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शुरू करे फिर जिंदगी-आखिरी भाग

शुरू करे फिर जिंदगी-आखिरी भाग

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आपने पढ़ा ....कैसे आजाद ख्याल की रति घर ससुराल को छोड देती है और आजादी भरी जिन्दगी जीने लगती है। अब पाँच साल बाद सब सहेलियाँ अपने परिवार को ज्यादा महत्व देती है तब उसे अपनों के साथ बिताये पल याद आते हैं और कम्पनी उसे उसी शहर भेजती है 15 दिन के लिये जहाँ वो एक दिन अपने परिवार को देखती है, जहाँ उसकी यादें ताजा हो जाती है और वो अपने परिवार के बारे मे जानने के लिये नीरा अपनी सहेली को फोन करने के लिये सोचती है।

हैलो नीरा... मैं रति बोल रही हूं। कौन रति ? मैं किसी रति को नहीं जानती, सॉरी रॉन्ग नंबर फोन कट जाता है ,रति आश्चर्यचकित हो जाती है। दोबारा डायल करती है।

हैलो नीरा ....मैं... मैं रति तुम्हारी सहेली.. नाराज मत हो नीरा... मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी, ना तुम हमारे लिए कुछ हो ना हम तुम्हारे लिए, यहां तक की तुम्हारे परिवार वाले भी तुम्हें भूल चुके। नीरा ने गुस्से में कहा। नीरा ऐसा मत कहो आज मुझे बहुत अकेलापन महसूस हो रहा है। मैं तुमसे मिलना चाहती हूं।

नहीं रति मुझे तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखना। मिल लो बस एक बार फिर कभी नहीं कहूँगी रति की आवाज में दर्द उभर आया। ठीक है कल मिलते हैं जहाँ हम अकसर मिलते थे।

अगले दिन रति सुबह काफी शाप पहुँच गयी। नीरा को देखते ही गले लगना चाहा। रहने दो रति इसकी जरूरत नहीं।

नीरा का स्वर रूखा था। घर मे सब कैसे हैं ? क्यूंँ आज इतना ख्याल कैसै ? आज बहुत प्यार आ रहा है घर पर। नहीं नीरा एक भी दिन नहीं जाता जब तुम सब की याद ना आई हो। रहने दे रति ये सब.... मुझे क्यूँ बुलाया ? कुछ नहीं नीरा कल सबको देखा तो पापा कमजोर लगे। ये कहकर रति रोने लगी। आज तेरे चेहरे पर पछतावा दिख रहा है काश ये तुने.. जब गयी थी तब दिखाया होता।

नीरा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया। दीदी कैसी है ? और मिहुल के मम्मी ,पापा ? उनकी लड़की या बहू छोड़कर चली जाये क्या सही होगें।

कहते नहीं पर दिखता है दुख ..रति रोती जा रही थी। कल मैं जा रही हुँ, मुझे घर वालों की खबर देती रहना नीरा, मैं तेरा अहसान नही भुलुँगी। माफी मागँना चाहती हुँ पर अभी हिम्मत नहीं...कोशिश करूँगी कि जल्दी आकर माफी मागूँ।

जानती हुँ कोई माफ नही करेगा मैंने बहुत दुख दिया है।

नीरा अगले दिन पहले ऑफिस आ गयी पर रह रह कर सबके चेहरे मन से नहीं निकाल पा रही थी। दिन प्रति दिन रति को घर वालों का चेहरा याद आ रहा था। उदास रहने लगी। एक दिन नीरा का फोन आया।

हैलो नीरा बोल रही हूँ, नीरा तुने मुझे फोन किया बहुत अच्छा लग रहा है, तू कैसी है ? मैं ठीक हूँ। सोचा तेरे घर की बात है तो तुझे बता देती हूँ।

हाँ बोल ना सब ठीक है घर ..। कल मैं तेरे घर गयी वहाँ बातों में पता चला तेरी सास बीमार है, मिहुल की मम्मी बहुत गंभीर है हॉस्पिटल में है।

क्या हुआ मम्मी जी को ? रति ने पूछा।

उन्हें किडनी की जरूरत है, नीरा ने कहा। सब घरवाले किडनी देने को तैयार है पर कुछ ना कुछ परेशानी है किसी की नहीं ले सकते। डोनर नही मिल रहा बाहर से भी। मैं भी देने की कोशिश करना चाहती पर कोई मानेगा नहीं, रति ने कहा।

नीरा मुझे तू उस डाक्टर से मिलवा दे। शायद ये पश्चताप का एक रास्ता हो मेरा कुछ मन हल्का हो जायेगा अगर मैं उस घर के काम आई, मैंने बहुत दुख दिये हैं उस घर को पर ये किसी को बताना नहीं। रति ने नीरा से कहा .कल मै आती हुँ वहाँ। कल की फ्लाइट लेती हूँ।

नीरा डाक्टर से मिली। रति के कुछ टेस्ट कराये और डाक्टर ने हाँँ कर दी। किडनी दे सकती थी रति। रति ने डॉक्टर से गुप्त रखने को कहा अपना नाम। एक हफ्ते बाद आपरेशन हो गया। आपरेशन सफल रहा। रति दो तीन दिन बाद अपने शहर आ गयी। मिहुल के घर वाले डोनर को धन्यवाद देना चाहते थे पर डाक्टर ने बहाना बना दिया कि वह चले गये।

इधर रति खुश तो थी कि मिहुल की मम्मी सही हो रही थी पर रति को अपने घर को छोड़ने का पछतावा हो रहा था। किसी से भी बोलना भी नहीं चाहती थी। अकेली रहने लगी। बस आफिस से घर आती और लेटी रहती। भूख नहीं लगती थी, कभी तो बिना खाये सो जाती। तनाव ने अपनी जगह बना ली थी।

बिन्दास रहने वाली रति चुप रहने लगी...कई बार आफिस मे बिना खाये थी बेहोश हो गयी। ऐसा अकसर होने लगा। आफिस नही जाना चाहती थी ..पर कोई अपना नहीं था जो कहता अब आराम कर और घर के गुजारे के लिये रूपये जरूरी थी।

एक दिन नीरा के पास किसी का फोन आया ...ये नम्बर रति का है उनकी हालत ठीक नहीं, वो हास्पिटल में है...नीरा रति के पास चली गयी ,एक दिन नीरा ने रति के मम्मी पापा को फोन करके बताया कि वो एडमिट है।

पहले तो रति के बारे मे खूब बुराई की और कहा उनका कोई वास्ता नहीं रति से पर अंदर ही मन मे बहुत दुखी थे। बेटी थी उनकी।

नीरा ने बताया कि वो भी ज्यादा दिन उसके साथ नहीं रह सकती और कोई नहीं है उसका ध्यान रखने को ....अकंल प्लीज इन्सानियत के लिये आ जाइये।

रति बदल चुकी है। वो वैसी नहीं रही। मजबूरी में जाना पड़ा, रति के पास। रति बेहोश थी। मम्मी-पापा दोनों के आसुँ रूक नहीं रहे थे। उनकी बेटी उन से दूर हो गयी थी पर थी तो उनकी बेटी । डाक्टर ने बताया डिप्रेशन भी है और अभी कोई आपरेशन भी हुआ है।

नीरा ने डाक्टर को बता दिया था किडनी के बारेे मे। उसकी देखरेख भी नहीं हुई थी वो भी एक कारण था और भी कुछ डिप्रेशन का कारण हो सकता है। रति को होश आया सामने मम्मी ,पापा रूबी दीदी को देखकर खुब रो रही थी। मुझे माफ कर दो पापा। मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है। सब रो रहे थे।

चुप हो जा ज्यादा मत सोच रति ,घर चल रहे है वहाँ बात करेंगे। माँँ ने रति के आँसू पोंछते हुए कहा। डाक्टर कह रहे थे तेरा कोई आपरेशन हुआ है ,किस बात का क्या हुआ तुझे। कुछ नही छोटा सा एक्सिडेंट था। बात काट दी रति ने, मम्मी एक कप चाय मिलेगी।

और रात को सब घर आ गये। रूबी को समझ नहीं आ रहा था कि ससुराल और कबीर को ये सब बताये या नहीं। जब रति का पता चला पापा ने फोन पर बताया था तो मम्मी के घर रहने के बहाने से आ गयी। जब रूबी को कबीर लेने आया अचानक रति को देखकर चौंक गया।

रति तुम..! हाँ जीजू मुझे माफ कर दो। नहीं रति तुम्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता।

रूबी तुम्हें रहना है तुम रहो, कहकर वापस चला गया और घर पर सबको बताया। रति वापस आ गयी। सबको बहुत गुस्सा भरा था। अब यहाँ क्यूँ आई है ?..तब कबीर ने सब बताया। अभी वहाँँ जाने से कोई फायदा नहीं वो बीमार है पर कुछ दिन बाद पूछूँगा जरूर कि मेरी जिन्दगी बरबाद क्यूँ कर दी।

अब किसी दूसरे का हाथ पकड़ने की हिम्मत ही नहीं, ना विश्वास कि कोई कैसा मिलेगा ? मिहुल को गुस्सा भरा था। उधर रति के घर वहाँँ साथ रहते हुए सबको गु्स्सा कम हो गया था। सब उसका ध्यान रखने लगे थे। रति भी सही हो रही थी पर उसे डर था कि पूरी तरह सही होने पर वो घर से दूर हो जायेगी।

रूबी दलिया बना के देने आई, दीदी रति ने हाथ पकड़ लिया और गले लग गयी। रति मैं बहन हूँ बस इसलिए रूकी हूँ। नहीं तो तुमने मिहुल कि जिन्दगी खराब कर दी पर मिहुल तो अब खुश है एक प्यारा बच्चा है उसके देखा था मैंने। रति ने कहा। रूबी ने कहा ये तुमसे किसने कहा ? उसने शादी ना करने का फैसला किया है। रति चौंक गयी और वो बच्चा ?

रुबी ने आवाज दी ....

ये रहा, साहिल इधर आना .....नायरा .रति आश्चर्य से देखती गयी। हाँ तेरी पसंद का ही रखा है नाम। दोनों बच्चों को रति ने गले लगा लिया ..मैं तुम्हारी रति मासी....और रोने लगी। मम्मी -पापा भी आ गये।

मैंने अपनी खुशी के लिये बहुत खो दिया। मुझे माफ कर दो, अलग रह कर पता चला कि अपनों के साथ आपकी जिन्दगी पूरी होती है। आज सब अपनों के लिये करने का मन करता है। दूसरे तो कब आपका साथ छोड़ देंगे, आपको पता ही नहीं चलेगा पर अपने दुख मे काम आते हैं और जिन्दगी खुशहाल अपनों के साथ ही होती है। जब रति बोल रही थी तभी मिहुल का परिवार आ गया था और सब सुन लिया था।

तभी सब गुस्से से भरे थे और मिहुल ने बोलना शुरू किया और मेरा क्या कसूर या मेरे घरवालों का ? जो बेइज्जती हुई वो ? रति सबको देख कर घबरा गयी आँखे झुक गयी। मुझे माफ कर दो मिहुल मैं ये नहीं कह रही कि जीवन मे वापस ले लो बस माफ कर दो। तुम्हें कोई कभी माफ नहीं करेगा ।मिहुल की मम्मी ने कहा। मेरे परिवार को बहुत दुख दिया तुमने। सब बोले जा रहे थे..गुस्से में।

तभी नीरा आ गयी। आंटी ये वो रति नही बदल गयी है इसे माफ कर दो आप सब। नहीं नीरा ये माफी लायक नहीं। नहीं आंटी ये वो रति नहीं है जिससे मिहुल ने शादी की थी, जिसे दूसरो से कोई अपनापन नहीं था। काम मे आलसी। बड़ों के मान, अपमान का फर्क नहीं पता था। आंटी अब आपकी तबियत कैसी है ?

ठीक हूँ अब मिहुल की मम्मी ने कहा। आप उस का शुक्रिया अदा नहीं करेंगी जिसने आपको जिंदगी दी। नीरा बोली।

इतने में नहीं नहीं.... नीरा कुछ नहीं बोलना रति ने कस कर नीरा का हाथ पकड़ लिया। नहीं रति तुम बदल चुकी हो...तुम्हें अपनी गलती का पछतावा है, तुम्हें एक मौका माफी का जरूर मिलना चाहिये।

मिहुल आज आंटी सही है तो केवल रति की वजह से ..नीरा ने सब रति के बारे मे बता दिया। सब को बहुत बड़ा झटका लगा। उन्हें आज पता चला। मिहुल जोर से बोला क्या रति तुमने...? तुम थी वो डोनर ? हम कब से उसे थैंकस नहीं कह पा रहे थे।

सबको विश्वास नहीं हो रहा था। रूबी ने कहा मिहुल मैं जबरदस्ती नहीं करूँगी पर ये वो रति नहीं रही बदल गयी है पर आग्रह है इसे माफ कर दो। रति की मम्मी ने कहा मुझे भी रति का व्यवहार बदला लगा समझदार हो गयी ठोकर खाकर। इसे एक मौका आप देना चाहे तो ....रति की मम्मी ने हाथ जोड़ लिये।

मिहुल की मम्मी के आगे। मिहुल की मम्मी ने कहा जिन्दगी मिहुल की है उसे जो भी फैसला लेना है हम उसके साथ है। मिहुल की मम्मी रति के हाथ पकड़ कर बोली धन्यवाद रति मेरी जान बचाने के लिये। नहीं नहीं मम्मी जी ..ओह मेरा मतलब है आंटी जी हाथ नहीं जोड़िये ,कोई भी होता तो ऐसा ही करता।

मुझे बस माफ कर दीजिये, मैंने सबके साथ बहुत बुरा करा है। मिहुल रति के पास आया, थैंकस रति ....मम्मी की जान बचाने के लिये और अपना नाम भी नहीं बताया किडनी देकर भी। रति ने आँखे झुका ली इतना बड़ा त्याग मेरी मम्मी को किडनी देकर भी बताया नहीं किसी को।

लगता है सच तुम वो रति नहीं। वो रति किसी का नहीं सोचती थी।

और मिहुल ने अपना हाथ रति की तरफ बढ़ा दिया ....नयी रति के साथ फिर दोबारा जिन्दगी की शुरूआत करना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी नयी जिन्दगी का हमसफर बनोगी ?

रति ने मम्मी को देखा, सब मुस्कुरा रहे थे। हाँ कहकर नजरें नीचे और मुस्कुरा दी...सबकी आँँखों में खुशी के आँसू थे।

हम मे से ना जाने कितने लोग है जो मेहमान के आने पर या अपने परिवार मे सास,ससुर का काम करने पर मुँह बना लेते हैं। सब अपनों की आपको जब तक अहमियत नहीं पता चलती जब तक वो आपके साथ है ...जब वो नहीं होंगें तब आपको कमी महसूस होगी। तब तक बहुत देर हो जायेगी ..इसलिये अपने लिये भी हम खाना बनाते हे ,चाय बनाते है तो बड़ों के लिए क्यों नहीं बना सकते।


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