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उम्मीद

उम्मीद

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"मुश्किल वक़्त सबसे बड़ा है,

"उम्मीद"।

जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर,

कानों में धीरे से कहती है"

सब अच्छा होगा....

डुग्गु एक अनाथ बच्चा था।। वो वैसे ही सड़कों पर इधर-उधर घूमता रहता था एक बगीचे के बड़े से पेड़ की डाली पर उसने अपना बसेरा बना रखा था,चढ़कर सो जाता था और उसने जुगाड़ से इक तारा बजाने का बना लिया था और उसे रेडलाइट पर अक्सर गाडियाँ रुकती तो, लोगों को धून बजा कर सुनाता था, कोई कभी पैसे देते थे, कभी नहीं भी देते थे।

एक दिन वैसे ही पार्क में बैठा हुआ था, पार्क के बाहर पानी-पूरी वाले के ठेले पर बच्चे पानी-पूरी खा रहे थे।, जिस पार्क में वो पेड़ पर रहता था, पास में एक डांस एकेडमी थी। जहाँ बच्चियाँ डांस सिखने आती थी।

डांस क्लास की एक बच्ची पानी -पुरी खाने आई, डुग्गु भी वहाँ जा कर खड़ा हो गया। लड़की बड़ी चंचल थी, डुग्गु को देख कर बोली "ये इक तारा बजाते हो या वैसे ही टांग रखा है।

डुग्गु ने झट से जो धून सिख रखी थी वो बजा कर बताई, बस इतनी सी और अच्छी धून बनाओ। डुग्गु ने लड़की से नाम पूछा तुम्हारा क्या नाम है❓

लड़की ने " रुकी"अपना नाम बताया।

अब धीरे-धीरे रुकी और डुग्गु की दोस्ती गहरी होती गई।

शाम के वक़्त डुग्गु रूमी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करता रहता था।

उसका बसेरा पार्क का वो बड़ा सा पेड़ ही था, एक बार वो लड़की अपने ड्राइवर के साथ उस एरिया से निकलती है तो डुग्गु को इक तारा बजाती देखती है, तो ड्राइवर से एक सौ का नोट लेकर डुग्गु को देती है।

कुछ दिनों तक दोनों बच्चों की दोस्ती चलती रही,, पर एक दिन रुकी के पापा का ट्रांसफर हो जाता है दूसरे शहर, उसकी मम्मी और पूरा परिवार जाने लगते हैं, डुग्गु को रेडलाइट पर रुकी देख लेती है उसे इशारे से कुछ बताने की कोशिश करती है पर डुग्गु समझ नहीं पाता है,

उनकी गाड़ी के पीछे दौड़ने लगता है, इतने में एक लेडिज़ की गाड़ी से एक्सीडेंट हो जाता है।

डुग्गु को वो लेडिज़ अस्पताल ले जाती है उनके हसबैंड भी आ जातें हैं, वो दोनों बहुत बड़े बिजनेस मेन रहते हैं डाक्टर से अच्छे इलाज करवाते हैं। उस बच्चे से उसके माँ-बाप का पता पूछते हैं, तो वो कहता है मेरा कोई नहीं है, लेडिज़ बहुत घबराई हुई थी, उनके हसबैंड बहुत समझाते हैं कुछ नहीं हुआ है उसे।

वो दोनों हसबैंड-वाइफ उनके कोई बच्चा नहीं है वो उसे डुग्गु को गोद लेने की सोच लेते हैं।, हम उस बच्चे से बात करेंगे वो अच्छा हो जाए।

शेट्टी हसबैंड-वाइफ अच्छे घराने से थे डुग्गु की लाइफ पूरी तरह चेंज हो जाती है, मिसेज सुधा शेट्टी बहुत प्यार करती हैं। उसका नाम भी शशांक रख देते हैं।

मगर वो दोनों हसबैंड-वाइफ अक्सर शशांक को गुमसुम सा बैठा देखते हैं। उसे अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा देते हैं,

दोनों हसबैंड-वाइफ चाहते हैं डुग्गु हमे मम्मी-पापा कह कर पुकारे मगर ख़ुद जब दिल से चाहे तभी पुकारे शशांक उन्हें अंकल- आंटी ही कहता था।

एक उसके शहर इलाहाबाद में म्यूजिक का एग्जीबिशन था उसे भी बचपन से इकतारा बजाने का शौक़ था।

वहाँ एक गिटार की शाप पर कोई वहीं धून बजाता है वो दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचता है। शाप वालों से पूछता है अभी कोई धून बजा रहा था वो कौन है, वो कहते हैं हमारे यहाँ बहुत लोग आतें हैं, हमनें नहीं देखा वौ कौन था, थी

बस शशांक को पक्का विशवास था एक दिन रुकी ज़रुर मिलेगी, उसका मनना था उम्मीद पर तो दुनिया क़ायम है।

शशांक एक दिन अपनी माँ के साथ शापिंग पर जाता है और वहाँ उनकी पुरानी फ्रेंड मिल जाती है, उनके साथ बेटी भी रहती हैं ।

अपनी फ्रेंडस और बेटी को अपने घर फेमिली के साथ डिनर पर बुलाती हैं। शशांक थोड़ा दूर ही रहता है। शशांक की मम्मी चाहती हैं ये दोनों आपस में बात-चीत करें।

शशांक से कहती है , जाकर अपना कमरा दिखाओ वो बड़ों के बीच में बोर हो जाएगी।तुम अपने कमरे में जा कर बात-चीत करो वो लड़की वैसी चंचल रहती है, उसके कमरे में आते से ही गिटार देखती है और वहीं शब्द दोहराती है बजाना आता भी है या यूहीं लटका रखा है।

एकदम शशांक को बचपन वाली लड़की "रुकी" याद आ जाती है। फिर वो दिमाग़ से वो ख़्याल झटका देता है, नहीं वो ये कैसे हो सकती है।

मगर शशांक को ऊपर वाला कुछ तो इशारा दे रहा था, शशांक लड़की के कहने पर गिटार उठा कर उसे देता है भारी मन से लड़की गिटार लेकर वहीं धून बजाती है, तो शशांक हैरत से देखने लगता है, और पूछता है ये धून तुम्हें कहाँ से सिखी, वो लड़की बताती है थोड़ा उदास हो कर मेरा एक बचपन में बहुत अच्छा फ्रेंड था, मगर पापा का ट्रांसफर हो जानें के बाद हम कभी नहीं मिले मैं उसे बहुत मिस करती हूँ और जब भी उदास होती हूँ तो ये उसकी बनाई धून बजा कर थोड़ा सूकून मिलता है।

शशांक बताता है अभी एक दिन म्यूजिक एग्जीबिशन में गिटार की शाप पर तुम बजा रही थी ये धून मै वहीं था मैंने बहुत ढ़ूढ़ा उस दिन इस धून बजाने वाले को मगर निराश हो गया। तुम्हें पता है वो छोटा बच्चा डुग्गु मैं ही हूँ, मगर तुम यहाँ कैसे, शशांक कहता है ये बहुत लम्बी कहानी है, बहुत ख़ुश हो जाता है और मम्मी-पापा की पुकार लगता हुआ उन दोनों के पास पहुँचता है माँ-बाप को बांहों में भर लेता है वो दोनों भी हैरान हो जातें हैं शशांक को मम्मी पापा पुकारता देखकर शशांक बताता है मम्मी ये वहीं मेरी बचपन की फ्रेंड है।

वो ज़ारो-क़तार रो रो कर बताता है।



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