Arunima Thakur

Abstract Children Stories Inspirational

4.9  

Arunima Thakur

Abstract Children Stories Inspirational

जहरीला जादू

जहरीला जादू

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नलिनी अपनी बेटी को जल्दी-जल्दी तैयार करते हुए बोली, "बेटा बहुत जरूरी काम है। वह आँटी है ना उनको देखने हस्पताल जाना है। मैं आपको मनिता आँटी के यहाँ छोड़ देती हूँ। आप उनको परेशान मत करना। मैं जल्दी आ जाऊंगी"। 

"ओके मम्मा", बेटी ने मासूमियत से जवाब दिया। वह खुश होते हुए बोली, "मम्मा मनिता आँटी के यहाँ तो बहुत मजा आता है। अवि और आर्य के साथ हम लोग बहुत खेलते हैं। रिंकू भैया के साथ भी हम लोग खूब खेलते हैं। रिंकू भैया तो कितने मस्त मस्त चुटकुले सुनाते हैं, कहानियां सुनाते हैं, मैथ्स (गणित) की ट्रिक भी बताते हैं। जिससे हमें मैथ्स करने में बहुत मजा आता है। मम्मा मैं आपको एक जादू दिखाऊँ ? रिंकू भैया ने सिखाया है। यह देखो मेरा अंगूठा कितना बड़ा हो गया। उसने अपने अंगूठे को दूसरे अंगूठे के साथ जोड़कर हथेली के पीछे से आगे बढ़ाते हुए दिखाते हुए कहा। देखो भैया जादू सिखाया। नलिनी अपनी बेटी पूर्वा को चूमते हुए बोली, "अरे वाह ! मेरी बेटी तो बहुत अच्छा जादू जानती है। अच्छा ठीक है, चलो अब निकलते हैं नहीं तो मुझे लेट हो जाएगा। और हाँ जो मैंने तुमको सिखाया वह हमेशा याद रखना",।

"हा मम्मा" पूर्वा अपनी मम्मा से बोली।

नलिनी अपनी बेटी का हाथ पकड़कर बाहर आ गयी। सामने ही मनिता का घर था। उसके घर की बेल बजाई। दरवाजा मनिता की जेठानी के बेटे जिन्हें पूर्वा रिंकू भैया कह रही है ने खोला। 

"बेटा जरा मनिता को बुला दो। मैं पूर्वा को थोड़ी देर के लिए छोड़ कर जाऊंगी। मुझे हस्पताल में मेरी सहेली को देखने जाना है"। 

वह नलिनी को देखकर बोला, "आँटी , पर ताईजी घर पर नही है। वह बच्चों का कुछ सामान लाने के लिए बाज़ार तक गयी है"।

महानगरों में जहाँ एकल परिवार है वहाँ एक दूसरे के घर बच्चों को छोड़कर जरूरी काम के लिए जाना आम बात है। जब नलिनी को कहीं जाना होता था तो वह अपने बच्चों को मनिता के घर पर, जब मनिता को कहीं जाना होता था तो वह अपने बच्चों को नलिनी के घर छोड़ देती थी। पर आज मनिता घर पर नहीं है। अब ? नलिनी परेशान होते हुए बोली, " ओह बच्चे भी नहीं है "? 

वह बोला, "नहीं"। तबसे वह बोला, आँटी आप परेशान मत होइए। आप पूर्वा को यहां छोड़ दीजिए। ताई जी काफी देर पहले गयी थी अब आती ही होंगी। आप चाहे तो फोन पर बात कर लीजिए"।

पूर्वा तो अपने रिंकू भैया को देखकर खुश हो गयी। उसे भैया के साथ खेलना, पढ़ना, सीखना अच्छा लगता था। भैया ने पूर्वा को प्यार से देखा और बोला, "आज हम कैरम खेलेंगे और मैं तुम्हें जादू भी दिखाऊंगा"।

 पूर्वा तो खुश हो गई। नलिनी दोनों को खुश देख कर खुश हो रहे थी। नलिनी ने नमिता से फोन पर बात की। मनिता ने बोला वह आधे घंटे में आ जाएगी। तो नलिनी निश्चिंतता से पूर्वा को रिंकू भैया के साथ छोड़कर हस्पताल के लिए चली गयी।

 रिंकू पूर्वा को लेकर अंदर कमरे में आ गया और पूछा, "पूर्वा टीवी चालू कर दूँ ? तुम देखोगी "? 

"नहीं भैया, चलो कैरम खेलते हैं"।

 "ठीक है, चलो कैरम खेलते हैं"।

थोड़ी देर कैरम खेलने के बाद पूर्वा बोली, "भैया, आप जादू सिखाने वाले थे"।

 रिंकू थोड़ा सोचता हुआ बोला, "सिखाने वाला नहीं, दिखाने वाला था। पर तुम सबको बता दोगी। नहीं ! मैं तुम्हें अपना जादू नहीं दिखाऊंगा"।

"भैया आप जादू दिखाओगे ? सिखाओगे नहीं" ?

 "तुम्हें अच्छा लगे तो तुम खुद सीख जाओगी। पर तुम किसी को बताना मत कि मैंने तुमको ही जादू दिखाया है"।

"क्या अवि और आर्य को भी नहीं ? क्या आप उनको यह वाला जादू नहीं दिखाओगे" ?

 "नहीं मैं हर एक को जादू नहीं दिखाता हूँ। तुम जिद कर रही हो इसलिए दिखा देता हूँ", रिंकू ने बोला। 

"नहीं भैया ! मैं तो गुड गर्ल हूँ। मैं जिद नहीं कर रही हूँ। आपको नहीं दिखाना है तो मत दिखाओ", पूर्वा मासूमियत से बोली।

"रिंकू ने अपने अंगूठे को अंगूठे के पीछे से जोड़ते हुए हथेली के पीछे से दिखाया, और बोला, "देखो मेरा अंगूठा बड़ा हो जाता है"।

"भैया यह जादू तो आप मुझे सिखा चुके हो"।

ओह ऐसा क्या ? ठीक है मैं दूसरा जादू दिखाता हूँ। उसने पुरवा के हाथों को छूते हुए बोला, " देखो क्या तुम अपने हाथों को बड़ा कर सकती हो"।

"नहीं भैया मैं चुड़ैल थोड़ी ना हूँ कि मैं अपने हाथों को लंबा कर लूंगी"।

 रिंकू ने पुरवा की नाक को छूते हुए कहा, "क्या तुम्हारी नाक लंबी हो सकती है" ? 

पूर्वा मुस्कुराते हुए रिंकू की नाक को छूते हुए बोली, "भैया आपकी नाक भी बड़ी नहीं होती है"।

 ऐसे ही बहुत देर तक रिंकू जादू दिखाने के बहाने पूर्वा के अंगों को छू रहा था। पूर्वा इसे खेल समझ रही थी। अचानक से रिंकू ने पूर्वा के पेट के नीचे छूते हुए बोला, "देखो मैं यहां छू रहा हूँ पर कुछ भी बड़ा नहीं हो रहा है। पर तुम अगर मुझे छुओगी तो बड़ा हो जाएगा"। इतना कहते हुए रिंकू ने अपने पैंट की जिप खोल दी। वह उसका हाथ पकड़ कर अपने शरीर की ओर बढ़ा ही रहा था कि पूर्वा को अचानक से अपनी मम्मी की कही बात याद आ गई। वह जोर से उसके हाथों को झटक कर बोली, "भैया मैं पानी पीकर आती हूँ"।

 इतना कहकर वह जल्दी से बच्चों के कमरे से बाहर निकली और बाहर वाले कमरे का दरवाजा खोल कर घर से बाहर भागते हुए चिल्ला कर बोली, "तुम गंदे भैया हो। तुम मुझे बैड टच कर रहे थे। मेरी मम्मी ने मुझे गुड टच, बैड टच के बारे में सिखाया है। यह जादू नहीं है। तुम गंदे हो। मैं सबको तुम्हारे बारे में बता दूंगी"। 

इतना कहकर वह दरवाजे से बाहर भाग गयी। रिंकू खड़ा होकर सोच रहा था कि उसे उसके मम्मी पापा ने गुड टच (अच्छा स्पर्श) बैड टच (बुरा स्पर्श) की शिक्षा क्यों नहीं दी थी ? क्यों उस दिन जब उसके साथ किसी ने ऐसा किया था तो वह ऐसे ही उसका हाथ झटक कर भाग क्यों नहीं पाया था ? क्यों वह अपने मम्मी पापा को उस दीदी/ भैया के बारे में बता नही पाया था।

 यह जहरीला जादू हवा में फैला हुआ है। हमें अपने बच्चों को, लड़का हो या लड़की गुड टच, बैड टच की शिक्षा देनी ही चाहिए।


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