रिश्ते शौक़ के
रिश्ते शौक़ के
मोहिता आज बहुत ख़ुश थी , उसकी शादी की पहली वर्षगांठ थी आज। सुबह जल्दी उठकर पूजा घर में गई और आरती की थाली के साथ सासू माँ के कमरे में आशीर्वाद के लिए गई। मोहिता ने सासू माँ के पाँव छुए और आशीर्वाद की आस में माता जी की तरफ़ देखा। उनकी आँखों की अनभिज्ञता को देखकर मोहिता का सारा उत्साह शांत हो गया। अपनी भावनाओं को समेटते हुए मोहिता माताजी के कमरे से बाहर आई और अनायास ही उसके क़दम अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गए। किनारे टेबल पर रखी अपनी शादी की फ़ोटो को देख सोचने लगी कि क्या वाक़ई में वह ख़ुश है!
हनीमून से लौटते अगले ही दिन हिमांशु को ऑफ़िस जॉइन करने मुंबई जाना पड़ा था। मोहिता माताजी और नन्दों के साथ कानपुर में ही रुक गई थी। आज लगभग एक साल हो गया, हिमांशु छुट्टियाँ नहीं मिलने की वजह से कानपुर नहीं आ पाया है।
मोहिता ने ख़ुद को संभाला, नहीं-नहीं, ऐसे ग़लत विचार मन में नहीं आने चाहिए। हिमांशु नहीं आ रहे हैं तो क्या, क्यों न मैं ही मुंबई चली चलूँ। उनके साथ शादी की सालगिरह मनाऊँ। मोहिता ने फटा फट टिकट बुक कराए और माताजी को बताय। माताजी ने कहा अच्छा ठीक ही तो है, हो आओ। हिमांशु को भी अच्छा लगेगा। मोहिता ने जल्दी-जल्दी सामान पैक किया और हवाई-अड्डे को निकल पड़ी।हवाई-अड्डा लगभग दो घंटे की दूरी पर था। रास्ते में हिमांशु से मिलने पर क्या क्या बात करेगी का ताना बाना बुनने लगी।
मोहिता को मुंबई हवाई-अड्डे से निकलते निकलते दोपहर के दो बज गए थे। उसने सोचा अभी तो हिमांशु ऑफ़िस में ही होंगे तो ऑफ़िस चलके ही उन्हें सर्प्राइज़ देती हूँ। हिमांशु के ऑफ़िस पहुंचकर उसने हिमांशु को फ़ोन किया तो उधर से एसएमएस आया “इन मीटिंग, कॉल यू लेटर”। मोहिता वहीं ऑफ़िस के रिसेप्शन पर बैठ गई। तभी बाहर से आते ऑफ़िस के एक कर्मचारी ने मोहिता को बैठा देख जिज्ञासा से पूछा "आपको किससे मिलना है? मोहिता ने कहा हिमांशु से। उसने पूछा आप कौन? मैं उनकी पत्नी मोहिता। उसने कहा, हिमांशु तो पिछले तीन दिन से छुट्टी पर हैं। मोहिता ने सोचा कहीं हिमांशु कानपुर तो नहीं निकल गए, फिर ये मीटिंग का मैसेज क्यों। उस आदमी ने फिर कहा हिमांशु का कल फ़ोन आया था। उसे घर में कुछ काम कराना है तो शायद तीन-चार दिन और नहीं आएंगा। मोहिता ने सोचा चलो फिर घर पर ही चलते हैं।
हिमांशु के फ़्लैट पर पहुँच कर मोहिता ने घंटी बजायी। दरवाज़ा एक महिला ने खोला और पूछा- हाँ जी बताइए ! मोहिता ने पूछा ये हिमांशु का घर है ? उसने कहा - हाँ ! आप कौन ? तब तक हिमांशु भी ये कहते हुए बाहर आया - डॉर्लिंग किससे बात कर रही हो? कौन है ?
मोहिता और हिमांशु एक दूसरे के सामने थे और था सन्नाटा। मोहिता ने ख़ुद को संभाला और कहा “हैपी ऐनिवर्सरी” अंदर आने को नहीं कहेंगे ! अंदर आकर सोफ़े पर बैठते हुए मोहिता ने उस महिला से पूछा आप कौन ? वह कुछ कहती इससे पहले हिमांशु कहता है मेरी फ़्रेंड है। मोहिता ने जब घर पर नज़र दौड़ाई तो समझ में आ गया कि दोनो साथ ही रहते हैं। मोहिता ने कहा फ़्रेंड या लिव-इन-पार्ट्नर ! हिमांशु और महिला एक दूसरे को देखते हैं और आँखे नीची कर लेते हैं। मोहिता उस महिला को देखते हुए कहती है - क्या आप बाहर जाएँगी ! मुझे अपने पति से कुछ ख़ास बात करनी है। उस महिला को अब ये समझ में आ गया था कि ये हिमांशु की पत्नी है। वह हिमांशु को देखती है और फिर अपना हैंड बैग लेकर चुप-चाप बाहर चली जाती है।
अब फ़्लैट में सिर्फ़ मोहिता और हिमांशु थे और साथ थे बहुत सारे उलझे सवाल। मोहिता जो अब तक ख़ुद को मज़बूती से रोकी थी , टूट गई और आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हिमांशु आगे बढ़ा तो उसे रोकते हुए उसने आँसुओं को पोछा और बोली आप वहीं बैठ जाएँ और मेरे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब मुझे आपसे चाहिए।
हमारी शादी के पहले से आप दोनो साथ रहते थे ? हाँ ! हिमांशु ने कहा। फिर मेरे से शादी क्यों की? बस मैं माँ को मना नहीं कर सका। माँ को ये पता है ? नहीं , बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाया, नहीं तो शादी के पहले ही बता देता। इसे पता है आपकी शादी के बारे में? हाँ ! हिमांशु ने कहा। और फिर भी आपके साथ है - मोहिता ने कहा। इसलिए आपको छुट्टी नहीं मिला करती थी घर आने की , मतलब कानपुर आने की।
मुझे ये बताइए माँ से आपने बात नहीं करी , इस लड़की को भी आप मना नहीं कर सके , मुझे साथ लाने की हिम्मत भी नहीं जोड़ पाए। सब आपकी तरफ़ से फिर सज़ा मुझे क्यों ? जब आप लिव-इन-रिलेशन में थे तो फिर वो हनीमून का ढोंग क्यों किया मेरे साथ। मुझे छुआ ही क्यों? शादी से पहले मेरे सरकारी नौकरी छोड़ने की शर्त ही क्यों रखी आपकी माँ ने? आपको लगा जब आप कानपुर में होंगे तो आपको सेवा के लिए दासी मिल जाएगी और जब आप मुंबई में अपनी पार्ट्नर के साथ होंगे तो वही दासी आपके माँ की सेवा करेगी, वो भी मुफ़्त में।
मैं अगली फ़्लाइट से कानपुर जा रही हूँ और आप मेरे साथ चलें और माताजी को सब-कुछ बता दें नहीं तो मैं बता दूँगी। और हाँ , आप साथ आते हैं तो डाइवोर्स का काम भी साथ ही निपटा लेंगे। अगर नहीं आते हैं तो मैं डाईवोर्स के पेपर भिजवा दूँगी। हिमांशु जो डाईवोर्स की बात पर हतप्रभ खड़ा था , हड़बड़ाता हुआ बोला ये कैसी बातें कर रही हो। माँ से कुछ मत कहना। मैं अब इसके साथ नहीं रहूँगा। तुम्हें भी साथ ले आऊँगा। मोहिता ने कहा कैसे इंसान हो तुम? तुमने कितने जिंदगियाँ ख़राब करी हैं और अब आगे भी वही करना चाहते हो। क्या हम दोनो साथ रह पाएँगे इतना सब कुछ होने के बाद ? हिमांशु फिर कहता है माँ क्या सोचेंगी ? नाराज़ हो जाएगी। मोहिता कहती है क्या बोल रहे हो? इतनी ग़लतियाँ कर चुके हो और फिर उसे दोहराना चाहते हो ! तुम जैसे डरपोक , बेग़ैरत इंसानों की वजह से ही कितनी जिंदगियाँ ख़राब हो जाती हैं या फिर घुटती रहती हैं। ना ही तुम अच्छे बेटे हो ना ही पति और ना ही अच्छे दोस्त। तुमने तो शादी का मज़ाक़ ही बना दिया है।
मोहिता अकेले ही कानपुर आती है और सासु माँ को सबकुछ बता कर डाईवोर्स के काग़ज़ात हिमांशु को भिजवा देती है।
आज की युवा पीढ़ी में ऐसी व्यवस्था आज कल बड़ी आम हो गई है। लड़के-लड़कियाँ नौकरी के सिलसिले से बड़े शहरों में जाते हैं और आधुनिकता के चक्कर में कई सारे ऐसे रिश्ते और रीति-रिवाज़ अपना लेते हैं जिन्हें वे अपने परिवार के संस्कारों की वजह से माता-पिता को नहीं बताते और फिर कई जिंदगियों को ख़राब कर देते हैं। क्षणिक मज़े और शौक़ के लिए कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिसकी भरपाई पूरे परिवार को करनी पड़ती है। सभी लड़कियाँ मोहिता की तरह फ़ैसले नहीं ले पाती और ज़िंदगी भर घुटती रहती हैं। समाज में आ रहे इस नए लाइफ़-स्टाइल से निपटने के लिए हमें अपने बच्चों-बेटे और बेटियों की वैल्यू सिस्टम को मज़बूत करना होगा। संस्कार और आधुनिकता के बीच सामंजस्य बैठाने की कला और हिम्मत हमें एक अभिभावक के तौर पर बच्चों में देने होंगे। उसमें मज़बूती से निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना होगा।