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उस मोड़ से शुरू करे (भाग दो)

उस मोड़ से शुरू करे (भाग दो)

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अब तक आपने पढ़ा कि रूबी और रति दो बहने व्यवहार मे बिल्कुल अलग...और दोनो की शादी दो भाइयों से होती है ,जो एक संयुक्त परिवार मे रहते है। रति बिल्कुल आज़ाद रहना चाहती है किसी के साथ समझौता पसंद नही। घर का काम भी उसे नही करना।

ना परिवार के लिये अपनी आदतों को बदलना चाहती है। रूबी घर को महत्व देती है और सबकी मायके, ससुराल मे लाडली भी। मिहुल उसका पति भी बहुत समझाता है पर उसे किसी से कुछ नहीं समझना। बेमन से घर के काम करती ।बाजार जाती खूब खर्च करती , जब चाहे खाना बाहर से पैक करा लेती, चाहे घर मे सब घर का खा रहे हो ।

मिहुल ने कहा क्या रति पिज्जा क्यूँ मँगाया ..क्यूँ मिहुल मुझे नही खाना था खाना। कल बाहर खा लेते रति आज घर मे कोफ्ते बनवाये है। सबका मन रखना चाहिये। मिहुल गुस्से मे बोला। और कमरे से बाहर आ गया। ऐसी छोटी छोटी बातें बड़ी होने लगी।

कल घर मे पूजा है सब छुट्टी ले लेना, सुबह जल्दी उठना पंडित जी जल्दी आयेगे ,रति की सासु जी ने सबसे कह दिया था। अगले दिन सब सुबह ही उठ गये, बस रति को कुछ नही करना था। कोई आज के दिन उसे कुछ कहना भी नही चाहता था ,बेकार बहस मे क्यूँ समय खराब करना। रति उठी सब काम मे व्यस्त थे। शांता नाश्ता.. रति ने आवाज़ लगायी ।

कोई जवाब नही.मिलने पर रसोई ही आ गयी। नाश्ता कहाँ है दीदी ,रूबी की तरफ देख कर कहा। रति तुम बच्ची हो क्या ? पता नही आज पूजा है, प्रसाद और पंडित जी का खाना भी बन रहा है इस से पहले नही दे सकते। तुम्हारी चाय और ब्रेड भेज दिये थे तुम्हारे कमरे मे बाकी सब पूजा के बाद खायेगें। रति बिना कहे कमरे मे चली गयी।

बस घर के ही लोग थे पूजा मे किसी बाहर वालो को नही बुलाया था। बस रति के मम्मी ,पापा को ही। वो भी आ गये पूजा शुरू हो गयी। सविता जी रति को बोल आयी थी नीचे पूजा मे आने के लिये, तब वो नहाने गयी। आधी पूजा होने पर आई। सबको बुरा लगा बाद मे आना। पर कोई नही बोला। पंडित जी चले गये। सविता जी को पता चला रूबी और उसकी सास सुबह से रसोई मे है। सविता समझ गयी की रति ने सुबह से कोई काम नही किया। सब साथ खाना खाने बैठे, तो सास भी रूबी की तारिफ करती रही।

खाने के बाद रति ने सबसे कह दिया वो और मिहुल अलग घर मे रहेंगे। मिहुल चौक गया ..ये क्या कह रही हो रति? मैने कभी ऐसा तुमसे नही कहा। मिहुल गुस्से मे बोला। तुम तो कुछ क्यूँ कहोगे मिहुल , तुम्हें कोई परेशानी नही है। सविता और अनुज ने रति को इशारा किया चुप होने का ,पर रति को तो जैसे आज फैसला सुनाना था।

रति तेरी दीदी भी इस घर मे है उसे तो कोई परेशानी नही ,फिर तुझे क्यो?? सविता जी ने गुस्से मे कहा। दीदी को क्यूँ होगी परेशानी ? उनकी तो तारीफ होती ही है। मुझे कभी ये क्यूँ पहना ,ये क्यूँ नही ,पता नही क्या क्या बोले जा रही थी रति जो मन मे आया। चुप हो जा रति बड़ों का लिहाज कर। दादा ,दादी अंदर है क्या सोचेगे ?

सविता ने ज़ोर से कहा.. मुझे नही रहना इतने बेकार घर इतना कहते ही सविता ने ज़ोर से एक चाँटा रति के गाल पर मारा। सबको चुप्पी छा गयी। चुप हो जा कितना अच्छा परिवार मिला और नरक बना दिया तुने ,अच्छा होता तेरी शादी इस घर मे ना करते। आज़ादी थोड़ी ही अच्छी होती है। ज्यादा से जिंदगी बरबाद हो जाती है। रति कहती हुई चली गयी मैं जा रही हूँ..। घर छोड़कर मिहुल तुम चल रहे हो साथ ?? रति ने मिहुल को देखा।मिहुल ने ज़ोर से कहा क्या बचपना है?

रति होश मे आओ? परिवार के साथ ही सब अच्छा है अकेले बस कुछ दिन ही काटे जा सकते है सारी जिंदगी नही। तुम्हें तो कोई रोकता भी नही... तुम अपने मन की ही तो करती हो। सब मनाने लगे सासु माँ ,कबीर और रूबी कह रहे थे ,रति बचपना मत कर मिहुल कितना प्यार करता है तुझे। रति सामान पैक करती रही और बोलती, प्यार करते है तो साथ क्यूँ नही जा रहे? मिहुल तू भी चला जा बेटा इसी मे सुख शान्ति है ,मिहुल की माँ ने आँसू भरे कहा। नही माँँ रति गलत है मैं उसका साथ नही दूँगा। रति ने टैक्सी मँगा ली और जाने लगी ।अनुज ने कहा रति तेरा अब हमसे कोई वास्ता नही। रति सबको रोता छोड़कर चली गयी।

उस समय रति को सब अच्छे नही लग रहे थे।

अपनी कम्पनी की दूसरी शाखा मे चले जाने का विचार कर लिया था आज़ादी से जीना चाहती थी। ना रिश्तों कि टोका टाकी हो , जो मर्ज़ी खाऊ ,मन मर्ज़ी उठूँ। जब तक सोऊँ।

वो ही किया रति ने ,दोस्तों को बुला के पार्टी की। मिहुल को फोन भी किया कि अब भी आना चाहो तो दोनो साथ रहेगें। मिहुल ने उल्टा सीधा सुना दिया था। फोन से नम्बर भी डिलिट कर दिया। और करता भी क्या?

सब घर वाले याद करके कभी रो लेते, फिर समय बीता। समय ने करवट ली। रूबी और कबीर के एक बेटा ,एक बेटी दोनो बच्चों के आसपास सबकी दुनिया हो गयी थी। रति को चार, पाचँ साल तो आज़ादी से जी जिन्दगी मे पता ही नही चला पर अब जब वो किसी सहेली को घर बुलाती। सब अपने परिवार मे वयस्त हो गयी। रति फोन करती मूवी चले ? नही रति आज इतवार सब घर मे है आ नही सकती या आज परिवार के साथ बाहर जा रहे है या आज घर मे मेहमान आ रहे है। अब रति को खालीपन लगने लगा।

अकेले कुछ बनाती नया, तो ना तारीफ करने वाला था ना हँसी मज़ाक मे कमी निकालने वाला। कभी घर का बना खाना याद आता कभी रूबी दीदी के हाथों कि बनी काफी। सूनापन छा गया। अब रोना आ जाता था अकेलापन खाने को दौड़ता। अब किसी के लिये कुछ बनाने का मन करता। मिहुल का घरवालों के सोने जाने पर, हाथों मे हाथ लिये लाँँग वाक पर जाना। सुबह चाय बना कर लाना ।

हँसना, मज़ाक सब याद आने लगा।जो अब तक याद भी नही था। पापा ,मम्मी की डॉट भी याद आ रही थी । पर अब वो बहुत दूर आ गयी।

उधर घर मे एक उदासी मिहुल को देख कर लगती पर सब रुबी कबीर के बच्चों के प्यार मे उलझे रहते।

रति कि कम्पनी ने उसके किसी काम से उसी की पहली शाखा मे ट्रेनिंग के लिये भेजा मना करने पर भी नही मानी गयी उसकी अर्जी।

उसे अपने शहर आना ही था।। आते ही उसे वो सड़क भी अपनी सी लग रही थी, वो रास्ते याद आने लगे जहाँ रूबी दीदी के साथ घूमती थी। वो बाजार जहाँ मिहुल के साथ शर्त मे बहुत सारी पानी पूरी खा जाती थी।

होटल मे जहाँ रूकी थी डर लग रहा था नीचे जाउँँगी ,तो कोई अपना ना मिल जाये। और मन भी था कि काश सबकी एक झलक मिल जाये ,15 दिन रूकना था। कब तक घरवालों से डर कर कमरे मे बंद रहेगी। डिनर के लिये नीचे होटल मे आई तो किसी जानी पहचानी हँसी ने बढ़ते कदम रोक दिये।

दिल ज़ोर से धड़क रहा था ,शीशे के पीछे से आवाज़ आ रही थी रूक जा शैतान बच्चे जैसे ही देखा रूबी दीदी और सब परिवार हँस रहे थे और मिहुल किसी बच्चे के पीछे भाग रहा था और कह रहा था रूक शैतान।

वो मेरे सब अपने.. रति के दिमाग मे बिजली सी दौड़ गयी...दौड़ कर मिल आऊँ....आँसू रूक नही रहे, ये क्या हो गया मुझे मैं क्यूँ सोच रही हूँ मैने ही तो छोड़ा था अब किस मुँह से जा भी सकती हूँ...मम्मी पापा भी यहाँ ...? कितने कमजोर हो गये दोनो। क्या तबियत ठीक नही....? रूबी दीदी बिल्कुल नही बदली ,जीजू भी वैसे ही थे। दीदी की गोद मे एक बच्चा ...लड़की है,

अरे ये रूबी दीदी की बेटी कितनी प्यारी ...मैं मासी.. मैं मासी बन गयी ओ हो जोर से गोदी लेने का मन कर रहा है। पता नही क्या नाम रखा होगा मैने दीदी को कहा था जब आपके बेटी होगी तब मैं उसका नाम नायरा रखूँगी। पर वो मुझसे नफरत करती होंगी क्यूँ रखेगी मेरे मन का नाम ...अचानक रति को लगा कोई देख ना ले..पीछे को छिप गयी।

मिहुल ...को देख कर दिल मे कसक सी उठी .....मिहुल के साथ ये बच्चा...क्या मिहुल ने शादी कर ली...?

ये बच्चा उसका???आँसू रूक क्यो नही रहे। मिहुल की पत्नी क्यूँ नही दिख रही। बच्चा सुंदर है....सुन्दर ही होगी। रोती हुई होटल के कमरे मे आ गयी।

सारी रात दिमाग मे घर घूम रहा था। सब खुश है मेरे बिना डिनर के लिये सब थे। क्या पता क्यूँ थे सब एकसाथ। आँफिस जाने का मन नही था पर फिर भी जाना तो था ही ,सोच कर ऊठ गयी और तैयार होके आँफिस चली गयी। पर मन नही लगा था आज आँफिस मे....होटल के कमरे मे शाम आ गयी , रात का खाना भी कमरे मे ही मंगा लिया था।

रति को अपनी सहेली नीरा की याद आई। घर के बारे मे सब नीरा से पता चल जायेगा उसके मम्मी पापा तो हमारे घर के खास है। जब तक घर के बारे मे जानूंगी नही मेरा किसी काम मे मन नही लगेगा। ये सोचकर उसकी ऊंगलियाँ नीरा को फोन करने के लिये बढ़ गयी।

आगे रति की जिंदगी मे क्या हुआ जानने के लिये अगला भाग पढ़े।


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