बेटी धर्म
बेटी धर्म


"माँ-ये अंकल कौन, थे जिनसे आप इतनी गर्मजोशी से बात कर रही थी, मैंने बीस साल में पहले बार आपके चेहरे पर एक सच्ची मुस्कान देखी थी?"-टिंकल ने उसको देखने आए मेहमानों के जाते ही अपनी माँ से प्रश्न किया।
टिंकल की बात सुन माँ सकपका गई और तुरन्त बोली "टिंकल, अरे कुछ नहीं, ये तो तुम को देखने आये संजय के पिता थे, मेरे साथ कॉलेज में पढ़ते थे।" माँ की आवाज़ सर्द थी। ये कह कर टिंकल की माँ चुप हो गई और दूसरी तरफ़ मुँह करके सब्जी काटने में लग गई। सन्नाटा देख माँ को लगा टिंकल चली गई लेकिन आँखों में आँसू ले वह पलटी तो देखा कि टिंकल अभी भी दरवाज़े से सट कर खड़ी थी। टिंकल आगे बढ़ी और माँ को गले से लगा लिया। माँ की आँखों से अब आँसू अविरल बह निकले।
टिंकल ने बीस साल से उसके पापा को उसकी माँ की इज़्ज़त करते नहीं देखा था। उसकी माँ से शादी करके, पापा उसके नाना के मरने के बाद उनकी इंडस्ट्री के मालिक बन गए। इंडस्ट्री आते ही उन्होंने उसकी माँ को परेशान करना शुरू कर दिया ऊपर से टिंकल एक लड़की पैदा हो गई तो उसके पापा के ज़ुल्म और बढ़ गए थे। वो एक लड़का चाहते थे ताकि उनको एक वारिस मिल सके। माँ को गम्भीर बीमारी लगी जिससे वो आगे कोई औलाद पैदा नहीं कर पाई। टिंकल को उसकी माँ ने पूरी आज़ादी दी थी ताकि वो उसके पापा का सहारा बने। उसके पापा अब घर कम ही आते थे सारे समय वो बिज़नेस टूर पर ही रहते थे। आज भी उसको लड़के वाले देखने आए थे लेकिन वो घर पर नहीं थे। टिंकल भी अपने पापा के जब भी पास जाती तो वो उसे नज़रअंदाज़ करके चले जाते।
माँ को ले टिंकल उनके बैडरूम पहुंची और उनको बेड पर बिठाती हुई बोली "माँ में उन अंकल के बारे में जानना चाहती हूँ।" माँ ने आनाकानी की तो उसने उनका हाथ अपने सिर पर रख दिया "माँ, आपको मेरी कसम"! अब तो माँ असहज हो बोली "टिंकल मैंने और संजय के पापा ने वचन लिया था कि ये बात किसी को पता नहीं चलेगी लेकिन तुम भी वचन दो की मेरी कही बात इसी कमरे में रहेगी। तुम इसके बारे में किसी को नहीं बताओगी"! टिंकल ने हां भरी।
"उनका नाम राहुल है, वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ते थे, पढ़ने में माहिर, किसी भी तरह की कॉलेज की चमक दमक से दूर हमेशा गंभीर, ग़रीब थे शायद इसलिए। मैं उनकी इसी बात से आकर्षित थी। मैं पढ़ाई में अटकती तो उनसे ही मिलती। वो भी बिना चेहरे को देखे सब कुछ बताते और फिर पढ़ाई में लग जाते। एक बार वो एक हफ़्ते से कॉलेज नहीं आये। किसी तरह उनके एक दोस्त से पता लेकर घर पहुंची तो देखा कि वो छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे थे। किराये का घर था शायद, वो पढ़ाई के लिए ही इस शहर में आये थे। मुझे देख सकपका गए। उन्हें उम्मीद नहीं थी की मैं उनके पास पहुंच जाऊंगी। उन्होंने चाय बनाई। चाय पीते हुए पूछने पर बताया कि वो पढ़ाई छोड़ने की सोच रहे है, क्योंकि पिछले एक साल से वो फ़ीस नहीं दे पाए थे। बात करते वक्त भी उन्होंने मेरे चेहरे को नहीं देखा था। मैंने उनको फ़ीस देनी चाही तो वो मना करने लगे। आखिर ये कहने पर की उधार ही ले लो कमा कर दे देना। पहली बार उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखा था। उनकी आँखों में आँसू थे लेकिन बाहर नहीं आ रहे थे। में भी उनकी आंखों देख सम्मोहित हो गई। अगले दिन वो कॉलेज आये और हमारी नजदीकियां भी बढ़ने लगी थी। कॉलेज खत्म हुआ तो में उन्हें ले तुम्हारे नाना के पास पहुंची, और उनसे शादी की इच्छा जताई। वो तो मुझसे मना करते रहे कि वो मेरे लायक नहीं है पर मेरी ज़िद में वो हार गए। लेकिन जो होता आया था वही हुआ तुम्हारे नाना ने उन्हें गरीब समझ बेइज्जत कर घर से निकाल दिया।
अगले दिन हम मिले तो मैंने उनसे माफ़ी मांगी और मेरे साथ भागकर शादी करने को कहा। लेकिन उन्होंने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए और बोले "आज के बाद मुझसे मत मिलना, तुम्हें मेरी कसम, मैं किसी बुजुर्ग की बददुआएँ लेकर आपसे शादी नहीं कर सकता।"
कुछ समय बाद पता चला कि उनके पिता के कहने पर उन्होंने शादी कर ली थी। उनकी पत्नी मन्दबुद्धि थी, कई बार तो उसने उन पर पुलिस केस भी किया लेकिन उन्होंने फिर भी उससे रिश्ता निभाया। तब तक उनका बेटा संजय पैदा हो गया था। वो भी मेहनत कर के काफी समृद्ध हो गए थे। वो बिना पूछताछ किये ही तुम्हें देखने आए तो मेरी उनसे मुलाकात हुई। काश में भागकर उनसे शादी कर लेती तो मैं भी खुश रहती, तुम्हारे पापा भी मुझसे ना मिलते और वो भी अपनी पत्नी से नहीं मिलते, सब खुश रहते।" माँ एक ही सांस में सारी बात कह गई।
टिंकल ने माँ को बैठे ही फिर गले से लगा लिया। अब तो माँ सिसकियाँ लेकर रो पड़ी।
टिंकल के भी आँसू निकल आये।
"माँ मैं अब संजय से ही शादी करूंगी, शायद मैं किसी एक घर को तो खुश रख सकूँ क्योंकि इस घर में तो मैं पापा का प्यार न पा सकी और ना ही उन्हें खुश कर पाई शायद उस घर में ये सब कर सकूँ और आपके प्रति मेरा बेटी धर्म निभा सकूँ।" इतना कह टिंकल मुस्कुरा दी। माँ की आँखों में चमक थी।
"टिंकल वो तुम्हें बहुत प्यार देंगे देख लेना, वो तुम्हें वो प्यार देंगे जो तुम्हे तुम्हारे पापा नहीं दे पाए।"
वो दोनों गले मिल रो रही थी। दोनों के दिल हल्के हो रहे थे। सालों का गुबार निकल रहा था शायद।