ दिनों बाद हमारी सगाई हो गई बातों मुलाकातों का सिलसिला भी बढ़ने लगा।में बार-बार कहती मुझे गाँव में नहीं रहना ,कहीं ना कहीं सोच का फर्क होता है। मगर वह इतनी मीठी मीठी बातें करके मेरा माइंड ही डायवड कर देता था हमेशा कहता मैं हूँ ना तुम्हें शहर से भी ज़्यादा सुख दूंगा ।कभी-कभी जरूरत से ज्यादा दिखावा भी एक संकेत होता है कुछ गलत हो रहा है मगर फिर भी उसकी बातों में आ जाती ।मुझे लगा लड़का अच्छा है तो गाँव क्या शहर क्या ,एहसास भी ना था कि मैं खुद को कुएं में धकेल रही हूं जब एहसास हुआ तब बहुत देर हो चुकी थी
इस बीच न्यू ईयर वैलेंटाइन डे व न जाने कितने फेस्टिवल हमने साथ में मनाएं वह मेरे लिए बहुत गिफ्ट लाता और मैं भी पागलों की तरह सारा दिन कुछ नया करने में लगी रहती प्यार सच में अंधा होता है ।जब हम किसी को चाहते हैं तो उसकी बुराइयां हमें नजर नहीं आती और जब नफरत करते हैं उसकी अच्छाईयां .मुझे अब याद आ रहा है कि न्यू ईयर पार्टी में उसने ड्रिंक किया था तब मुझे भी करने को कहा था मगर मैं काफी लेट घर से बाहर नहीं रुकना चाहती थी। इसलिए मना करके जल्दी घर चली गई। वैलेंटाइन डे के दिन भी वह मुझे अपने दोस्तों के साथ एक बीयर बार में जाते हुए देखा था उससे पूछने पर बात टाल दी
और कुछ महीनों बाद हमारी शादी बड़ी धूमधाम से हो गई। शुरुआत पहले ही दिन हैरान करने वाली थी उसने रात को बहुत पी रखी थी मैं सबसे ज्यादा पीने वालों से चिढ़ती हूं। मगर इतने महीनों की बातचीत यह कभी उसने बताया ही नहीं कि वह कि पीता भी है मुझसे झूठ कहता रहा दूसरे दिन एक और धोखा वह नौकरी जरूर करता था मगर कमाई अच्छी नहीं थी मगर फिर भी मैं जीवन की शुरुआत मैं प्यार से करना चाहती थी विश्वासघात तो हो चुका था उसे मैंने कुछ नहीं कहा एक नए रिश्ते को समझने व संभालने के लिए प्यार और विश्वास करने लगी अगर मेरा विश्वास टूटता रहा कभी-कभी नशा करके मुझे गालियां भी देते मारते भी.. मगर मुझे उम्मीद थी यह नशा एक दिन छूट जाएगा ।मैं घर के माहौल में खुद को डालने की कोशिश करने लगी मगर वह रोज पीता कभी बिना बात के हाथ उठाता कभी गाली गलौज करता नरक इसे ही कहते होंगे।
मैं हमेशा आगे बढ़ने के सपने देखने वाली मर्जी से खुलकर जीने वाली पढ़ी-लिखी सेल्फ डिपेंड लड़की परंपरा बंदिश ये शब्द ही मुझे पसंद नहीं कुछ महीनों तक यूं ही चलता रहा मुझे लगा जिम्मेदारी उसे सुधार देगी हमारी ज़िन्दगी में खुशखबरी आई बहुत उम्मीद थी सब कुछ बदल जाएगा मेरी सास व ससुर को भी बदलाव की उम्मीद थी मगर कभी मेरा साथ नहीं देते थे ।बहू को एक कामवाली बाई की नजर से ही देखते मेरी उम्मीदें सपने टूटने लगे मेरा भविष्य मुझे अधंकार मे नजर आ रहा था । मैं इंतजार कर रही थी बच्चे का, जो शायद खुशियां लाए
लेकिन वह दिन आया बदलाव की जगह बहुत तकलीफ के साथ लाया अब रात के साथ-साथ दिन को भी वह पीने लगा था कभी-कभी तो कहीं गिरा गिर जाता लो उठा कर लाते कभी सड़क के किनारे पड़ा रहता ।यह सब नहीं सह पाई ऐसे व्यक्ति को नहीं सुधार सकते मात्र 2 महीने के बच्चे को लेकर मायके आ गई मुझे पता था दुबारा नहीं जाऊंगी उस नरक में, माँ बाप ने पहले तो समझाया मगर जब आँखों देखा हाल लोग बताते हो उन्होंने कहा एक गलती हो चुकी दूसरी नही करेंगे। हम जीवन खराब नहीं करेंगे अपने बेटी और उसके बेटे का जिसका नाम वंश रखा था मैं 1 साल ही रही मगर मेरी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल गई वहां के लोग उनकी सोच सब हैरान करने वाली बातें थी मैंने फैसला कर लिया था वापस तो किसी हालत में नहीं जाऊंगी मेरे पास सास-ससुर बार-बार फोन करते समझाते मैं टस की मस नहीं हुई ।पछतावा होता था कि किस तरह विश्वास कर लिया मैंने किसी पर और वह पति घर पहुंच जाता कभी-कभी लगता है वह सुधार हो सकता है लेकिन उसने पीना ना छोड़ा ना कम किया। मैं अपना मुद्दा पंचायत मे नही चाहती थी क्योंकि पंचायत में सुलझाया जाता है रिश्तो को जोड़ा जाता है परिवार को मिलाया जाता है लेकिन मैं कभी नहीं चाहती थी दुबारा जुड़ना उससे जुड़ना इसलिए तलाक चाह रही थीं काफी लोग समझाते थे मुफ्त की सलाह देते मगर मैं नजरअंदाज करती और अपने आपको पूरे टाइम व्यस्त रखती अपने बच्चे और परिवार के साथ , मेरे साथ मेरी मम्मी पापा और दो भाई थे जो मेरे बच्चे को बहुत प्यार करते हैं
मैं एक बहुत अच्छी कुक हूँ कई कंपटीशन जीते संस्थाओं ने मुझे बुलाया मेरे बेकिंग आइटम मेरे केक की लोग बहुत तारीफ करते है । मुझे बहुत अच्छे ऑर्डर मिलने लगे मेरी कमाई अच्छी होने लगी और मेरा बहुत नाम हो गया तो मैंने कुकिंग बेकिंग क्लास खोल ली . मुझे फोटो खिंचाने का बहुत शौक था मैं आए दिन सोशल साइट्स में अपने नए नए फोटो डालती रहती हूँ और लोगों को लगता है मैं बहुत खुश हूँ सही ही लगता है मैं खुश हूँ लेकिन अकेलापन भी है जीवन में कई बार तलाक के कारण मुझे इतने चक्कर काटने पड़ते हैं वकील के पास ,कि लगता है तलाक दिल से हो चुका है तो कागज के तलाक का क्या करूंगी..
मैं जब भी वकील के पास जाती तो वह हमेशा जोड़ने की सलाह देता मगर मेरी तकलीफ को मैं ही जानती थी जितना समय मुझे जोड़ने में नहीं लगा उससे कहीं ज्यादा समय साल उस रिश्ते को तोड़ने में लगा।
मेरे अफेयर कि ,मेरी दूसरी शादी कि अफवाह उड़ी मगर अभी तक ऐसा तो कुछ नहीं हुआ वैसे सच कहूं विश्वास का संधि विच्छेद विश का घाट. मेरे जीवन एक अजीब मोड़ पर आ कर रुक सा गया था मगर अब नहीं, अब मैं खुश हूँ आजाद हूँ और अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जी रही हूँ बिना बंदिशो के.
आज सुबह से बहुत काम था छुट्टियों में मेरे स्टूडेंट बढ़ जाते हैं मेरा फोन साइलेंट में था बहुत देर बजता रहा ,मुझे पता नहीं था । एक न्यूज़ देखा अत्यधिक शराब पीकर रेल पटरी में गिर पड़े युवक की मौत मैं कुछ सोचूं कुछ देर बाद भाई ने आकर बताया मैं क्या करूं जाऊं नहीं जाऊं नहीं नहीं मैं कभी नहीं जाऊंगी
आज मैं नशा मुक्ति के लिए काम करती हूँ यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उस आत्मा को जिसने न जाने कितने लोगों का दिल दुखाए कितने घर उजाड़े यही मेरी सच्ची श्रद्धांजलि है ।
न जाने क्यों न जाने क्यों ज़िन्दगी का नशा मौज-मस्ती ,खाना, घूमना ,सेवा छोड़ कर। कड़़वे नशेे के पीछे पड़े है किसी का भला नही होता है हैरानी तब होती है ।जब समाज में इज्जत कहकर लोगों को पिलाया जाता है ।कॉकटेल के नाम पर नहीं पीने वालों को भी सिखाया जाता है । क्यों अंधा बन रहा समाज , क्यों दिखावा पैसा इतना हो गया है कि अच्छे बुरे की समझ नहीं रहती ,यहां तक की बड़ों को भी नहीं बाप-बेटे साथ पीते हैं और कहते हैं हम मॉडर्न हैं। क्या यह आधुनिकता है ?या पिछड़ेपन की सोच ,
मैंने कई ऐसे परिवार देखें जिसमें सबसे ज्यादा तकलीफ पीने के कारण हुई है चाहे वह बीमारी हो ,पैसों की कमी, शिक्षा का ना मिलना ,इन सब का मूल कारण नशा रहा है। फिर भी समाज कुछ नहीं कहता कुछ नहीं करता और मुझ पर हँसता है कि मैंने तलाक लिया मैं मॉडल हूँ तो मुझे कोई दुख नहीं मुझे नहीं रहना ऐसे समाज के साथ ऐसी गलत मानता के साथ .मैं हूं आधुनिक विचारों से संस्कारों से मगर अच्छे बुरे की समझ है मुझ में।
यदि ईश्वर ने जीवन दिया है कुछ अच्छा करने के लिए दिया है। ना,कि दूसरों का बुरा करने के लिए खुद भी जिए और दूसरों को भी जीने दो
" छोड़ो नशा, जीते जी दूसरों के लिए मौत की सजा है"।