पहली नज़र का ख़ास प्यार
पहली नज़र का ख़ास प्यार
अमित अपनी कजिन सिस्टर की शादी मे जयपुर आया था। वह दिल्ली में इंजीनियरिंग का फाइनल यीअर का स्टूडेंट है। आज उसकी कजिन की सगाई थी व दो दिन बाद शादी।
अमित पहली बार जयपुर आया था इसलिए वो पूरे एक हफ्ते की छुट्टी लेकर आया था ताकि वह कजिन सिस्टर की शादी के बाद जयपुर भी घूम सके। आज घर में बहुत चहल-पहल थी। सब लोग मौज मस्ती के मूड में थे। अमित एक एकांत पसन्द लड़का था। उसको इस मस्ती से कोई मतलब नहीं था। उसके कजिन भाई उसका ध्यान रख रहे थे लेकिन उनसे भी उसने कहा कि वो लोग एन्जॉय करें यदि कोई जरूरत होगी तो वह कह देगा।
घर मे गीत संगीत बज रहा था। डी जे भी लगा था। घर के आँगन में एक तरफ पीने पिलाने का भी कार्यक्रम था। उसके कजिन भी छुप कर पी रहे थे और उन्होंने उसे भी ऑफर दिया लेकिन उसने मना कर दिया।
वह समझ रहा था कि कुछ लग्न में आई लड़कियां उसमे दिलचस्पी ले रही थी लेकिन वह ही उनको घास नहीं डाल रहा था।
जब वह इस भीड़ में भी बोर होने लगा तो वह अपनी कजिन सिस्टर श्वेता के कमरे में पहुँचा। श्वेता अकेले बैठी थी साथ मे एक लड़की उसके मेहंदी लगा रही थी। श्वेता देखते ही बोली- 'आओ अमित, तुम एन्जॉय नहीं कर रहे।'
'नहीं दीदी ये बात नहीं, में एंजॉय कर रहा हूँ बस तुमसे मिलने चला आया।'
अब अमित ने मेहंदी लगाती लड़की को नजदीक से देखा। वह एक साधारण सी दिखने वाली सुंदर लड़की थी।
अमित को उसकी तरफ देखते हुए देख श्वेता बोली- 'अमित ये मेरी क्लास फेलो कीर्ति है।'
ये सुनकर अमित ने तुरन्त कीर्ति से नज़र हटा ली और वह झेंप गया।
'ये अपना ब्यूटी पार्लर चलाती है।' श्वेता ने आगे कहा।
तभी बाहर से श्वेता का बुलावा आ गया। श्वेता बाहर चली गई।
अब वहां कीर्ति और अमित ही थे। अमित ने महसूस किया कि वह कुछ बुझी हुई और अपने में खोई थी। उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि वह भी इस कमरे में था। उसने तुरंत अपनी मेहंदी को इक्क्ठा किया और डब्बे में डालकर चलने लगी।
अमित बोला- 'अरे दीदी आ जाये तो उनके बाद जाना और खाना तो खा लो।' लेकिन जैसे उसने कुछ नहीं सुना वह बिना जवाब दिए बाहर निकल गई।
अमित को उसको देख कुछ हुआ था शायद उसकी चुप्पी ही उसे भा गई।
अमित उसको जाते हुए देखता रहा जैसे उसकी जान निकल कर जा रही हो। उसका मन था कि वह रुक जाए।
अमित अगले दो दिन उसी के बारे में सोचता रहा लेकिन दीदी से इसलिए नहीं पूछा कि वह क्या समझेंगी। लेकिन उसका मन था कि वह कीर्ति के बारे में ओर जाने लेकिन वह हिम्मत नहीं जुटा पाया। श्वेता उसकी मनोदशा समझ रही थी क्योंकि वह कई बार उसके पास आया लेकिन कुछ नहीं बोला। श्वेता को चिंता भी थी क्योंकि अमित, कीर्ति के बारे में कुछ नहीं जानता था।
शादी के दिन कीर्ति फिर आई श्वेता की शादी के लिए उसे सजाने। वह उस दिन सफेद कपड़ों में थी। अमित को कुछ समझ नहीं आया कि एक शादी में कोई सफेद कपड़ों में कैसे आ सकती है लेकिन उन कपड़ों में वह परी लग रही थी। अमित का तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था। श्वेता ने भी अमित के चेहरे पर कीर्ति को देखते ही चमक देखी थी।
लग्न की तरह ही शादी में भी कीर्ति चुप ही रही। शादी हो गई लेकिन वह श्वेता के कमरे से नहीं निकली जैसे उसे चमक से डर लगता था।
बारात खाना खा चुकी थी लेकिन तब भी कीर्ति ने खाना नहीं खाया। अमित उसके लिए घर के अंदर खाना ले गया लेकिन उसने मना कर दिया।
कीर्ति ने श्वेता का श्रृंगार किया और अपना सामान समेट चली गई।
इस बीच अमित बाहर गया और आकर देखा तो कीर्ति वहाँ नहीं थी। श्वेता ने अमित को कीर्ति का एड्रेस देते हुए कहा- 'अमित तुम कीर्ति के बारे में कुछ नहीं जानते और यदि जान जावोगे तो तुम शायद उसकी तरफ देखो भी ना। ये उसका एड्रेस है कल पहले उससे मिलो ओर उसको जानो फिर मुझसे बात करना। हाँ एक बात कहूँ वह बहुत अच्छी लड़की है।'
अमित को कुछ समझ नहीं आया। तभी तारों की छाँव में श्वेता की विदाई का समय आ गया। श्वेता विदा हो गई।
सुबह अमित तैयार होकर कीर्ति के पते पर पहुँचा। उसने देखा कि वह एक कॉलोनी में एक छोटा सा कमरा था जिसमे की किचन, बैडरूम सब एक जगह ही था।
अमित को देखते ही कीर्ति के चेहरे पर प्रश्नवाचक भाव थे। उसने पहली बार मुहँ खोला 'आप यहाँ ?'
'जी आपसे मिलने आया हूँ, दीदी ने आपका पता दिया था।' अमित बोला।
तभी बाहर से एक बुजुर्ग महिला एक बच्चे को लाई और उसके गोद में देकर चली गई।
अमित अभी भी नहीं समझ पा रहा था। कीर्ति ने अमित को बेड पर बैठने का इशारा किया। वह खुद बच्चे को लेकर नीचे चटाई पर बैठ गई। थोड़ी देर तक कमरे में सन्नाटा था।
'अमित जी आप एक अच्छे घर के लड़के हो इसलिए आपको मुझसे दूर रहना चाहिए।' कीर्ति ने चुप्पी तोड़ी।
अमित हकलाकर बोला 'जी में समझा नहीं।'
'अमित जी भगवान ने हर एक लड़की को एक तीसरी नजर दी है जिससे वह समझ जाती है की उसके पास आने वाला लड़का क्या चाहता है।' कीर्ति ने सर्द आवाज में कहा।
अब अमित समझ गया कि कीर्ति सब जान गई है। वह तुरन्त बोला 'कीर्ति जी में आपसे पहली नजर में ही आपकी सादगी पर मर मिटा हूँ और साफ शब्दों में कहूँ तो आपसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ।' अमित एक साँस में ही सब कह गया और नजर झुका ली।
कीर्ति ने अमित को वारी जाने वाली नजरों से देखा उसकी आँखों में आँसू थे। दूसरे ही पल उसने अमित से नजरें हटा ली।
'अमित जी आप जानते हो ये किसका बच्चा है ?'
अमित ने प्रश्नसूचक निगाह से आँख उठाकर कीर्ति की तरफ देखा। 'ये मेरा बच्चा है, मैं एक माँ हूँ और मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया है। मैं एक तलाकशुदा औरत हूँ।' कीर्ति की आवाज में दृढ़ता थी।
अमित एक दम चौंका, लेकिन उसने अपने आप को संभाला।
अमित उठा और उसने कीर्ति की गोद से उस बच्चे को अपनी गोद मे लिया। वह एक प्यारा बच्चा था जो अमित की गोद मे आकर मुस्कुरा रहा था।
कीर्ति के चेहरे पर मिले जुले भाव थे आँसू अभी भी उसकी आँखों में थे।
'बस इतनी सी बात और ये तो अच्छी बात है कि आप तलाकशुदा हो । भगवान शायद यही चाहता था कि तुम्हारा प्यार मुझे मिले।' अमित बच्चे से खेलते हुए बोला।
'अमित जी ये तलाकशुदा और वो भी एक बच्चे की माँ से कोई शादी नहीं कर सकता। ये कुछ समय का आकर्षण है, जब दुनिया वाले तुम्हें ताने देंगे तो ये प्यार सब हवा हो जाएगा।' कीर्ति अब थोड़े कड़े शब्दों में बोली।
'कोई सच्चा प्यार इतना छोटा नहीं होता कीर्ति जी की वो दुनिया से ना लड़ पाए। मैं बताऊँगा और समझाऊँगा अपने परिवार को जो कि मेरा संसार है और दुनियादारी से मुझे कोई मतलब नहीं।' अमित भी सीधे शब्दों में बोला।
'अमित जी मैं तुमसे बड़ी हूँ और आपकी दीदी की क्लास फेलो थी और तुम मेरे बारे में नहीं जानना कि मैं कैसे तलाकशुदा हुई।'
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता में सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ और इस बच्चे को गोद में लेकर प्रार्थना करता हूँ कि मेरा प्यार स्वीकार करो, मैं तुम्हे जिंदगी भर इसी तरह प्यार करूँगा। आप छोटी हो या बड़ी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप यदि तलाकशुदा हो तो इसमें तुम्हारी क्या गलती। मुझे कुछ नहीं जानना और न ही मैं पूछूँगा की इस प्यारे बच्चे का बाप कौन है। अब से आप और ये बच्चा मेरा परिवार है।' अमित ने लगभग तेज आवाज में ये बात कही।
कीर्ति अब एक पवित्र नजर से अमित को निहार रही थी जो कि बच्चे में खोया था।
कीर्ति अतीत में खो गई। फाइनल ईयर में ही उसकी शादी एक अमीर घराने में हुई वह बहुत खुश थी लेकिन उसकी खुशी एक साल में ही बिखर गई क्योंकि उसके ससुराल वाले कर्ज में डूबे थे और उन्होंने कीर्ति से शादी उसकी विधवा माँ का मकान और जमीन हथियाने के लिए की थी। उसकी शरीफ माँ ने अपने नाती के होते ही घर जमीन जायदाद अपने दामाद के नाम कर दी। यहीं गलती हुई। उसके ससुराल वालों ने सब अपने पास आते ही उस पर लांछन लगा कर तलाक दे दिया और इसी ग़म में उसकी माँ चल बसी। उसके बाद उसने ब्यूटी पार्लर का काम कर लिया और इस कॉलोनी में किराए पर रहने लगी।
तभी अमित ने कीर्ति को गले लगा लिया उसके एक हाथ मे बच्चे को पकड़ रखा था। वह अचानक अतीत से बाहर आई।
कीर्ति ने तुरंत अमित के पाँव छू लिए।
अमित ने उसको धमकाया की यह वह उस पर एहसान नहीं कर रहा है ये एक नारी का सम्मान है और उसे भी खुशी से जीने का पूरा हक़ है।
कीर्ति अब खुलकर रो दी। आँसू उसके अविरल बह रहे थे। अमित ने भी उसे रोने दिया। अमित के चेहरे पर खुशी थी।
वह उसको ले जाने के लिए कह कर वापिस आ गया।
दो दिन बात श्वेता ससुराल से वापिस आ गई थी। वह अमित के फैसले से खुश थी उसने अमित की हिम्मत की दाद दी। वापिस दिल्ली आकर अमित ने सबको समझाया सब ना नुकर करके मान गए। सब अमित की तारीफ कर रहे थे।
अमित की शादी कीर्ति से हुई। सुहागरात की रात कीर्ति, अमित से लिपटकर खूब रोई उसका सारा दर्द आँसूओं में निकल गया था। अमित के हाथ से बच्चा जा ही नहीं रहा था, वह कीर्ति की गोद में आते ही रोने लगता और अमित उसे अपनी गोद मे लेता तो वह चुप हो जाता।
कीर्ति ये सब प्यार भरी नजर से देखे जा रही थी।
कीर्ति अब अमित को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार देती। शादी के बाद अमित और कीर्ति जब श्वेता से मिले तो कीर्ति उसके गले लगकर खूब रोई उसने श्वेता को धन्यवाद दिया कि उसकी वजह से अमित उसकी जिंदगी में आया।