गोपाल बाबा
गोपाल बाबा
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया। खाली हाथ आये, खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो। बस, यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण है। परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो, विचार से हटा दो। फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।भगवत गीता की शिक्षाओं को जीवन में अक्षरश: समाहित करने वाली त्याग की मूर्ति श्री गोपाल बाबा ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भरत मिलाप आश्रम के संस्थापक श्री राम कृपालु दास जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद एक और जहां उनको अग्नि समाधि देने के बाद संपूर्ण निष्ठा के साथ अंतिम संस्कारों को पूरा किया वही दूसरी ओर उनकी विरासत अपने गुरु भाई को सौंप कर अपने गुरु श्री राम कृपालु दास जी महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि दी।
सरल सौम्य और आदर्श की प्रतिमूर्ति गोपाल बाबा के इस त्याग को कोटि-कोटि नमन। आश्चर्य होता है कि क्या अभी भी दुनिया में ऐसे संत हैं। जिनकी मन से सच्ची भक्ति की जा सकती है।बताते चले कि संत राम कृपाल महाराज ने कटक उड़ीसा में 27 सितंबर 1940 को जन्म लिया था। बाल्यकाल से वैराग्य धारण करने के बाद वह हिमालय में चले आए थे। जिसके बाद उन्होंने चीरवासा, गोमुख, उत्तरकाशी में तपस्या की। इस दौरान वर्ष 1978 में उत्तरकाशी में गंगा में आई बाढ़ के दौरान उनकी विष्णु कुटिया बह गई, जिसके बाद वह वहां से ऋषिकेश चले आए। उन्होंने मायाकुंड में श्री भरत मिलाप आश्रम की स्थापना की। तभी से गंगा किनारे प्रतिदिन भजन पूजा पाठ भक्ति में लीन रहे। दो माह पूर्व उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भी सहयोग राशि दी थी। 21 मार्च की सुबह जब वह आश्रम में ही स्नान करने जा रहे थे। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचार के लिए भर्ती किया गया था। जहां 27 मार्च 2021 शनिवार को तड़के तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।