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हार्ट अॉफ ओशन

हार्ट अॉफ ओशन

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एक लड़की थी दीवानी सी।उसकी मम्मा ने बहुत सोच समझ कर उसका नाम

“ कली”  रखा था ।

सच में वो वैसी ही थी बिल्कुल अनछुई दुनिया के झूठ और फ़रेब से कोसों दूर बचपन से ही हर लड़की की तरह उसका भी सपना था ।कोई राजकुमार आऐगा और उसे अपने साथ दूर देश लेकर जाऐगा।मम्मा के बेइन्तहा प्यार की बदौलत ग़रीबी में भी राजकुमारी सी थी कली।बचपन से ही कली को बस एक ही शौक़ था ।फिल्में देखने का और कली की सबसे फेवरिट फिल्म टाइटेनिक थी।कली ख़ुद भी नहीं जानती थी कि उसने यह मूवी कितनी बार देखी है।
सपनों की दुनिया हर वक़्त  गुलज़ार थी। वक़्त अपनी रफ़्तार से गुज़र रहा था। फिर धीरे धीरे वो वक़्त  भी आया। जब मम्मी की छोटी सी कली धीरे धीरे से खुलकर एक ख़ूबसूरत गुलाब बन गयी थी। अब कालेज में आ गयी थी कली ।पढ़ने के पीछे जान देने वाली कली पर भी कोई जान देता था ।पर कली बिल्कुल अन्जान थी इस चाहत से ।फिर सामने आ गया वो जिसका कली ने बचपन से इन्तेज़ार किया था।
उसके सपनों का शहजादा ।

कली की माँ अपनी गुड़िया के लिऐ एक गुड्डा ले कर आयी थी ।जो परी कों बहुत पसन्द आया था ।ख़ुश  तो गुड्डा भी था ।अब कली उसके इश्क़ से अन्जान जो नहीं थी ।ख़ूबसूरत कहानी सी थी कली की ज़िंदगी , कोई ग़म  नहीं ।कली घन्टों अपने गुड्डे से अपनी दिल की बात करती।अपने सपनों की बात करती और गुड्डा भी दिल ही दिल में ख़ुद  से अहद कर लेता जितना हो सकेगा वो कली के हर सपने को पूरा करने की कोशिश ज़रूर  करेगा।वैसे तों कली बहुत सी बातें किया करती थी ।पर एक बात बार बार उसकी बातों में  होती थी एक सपने की बातें वो सपना जो कली का बहुत अपना था।

गुड्डे ने सोच लिया था कुछ भी हो जाऐ  वो परी का यह सपना ज़रूर  पूरा करेगा ।गुड्डे को पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी मिल जाती है। कली बहुत ख़ुश  होती है पर साथ ही उदास भी हो जाती है ।गुड्डा शहर से सात समन्दर दूर जा रहा था तीन साल के लिऐ ।
कैसे रहेगी अकेली कली यह सोच कर घबरा रही थी।आखिर कँपकँपाते लहज़े  मे अपने सपनों के राजकुमार से बोल ही पड़ी परी ।

"कैसे रहूँगी में तुम बिन।जानते हो ना कितना मुश्क़िल है यह मेरे लिऐ  "।

लड़का भी आँखों में भर आऐ  आँसू को रोकते हुऐ बोला ।

"मेरे लिऐ  भी तो आसान नहीं है ना यह सब तुम तो तब भी सभी अपनों के साथ होगी पर मेरी सोचो जरा अजनबी देश में मेरा क्या होगा।कितना अकेला होगा मैं पर मै नहीं चाहता ज़िंदगी  में तुम्हारा कोई सपना अधूरा रहें और तुम्हारा वो ख़ास सपना वो तो हर हाल में मुझे पूरा करना ही है पर जानती हो ना तुम ,इसके लिऐ  मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा।और सुनो तुम्हें भी एक जिम्मेदारी देकर जा रहा हूँ ।तुम्हें दोनों मम्मी पापा का बहुत सारा ख्याल रखना है और सबसे ज्यादा अपना ख्याल रखना है, पता है ना तुम उस तोते की तरह हो जिसमें मेरी जान बन्द है।तोते को जरा सी भी चोट लगी ।तो दर्द तो मुझे ही होगा ना और वो भी बहुत ज्यादा और एक आखिरी बात। वादा करता हूँ अगर सब ठीक रहा तो तीन सालों के अन्दर अन्दर में तुम्हारा सपना पूरा कर दूँगा।पर प्लीज मुस्कुराते हुऐ  विदा करना मुझे क्योंकि तुम्हें रोता छोड़ कर मैं जा नहीं सकता।"

आँखों में दर्द के सैलाब को छुपा कर अपने राजकुमार को विदा कर दिया था कली ने
जैसे तैसे सबके सामने तो अपने आँसू छुपा लिऐ  थे ।पर फ्लाइट के टेक ऑफ करते ही कली के आँसूओं का बान्ध टूट गया था।

जुदाई के पल इतने भारी थे कली पर कि अब गुस्सा आता था उसे अपने आप पर अपने सपने पर ,काश उसने कोई सपना नहीं देखा होता ,और अगर देखा भी था तो काश, अपने गुड्डे को ना बताया होता तो नसीब में यह दूरी ना आयी होती पर अब तीन साल का इंतेज़ार  मजबूरी थी किसी भी तरह तीन साल गुज़ारने ही थी कली को ,बहुत बोझिल सी गुज़र रही थी ज़िंदगी  ।

तभी एक फोन कॉल ने जैसे ज़िंदगी में इंद्रधनुष के सारे रंग भर दिऐ  थे ।कली को विश्वास नहीं हो रहा था कि सच में उसका बचपन का सपना पूरा होने वाला था।फोन पर कली के सपनों के राजकुमार ने कली को बताया था।

"मैनें तुम्हारे लिऐ  एक कोरियर भेजा है जिसमें तुम्हारा बर्थ डे गिफ्ट है याद है एक बार तुमने अपने सबसे पसन्दीदा सपने के बारे में बताया था मुझे।
तुम चाहती थी कि टाइटेनिक की तरह तुम भी अपने जीवनसाथी के साथ डेक पर खड़े हो कर समन्दर की लहरों को देख सको। बेरोकटोक बहती हवा तुम्हारे बालों को बिखेर दें और फिर तुम्हारा जीवनसाथी तुम्हारी जुल्फों को समेट दे । मैने सब इंतेज़ाम  कर लिया है बस तुम्हारी ही कमीं है लिफ़ाफे में तुम्हारा टिकट है जल्दी से सात समन्दर पार मेरे पास आ जाओ और जानती हो मेरे पास आने के लिऐ तुम्हें सच में समन्दर पार करके आना होगा क्यों कि मैने प्लेन का नहीं शिप का टिकट भेजा है। मैं चाहता हूँ तुम अपने सपने को पूरी तरह से इन्जाय करो ।बहुत शिद्दत से तुम्हारा इंतेज़ार  कर रहा हूँ मैं जल्दी आना।"

कली चाह कर भी अपनी ख़ुशी नहीं छुपा पा रहीं थी।अन्दर ही अन्दर डर भी रही थी कहीं अपनी ही नज़र ना लग जाऐ उसकी ख़ुशियों को

जल्दी से जल्दी अपनी पैकिंग कर ली थी कली ने दिल हर पल गवाही दे रहा था कि यह ख़ुशी   सिर्फ़ अपना बचपन का सपना पूरी होने की नहीं है वो इतना ख़ुश  है क्यों कि अब उनकी जुदाई का अन्त होने वाला है एक बार फिर वो अपने सपने के राजकुमार के साथ होगी।सपनों का राजकुमार जिसका नाम सच में राज था।

कोई दूरिया नहीं होगी उनके दरमियाँ यह सोच कली की ख़ुशियों  का कोई ठिकाना ही ना था।और फिर पिया मिलन की बेला भी आ ही गयी।अपने दोनों मम्मी पापा की ढेर सारी दुआओं के तले अपने नये जीवन की शुरूआत पर निकल पड़ी कली।

जहाज में कदम रखते ही ख़ुद  को जैसे भूल ही गयी थी कली याद था तो बस टाइटेनिक देखते हुऐ  बिताऐ  गऐ  पल ।

कली इस शिप में टाइटेनिक को ढूँढ रहीं थी वो शिप पर अकेली ज़रूर थी पर बहुत सी यादों के साऐ  उसके साथ थे ।वो अक्सर सोचती काश टाइटेनिक के साथ वो हादसा ना हुआ होता काश वो प्रेम कहानी अधूरी ना रही होती ।

शायद कली को डर लगता था ।किसी भी प्रेम कहानी के अधूरे रह जाने पर दुखी हो जाती थी वो ,कली हमेशा चाहती थी कि दुनिया मे हर कोई ख़ुश  रहें पर ऐसा होना तो सम्भव नहीं था ना ,दुख और सुख तो एक ही सिक्के के दो पहलू है ।एक के बिना दूसरा बिल्कुल अधूरा कली शायद यह समझ ही नहीं पायी थी कि रात के अन्धेरे के बाद सुबह का सूरज कितना सुक़ून देता ।धूप से जलते पाँव पर जब छाँव पड़ती है तो कैसा लगता है।हमदर्द सी कली अक्सर टाइटेनिक देखती और फिर उदास हो जाती।दस दिन अब उसे इस शिप पर गुज़ारने थे ।पर बार बार वो ख़ुद  को ख्यालों में टाइटेनिक के साथ पाती उसें लगता की वो टाइटेनिक के सफर पर ही है ।वो टाइटेनिक जो अपनी यात्रा भी पूरी नहीं कर पाया था ।वो टाइटेनिक जो एक विशाल हिम खण्ड से टकरा कर टूट गया ।वो टाइटेनिक जिसपर एक प्यारी सी प्रेम कहानी अधूरी रह गयी थी।या फिर वो टाइटेनिक जिस पर हार्ट ऑफ ओशन था।कली अक्सर उस हार्ट ऑफ  ओशन के बारे में सोचा करती जो कहीं समन्दर की बेइन्तहाँ गहराई में दफ़न हो गया है कली को लगता क्या अब कोई उस हार्ट ऑफ  ओशन को ढूँढ पाऐगा। हार्ट ऑफ  ओशन एक बेशकिमती हीरा था ।कभी कभी कली को लगता कि नहीं वो हीरा कभी किसी को नहीं मिलना चाहिऐ वो तो दो प्यार करने वालों की निशानी है ना।

फिर कभी कभी यह भी सोचती की काश जिसको भी वो हीरा मिल जाऐगा उसकी पूरी ज़िंदगी  बन जाऐगी ।एक एक दिन गिन कर गुज़ार रही थी कली पर लगता था कि यह दस दिन सदियों में बदल गऐ है ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहे।कब पहुँचेगी वो अपने जीवनसाथी के पास ।सफ़र के तीन दिन कैसे गुज़ारे थे यह बस कली ही जानती थी।आज सफ़र का चौथा दिन था ।कली उदास सी डेक पर बैठी थी यूँ तो उसके चारों और सैकड़ों लोग थे पर ख़ुद  को बहुत तन्हा महसूस कर रही थी।कली को देखकर लग रहा था जैसे अभी वो रो पड़ेगी।तभी दूर कहीं आसमान में हैलीकाप्टर की आवाज ने फ़िजाँ की ख़ामोशी को अपने आगोश में ले लिया।एक हैलीकाप्टर तेजी से कली की शिप की और बढ़ रहा था।और कुछ पलों मे ही वो शिप के रनवे पर लैन्ड कर गया।कली समीत डेक पर उपस्थित सभी लोगों की जिज्ञासा का मरकज आने वाला हैलीकाप्टर ही था।और जैसे ही हैलीकाप्टर का दरवाजा खुला। हैरत की वजह  से कली बेहोश होते होते बची।आने वाला उसके सपनों का राजकुमार था।इतना बड़ा सरप्राइज कली को आज तक नहीं मिला था ।कली की आँखे ख़ुशी  से छलछला गयी थी।कली के सपनों का राजकुमार दौड़ कर कली के गले लग गया और बोला।

"ख़ुश  होना ना तुम कली तुम्हारा ख़ुश  होना मेरे लिऐ  बहुत मायने रखता है।इसलिऐ  मैने यह सब किया।चलो ना अब तुम्हारे बरसों के सपने को पूरा करते है।"

और फिर वो दोनों हाथों में हाथ लिऐ  शिप के डेक की और चल पड़े।कली और उसका राजकुमार दोनों टाइटेनिक के हीरो हीरोइन की तरह दोनो हाथों को फैलाऐ  अनन्त महासागर को निहार रहे थे।तभी उनका शिप एक छोटे से हिमखण्ड से टकरा गया। शिप कों एक ज़ोर का झटका लगा था।शिप को तो कुछ ख़ास नुकसान नहीं हुआ था पर इस झटके ने राज की ज़िंदगी  मे अधेरा कर दिया था।कली इस झटके से समन्दर में गिर गयी थी ।बदहवास सा राज कुछ पल तो समझ ही नहीं पाया की वो क्या करे। पर अगले ही पल वो शिप के कैप्टन के पास मदद की गुहार लगा रहा था।तुरन्त ही रक्षाटुकड़ी कली को ढूँढने के लिऐ  समन्दर में कूद गयी थी।

गोताखोर हर सम्भव कोशिश कर रहे थे पर कली का कुछ पता नहीं चल रहा था।शिप उस समय बरमुडा ट्राइंगल  के पास से गुज़र रहा था।घन्टों की कोशिश के बाद भी राज कली को ढूँढ नहीं पाया था।अब शिप में सबको लगने लगा था कि कहीं बरमुडा ट्राइंगल  ने कली की भी तो बलि नहीं ले ली ।

वैसे ही यह जगह बहुत फेमस है हादसों के लिऐ  ।आज तक ना जाने कितने जहाज  ऐरोप्लेन और इन्सान इस जगह पर से गायब हो चुके है जिनका बहुत कोशिश करने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाया था राज किसी भी हालत में यह मानने को तैयार नहीं था ।कि वो कली से हमेशा के लिऐ  बिछ़ड गया है ।हर सम्भव कोशिश अभी तक बेकार ही गयी थी।हर बीतते पल के साथ कली राज से दूर जा रही थी।राज की बेक़रारी की तो कोई इन्तेहाँ ही नहीं थी।दिल ही दिल में ख़ुद  से अहद कर लिया था राज ने चाहे कुछ हो जाऐ  वो कली को ख़ुद  से दूर नहीं जाने देगा!

दूर कहीं कली अभी भी लहरों से संघर्ष कर रहीं थी।
वो भी किसी तरह यह जंग जीतना चाहती थी ।जब कली समन्दर में गिरी थी तब उसके हाथ लकड़ी कि एक बड़ा टुकड़ा लग गया था ।जिसकें सहारे वो ख़ुद  को डूबने से बचा रही थी ।लहरों ने उसे शिप से बहुत दूर फेंक दिया था।कली घन्टों की मेहनत के बाद अब थकने लगी थी।लकड़ी के उस जीवनदायी टुकड़े पर से अब उसकी पकड़ कमज़ोर हो रही थी।और साथ ही कमज़ोर हो रही की कली की ज़िंदगी की डोर।और फिर एक तेज़ लहर के कारण कली के हाथ से वो टुकड़ा छूट जाता है और वो समन्दर की अथाह गहराइयों में डुबती चली जाती है।बेहोश होने से पहले कली को समुद्र तल मे एक छतिग्रस्त शिप दिखायी देता है।जिसमें उसे एक काम करता हुआ ऑक्सीजन मास्क मिल जाता है।
कली की डूबती साँसों को जैसे सहारा मिल गया था ।कली में फिर से उम्मीद जगाने लगी थी ज़िन्दा रहने की ऑक्सीजन  मिल जाने से कली को लग रहा था जैसे तपते हुऐ  सहरा में पानी मिल गया हो।कली अपनी बिखरी साँसों को समेट कर खोज में लग जाती है यह सोचकर की शायद आसपास कुछ और ऐसा मिल जाऐ ।जो कली को चक्रव्यूह से निकालने में मदद कर सकें ।अचानक कुछ देख कर कली के आश्चर्य का कोई ठिकाना ही नहीं रहा।सामने समुद्र तल पर कुछ चमक रहा था अपनी पूरी आन बान शान के साथ कली जब उसके पास पहुँची तो यह देख कर हैरान रह गयी वो चमकती हुई चीज हार्ट ऑफ  ओशन थी ।वो चमकता हुआ हीरा जो ना जाने कितनी बार कली के सपनों में आया था ।ना जाने कितनी बार वो कली के तस्सवुर में हलचल मचा चुका था।कली ने धीरे से ख़ुद  को चुटकी काटी ।और फिर ज़ोर से चीखी।

"उफ !!!!!!! यह सपना नहीं मैंने सच में एक बेशक़ीमती हीरे को बहुत क़रीब से देखा है मै कितनी अमीर बन गयी हूँ ।"
तभी कुछ याद आते ही कली की सोच को लगाम लग गई ।अगर कोई मुझे ढूँढ ही नहीं पाया। या सब अगर अब मेरे ज़िन्दा होने की उम्मीद छोड़ कर आगे बढ़ गऐ  हो।
क्या होगा अब मेरी  क्या मैं अब कभी यहाँ से बाहर निकल पाऊँगी ।क्या कभी अपने राज को फिर से देख पाऊँगी। बेशक़ यह हीरा बेशक़ीमती है पर यह बेशक़ीमती हीरा भी मेरी जान नहीं बचा सकता ।

शायद अब मेरी किस्मत में जलसमाधी ही लिखी है।मायूसी से घिरी कली को कुछ समझ नहीं रहा था। आगे क्या होने वाला है यह सोच कर कली की रूह काँप उठी थी।

तड़प रहा था राज बार बार सोचता काश वो गिरती हुई कली का हाथ थाम लेता ।काश किसी भी तरह वो इस हादसे को होने सें रोक लेता ।पर अब शायद कुछ नहीं हो सकता था।कली दूर जा चुकी थी बहुत दूर कभी भी वापस ना आने के लिऐ  ।राज किस्मत से हारना नहीं चाहता था ।एक फैसला करके वो शिप के डेक की ओर चल पड़ा।

राज ने सोच लिया था कि मौत की इतनी औक़ात नहीं कि वो राज और कली को अलग कर सके ।भले ही हम साथ साथ अपनी ज़िंदगी  नहीं गुज़ार पाऐ  ।पर मरने के बाद कोई हमारे मिलन को नहीं रोक सकता। ख़ुद  से वादा कर राज समुद्र में कूदने ही वाला था। तभी एक चिरपरिचत आवाज़ ने राज के क़दमों को रोक लिया।वो कली की आवाज़ थी ।राज को यह सब अपना वहम लगा पर जब राज ने पलट कर देखा ।पीछे सच मैं कली खड़ी थी।

"रूक जाओ राज देखो मैं आ गयी।"
यह कहती हुई कली दौड़ कर राज के सीने से लग गयी।

राज ख़ुद  से कली को अलग करता हुआ बोला।

"तुम सच में आ गई हो ना कली यह कोई छलावा तो नहीं ना मैं तो सारी उम्मीदें छोड़ चुका था पर यह करिश्मा हुआ कैसे।"

कली फिर से धीरे से राज के सीने से लग कर बोली।

"उम्मीद तो मैं भी छोड़ चुकी थी राज एक पल तो ऐसा लगा मैं हमेशा के लिऐ  तुम्हें खो चुकी हूँ।पर एक पनडुब्बी की नज़र मुझ पर पड़ गयी और फिर देखो ना मैं बिलकुल सही सलामत तुम्हारे सामने खड़ी हूँ "।
राज ख़ुशी  से झूमता हुआ बोला।

"मैं तुम्हें बता नहीं सकता कली कि मैं आज कितना ख़ुश  हूँ हम अपने शहर वापस लौट चलेंगे मुझे तुम्हारे सिवा दुनिया की कोई दौलत नहीं चाहिऐ ।सिर्फ़ तुम ही मेरी पूरी ज़िंदगी का सरमाया हो।तुम्हारे आगे पूरी दुनिया की दौलत मेरे लिऐ  कोई मायने नहीं रखती है।"

कली भी राज की बात से पूरी तरह सहमत थी।

अपने शहर वापस जाने से पहले कली ने समन्दर की अमानत हार्ट ऑफ  ओशन को समन्दर के ही हवाले कर दिया।कली को भी राज के सिवा और कोई दौलत नहीं चाहिऐ थी।और एक बार फिर से अमर प्रेम की निशानी हार्ट ऑफ  ओशन सागर के तल में अपनी जगमगाहट को बिखेर रहा था।राज और कली भी लौट चले है अपने शहर में अपने प्यार की नयी दुनिया बसाने के लिऐ .................

 


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