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Shalini Dikshit

Inspirational

4  

Shalini Dikshit

Inspirational

चिंतन

चिंतन

3 mins
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घर के काम निपटा के प्रिया दोपहर में सोने की कोशिश कर रही है, पर नींद उस से कोसों दूर है।

आज सुबह से वह उदास है; वैसे तो कई बार ऐसा होता है लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही उदास है वो। वो सोच रही है अगर वह इतनी ही बुरी है या उसको अब जीवन से कोई आशा नही रही तो उसको अब अपनी जीवन लीला समाप्त कर देनी चाहिए, पर कैसे? तरीके तो कई है पर वो कोई ऐसा तरीका अपनाएगी जिस से उसके पति को कोई परेशानी न झेलनी पड़े मतलब कानूनी परेशानी, शायद रोड एक्सीडेंट ठीक रहे....

यह सब सोचते हुए वो अतीत में चली गई...

कितनी खुशनुमा जिंदगी थी उसकी; विवाह से पहले घर मे माता पिता की लाडली और स्कूल में शिक्षिकाओं की चहेती।

शादी लायक होने पर उसके घर वालो ने एक योग्य वर ढूंढ के उसका विवाह कर दिया, सब कुछ बहुत ही अच्छा लेकिन शादी के बाद प्रिया कहीं खो सी गई।

उसके पति आकाश का नेचर एकदम अलग, सबसे जुड़ा, उसे बस काम पर आना-जाना ही पसंद था। उसका कोई शौंक भी नहीं था, कभी-कभार प्रिया साथ कहीं बाहर घूमने भी जाता तो ऐसा लगता जैसे कोई गले पड़ा काम करना पड रहा है उसे।आकाश का व्यवहार बिलकुल मशीनी सा लगता था प्रिया को, टाइम पे उठना, टाइम पे काम पर जाना, टाइम से ऑफिस से आना और खाना खा कर सो जाना। वो कभी किसी बात का न तो बुरा मानता और न प्रिया से नाराज होता, न लड़ाई न कोई बहस, न वर्तमान पर चर्चा और न उनके भविष्य की कोई बात। 

प्रिया के लिए यह सब कुछ बहुत अस्वभाविक था; उसे लगा वह उसके साथ ही ऐसा था लेकिन पूछने पर पता चला वो तो अपने परिवार के साथ भी हमेशा से ऐसा ही रहा है। उनकी बेटी परी का जन्म भी उसके व्यवहार में कोई बदलाव न ला सका। 

अब प्रिया और आकाश अपनी बेटी परी के साथ घर से दूर दूसरे शहर में अकेले रहते थे, प्रिया जैसे अपनी ससुराल में सब के साथ अच्छा व्यवहार रखती थी वैसा ही व्यवहार वो अब अपने आस-पास में रहने वाले लोगो के साथ भी करती थी।

हर काम समय से करती हमेशा आकाश का पूरा ध्यान रखती; फिर भी उसको अहसास दिलाया जाता वो कुछ भी ठीक से नही करती है। अब वो एक मशीनी जीवन जी रही थी वह; कोई शौक नही, हसी-मजाक कुछ नही। 

कई बार उसको लगता क्या ये भी कोई जीवन है, क्या सभी लोग ऐसे ही है या सिर्फ वो और आकाश ही सबसे अलग है।

यही सब सोचते-सोचते उसका सिर दर्द से फटने लगा और वो बेहोशी जैसी नींद में चली गई। पता नहीं कितनी देर वो ऐसे ही बेसुध हुई सोते रही; फिर उसे लगा परी उसे जोर-जोर से हिला कर कह रही है, "मम्मी कितना सो रही हो आज? उठो न चाय पीनी है........."

तभी प्रिया उठ बैठी और उसकी आंखे परी को देखते ही बहने लगीं और हृदय करुणा से भर गया, वह यह सब क्या सोच रही थी, उसको तो अपनी परी के लिए जीना ही है, तो आज का अपनी जीवन लीला समाप्त करने का अपना प्रोग्राम उसने परी की शादी तक के लिए टाल दिया।


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