Rajesh Mehra

Children Stories

4.5  

Rajesh Mehra

Children Stories

मन्नू और जादूगर

मन्नू और जादूगर

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बहुत समय पहले की बात है। रामु कुम्हार अपने बेटे मन्नू और अपनी पत्नी के साथ, ताजपुर गांव में रहता था। रामु दिनभर मेहनत करके मिट्टी के बर्तन बनाता और उसकी पत्नी उनको बाजार में बेच आती थी।उसकी पत्नी और बेटा मन्नू भी ईसमय उसकी पूरी सहायता करते। 

रामु का घर गांव में नदी के किनारे था अतः उसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी।

मन्नू बहुत ही समझदार और लायक बेटा था। वह गांव के स्कूल में पढ़ता था इसलिए घर के पैसों का हिसाब वही रखता था। साथ ही किसको कितने बर्तन देने है, किस पर कितना उधार है इत्यादि को भी संभालने में वह अपने पिता और माँ का साथ देता था। 

रामु पूरी मेहनत और लगन से बर्तन बनाता लेकिन फिर भी उनको बेचकर वह इतना नही कमा पाता था जिससे कि वह अपना और अपने परिवार का पूरा पेट भर सके। रामु इसी बात से चिंतित रहता था कि उसकी वजह से मन्नू और उसकी पत्नी को भी बहुत मेहनत करनी पड़ती थी लेकिन फिर भी वो भर पेट खाना नही खा पाते थे और ना ही उन्हें अन्य जरूरत की चीजें मिल पाती थी।

मन्नू भी अपने पिता का दुःख समझता था। अतः उसने अपने पिता की मदद करने की ठानी।

मन्नू ने अपने पिता और माँ से बात की और उनको बताया कि वो भी मिट्टी के खिलौने बनायेगा तथा उनको स्कूल से आने के बाद गांव गांव में जाकर बेचेगा। पहले तो उसके पिता और माँ राजी नही हुए लेकिन मन्नू ने जब समझाया कि वो अपनी पढ़ाई का भी ध्यान रखेगा तो वो सहमत हो गए।

अब मन्नू खुद सुंदर सुंदर मिट्टी के खिलोने बनाता और अगले दिन उन्हें गांव में बेच आता।

मन्नू की मेहनत से रामु की आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी थी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अभी उनके ऊपर ओर एक विपदा आने वाली थी।

दरअसल एक जादूगर था उसे अपनी साधना के लिए नदी किनारे केई जगह चाहिए थी और उसे रामु की झोपड़ी वाली जगह पसंद आ गई थी। लेकिन रामु उसे कई बार अपनी जगह देने से इनकार कर चुका था लेकिन जादूगर किसी भी तरह उसकी झोपड़ी को लेना चाहता था।

जादूगर ने रामु को पैसों का बहुत लालच दिया लेकिन रामु हमेशा उससे कहता कि वह उसके बाप दादाओं की निशानी है और वह किसी भी कीमत पर उसे नही बेचेगा।

अब जादूगर ने चालबाजी और अपनी जादूगरी की शक्ति के बल पर रामु की जमीन को हड़पने की योजना बनाई।

एक दिन रामु जब अपने बर्तन बेचने बाहर गया हुआ था जादूगर रामु का रूप बनाकर उसके घर पहुंच गया। शाम को रामु जब अपने घर पहुंचा और वहां पर पहले से मौजूद रामु को देखकर अचंभित रह गया। रामु की पत्नी भी अब दोनों को देख अचरज में थी उसे पता नही लग रहा था कि असली रामु कौन है।

थोड़ी देर में मन्नू भी खिलोने बेचकर घर आया और अब वो भी परेशान था कि उसका असली पिता कौन है।

मन्नू ने अपनी रोती हुई माँ को तस्सली दी और कहा कि सब ठीक हो जाएगा। 

पूरे गांव में खबर फैल गई और लोग रामु के घर के बाहर इक्कठा हो गए।

सबने सरपंच से फैसला करने को कहा लेकिन सरपंच भी दोनों से बाते करके यह निर्णय नही ले पाया कि असली रामु कौन है।

तभी मन्नू के दिमाग मे आया कि जो कोई भी उसके पिता का रूप लिए हुए है वह कोई जादुई शक्ति जनता है और तुरन्त उसके दिमाग मे एक उपाय सुझा।

वह उन दोनों के सामने पहुंचा और बोला 'तुम दोनों में से जो कोई भी मेरा पिता है तो उसे पता होगा कि मेरे पिता में एक शक्ति थी कि वो मिट्टी के मटके के अंदर जा सकते थे, अतः मेरा पिता वही है जो मिट्टी के मटके में जायेगा।' 

ये सुन जादूगर ने सोचा कि हो सकता है ये शक्ति रामु में हो तो वह तुरन्त रामु के वैसा करने से पहले जादू के बल से मटके के अंदर चला गया और अंदर से बोला 'देखो में अंदर आ गया अब तो विश्वास हो गया कि में ही असली रामु हूँ।'

इतना सुनते ही मन्नू ने मटके का मुहं एक पत्थर से ढक दिया।

सारे गांव वालों और उसके पिता और माँ को समझ नही आ रहा था कि ये हो क्या रहा है।

तभी मन्नू बोला 'तुम जो इस मटके में हो कौन हो बताओ वर्ना में इसका मुहं बन्द करके नदी में डाल आऊंगा?' इतना सुनकर जादूगर घबरा गया और बोला 'जो बाहर खड़ा है वही तुम्हारा असली पिता है में तो जादूगर हूँ।'

इतना सुन उसके पिता और माँ ने मन्नू को बारी बारी से गले लगा लिया।

सारे गांव वाले मन्नू की बुध्दिमता से प्रसन्न हुए।

उधर जादूगर उसे छोड़ देने की मन्नते कर रहा था।

मन्नू ने कहा कि आज के बाद यदि वह यहां से चला जायेगा इसी शर्त पर वह उसे आजाद करेगा।

जादूगर सहमत हो गया। मन्नू ने उसे आजाद कर दिया। अब वह अपने असली रूप में था। उसने मन्नू के सिर पर प्यार से हाथ फेरा ओर वहां से चला गया।

मन्नू के परिवार में खुशियां फिर लौट आई थी।


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