ब्लैक ब्यूटी - 1
ब्लैक ब्यूटी - 1
मेरा जन्म बहुत पहले इंग्लैण्ड के एक फ़ार्म हाउस में हुआ था। यह एक समृद्ध भूमि थी, जंग़लों, तालाबों और घास के मैदानों से भरपूर ! यह समय मोटरगाड़ियो, लॉरियों और ट्रैक्टरों से पहले का था जब खेती-बाड़ी का, ज़मीन की मशक्कत और जुताई का और माल असबाब तथा लोगों से भरी गाड़ियों को खींचने जैसा भारी काम घोड़े ही किया करते थे।
असल में देश के भीतर सफ़र करने के लिए या तो पैदल चलना पड़ता था या फिर, घोड़ागाड़ी या घोड़े की पीठ पर सवारी करनी पड़ती। मतलब यह कि हम हर इन्सान की ज़िंदगी का अहम् हिस्सा थे– जैसे कि दुनिया के दूसरे हिस्से- अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका वगैरह में आज भी है !
मेरे छुटपन की बातें तो मुझे ज़्यादा याद नहीं हैं। मुझे घास का एक बड़ा मैदान याद है, उसमें कुछ पेड़ हुआ करते थे और गर्मी के दिनों में मेरी माँ एक पेड़ के नीचे खड़ी रहती और मैं उसका दूध पिया करता था। यह मेरे बड़े होकर अपने आप घास खाना शुरू करने से पहले की बात है।
खेत में कुछ और भी छोटे घोड़े थे, जैसे जैसे हम बड़े हो रहे थे हम खूब खेलते और दौड़-दौड़ कर खेत के चक्कर लगाते। हम छलांगें लगाते या पीठ के बल घास पर लेट कर ख़ुशी से हवा में अपने पैर उछालते। पीठ पर गरम धूप और पैरों के नीचे हरी घास का होना बहुत अच्छा लगता।
हमें जीने का मज़ा आ रहा था।
जब मैंने दूध पीना बंद किया, तो माँ हर रोज़ काम पर जाने लगी, जब शाम को वह घर लौटती, तो मैं दिन भर का हाल उसे सुनाता।
“तुम ख़ुश हो, यह देखकर अच्छा लगता है,” उसने कहा। “जितना हो सके उतना खेलते रहो, क्योंकि इससे तुम्हें मज़बूत और तंदुरुस्त बनने में मदद मिलेगी मगर तुम्हें यह बात याद रखनी चाहिए कि तुम दूसरे छोटे घोड़ों की तरह नहीं हो। वो सब खेतों में काम करने वाले घोड़े हैं। वो अच्छे घोड़े हैं, मगर हमारे जैसे नहीं हैं। तुम्हारे पिता मुल्क के इस हिस्से में काफ़ी मशहूर हैंऔर तुम्हारे नाना – मेरे पिता को – लॉर्ड वेस्टलैण्ड का बेहतरीन घोड़ा माना जाता था। जब तुम थोड़े बड़े हो जाओगे, तो तुम लोगों को अपनी पीठ पर ले जाना या उन्हें गाड़ियों में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना सीखोगे।”
मैंने पूछ, “क्या तुम्हारा यही काम है, माँ ? क्या तुम किसान के ग्रे लिए यही करती हो ?”
“हाँ, मैं यही करती हूँ, किसान ग्रे कभी-कभी मेरी सवारी करता है और कभी मुझे अपनी गाड़ी में जोतता है, लो, वह आ गया।”
किसान ग्रे खेत में आया। वह अच्छा, सहृदय आदमी था और वह मेरी माँ को बहुत पसन्द करता था। वह बड़ा हुनरमन्द था, मगर सभी घोड़ों, बल्कि सभी जानवरों के प्रति दयालु था।
वह हौले से मेरी माँ के पास आया और उसकी गर्दन थपथपाने लगा।
"तो, मेरी प्यारी डचेस,” उसने कहा, “तुम्हारे लिए ‘कुछ’ लाया हूँ !” उसने उसे खाने के लिए कोई अच्छी चीज़ दी- “और तुम्हारा नन्हा बेटा कैसा है ?” उसने मुझे थपथपाया और खाने के लिए डबलरोटी दी, जो बहुत बढ़िया थी।
हम उसे जवाब तो नहीं दे सके, मगर मेरी माँ ने ज़ाहिर किया कि वह उससे प्यार करती है – उसने उसकी बाँह पर अपनी नाक रगड़ी, उसने उसे थपकी दी मुस्कुराया और चला गया।
“यह बहुत भला है,” मेरी माँ ने कहा, “और तुम्हें उसे ख़ुश रखना सीखना चाहिए, हमेशा अपना काम खुशी-खुशी करो, और न तो कभी लात मारो, न ही काटो ! तब वह तुम्हारे साथ हमेशा अच्छा ही रहेगा।”