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Neha Agarwal neh

Abstract

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Neha Agarwal neh

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" शेर आया "

" शेर आया "

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सुकन्या के तन बदन में जैसे आग लगी हुयी थी वो इतनी गुस्से में थी की घर की दिवारें भी उसके गुस्से से थरथरा रही थी।

" यह भारत खुद को समझता क्या है।

मेरी एक नजर को लोग तरसते है और यह बड़ा आया तीसमारखाँ ,,,होगा टॉपर तो मैं क्या करूँ आज इसकी सारी अकड़ मिट्टी में ना मिलाई तो मेरा नाम भी सुकन्या नहीं।"

सुकन्या ने एक बार फिर दिवारों से बाते की और एक जल्दी से भारत को फोन मिलाया।

" भारत प्लीज जल्दी मेरे घर आ जाओ मैं सीढ़ियों से गिर गयी हूँ ,और मेरे सर से बहुत खून बह रहा है"

इतनी देर में लाइन कट गयी।

सुकन्या की बात भारत आँधी तूफान की तरह सुकन्या के गेट पर आ गया थातभी उसे सुकन्या के हँसने की आवाज सुनाई दी

कैसा लगा सरप्राइज भारत ? अभी एक और सरप्राइज तुम्हारा इन्तजार कर रहा है

भारत कुछ समझ पाता इससे पहले ही सुकन्या जोर जोर से चिल्लाने लगी

" बचाओ बचाओ यह लड़का मेरी इज्जत पर हाथ डाल रहा है।"

सुकन्या की आवाज पर वहाँ मज़मा लग गया और लोग भारत को पीटने लगे तभी सुकन्या के पक्की सहेली शिक्षा भी आ गयी

सुकन्या उसके कन्धे से लग कर जारोकतार आँसू बहाने लगी की तभी शिक्षा का हाथ घूमा और कस कर सुकन्या के गाल पर रूका

तुम जैसे लड़कियों की वजय से ही जब सच में कुछ गलत होता है तब भी लोग लड़कियों को ही गलत समझते है

तुम्हारे गिरने की बात पर भारत ने मुझे भी मदद के लिए बुला लिया था और जब वो तुम्हारे घर आया तो मैं फोन पर उससे ही बात कर रही थी।


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