बूंदों की बतियांं

बूंदों की बतियांं

2 mins
651


"सावन की आमद ऐसी है, जैसे मन के तपते सेहरा को किसी ने भीगी बयार नज़र की हो।

कड़ी धूप पर बूंदों ने पर्दा गिरा दिया हो, तपिश भरे माथे पर गिली हथेली रख दी हो।

'एक भीगी- सी दस्तक है, सावन की मन पर कितनी लुभावनी है इस शब्द की ध्वनि।

सावन कहने भर से लगता है, जैसे मौसम ने शहनाई बजाई हो।

शहनाई की ही तरह में मंगल घोषणा है। बारिक बूंदों के हवा में लहराते रेले धुआं-धुआं होती फ़िज़ा के नाम से पुकारते हैं। जब बादल केवल छेड़ने के मन से बरस रहे हो तो उसे हल्की फुहार कहते हैं।

मेघों की गर्जन को ख़ुशहाली का शंखनाद और झड़ी को मौसम की ज़ुबान कहते हैं।

बारिश से सारी भावनाएं जुड़ जाती हैं मन मोर की तरह नाच उठता है।

किसी रात को ,जब बादल थोड़े सुस्ता रहें हों, बरखा जमी हो उस समय अचानक छत के किसी छोर से अपनी अकेले की आवाज़ में किसी बूंद को सुना है आपने टिप्प !

"बूंदों की टिप्प-टिप्प पर अक्सर मेरे पति झूम-झूम जाते हैं और कभी-कभी गहरी नींद में भी मुझे आवाज़ देकर उठा देते हैं।

सावन की रातें अक्सर ऐसी बूंदों से झनझनाती हैं।

कुछ यादें मेरे ज़हन में इतनी प्यारी है इस बारिश की, मैंने अपने पति को बारिश का मज़ा लेने के लिए, टीन शैड के खुले बरामदेंं में सोते देखा है, ये आज से क़रीब 38 साल पहले की बात है, मैं अपनी दूसरी विदाई पर 2:30 बजे ससुर के साथ जीप से सुसराल पहुंची, क्वार्टर मेंं रहते थे एक टीन शैड का बरामदा था उसमें बढ़िया खाटिया डालकर सो रहें थे और इतनी तेज़ बारिश हो रही थी, मुझे देखकर अटपटा लगा कमरा होते हुए बाहर क्यों सो रहे हैं।

फिर मेरे पहुंचते ही अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगें, इतनी रात गए मेरी ननद और देवर रात में ही छेड़ने लगे, अरे भाई साहब बारिश का मज़ा लो .....।

उस दिन से मैं भी सावन की दीवानी हो गई...।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama