आवारा भाई
आवारा भाई


'मैंने कितनी बार तुम्हे समझाया है भैया की उस उमेश के साथ मत रहा करो। वह अच्छा लड़का नहीं है। हमेशा देखो आवारा लड़कों के साथ घूमता रहता है। अब देखो उसे कोरोना हो गया है अब तो उसका साथ छोड़ दो।' मंजू दीदी ने आकाश को डांटते हुए समझाया।
'दीदी, वह गलत लड़का नहीं है। पढ़ा लिखा है लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल रही इसलिए वह परेशान हो घूमता रहता है ताकि उसे कहीं से नौकरी मिल जाए। कोरोना तो उसे पिछले मोहल्ले के नानू काका की मदद करते हुआ है, उसमें उसकी क्या गलती है वह तो मदद ही कर रहा था।' आकाश ने जवाब दिया।
लेकिन मंजू संतुष्ट नहीं थी उसने आकाश को उमेश से दूर रहने और उससे दोस्ती तोड़ने को कहा।
एक हफ़्ते बाद पता चला कि मंजू को उसके आँफिस के एक संक्रमित सहपाठी के सम्पर्क में आने से कोरोना हो गया। कुछ दिनों बाद उसकी हालत खराब थी। मंजू पर वेंटिलेटर लगाया गया लेकिन उसकी हालत ख़राब होती गई। आकाश और मंजू के माता पिता का रो कर बुरा हाल था। एक दिन मंजू की हालत ज्यादा खराब हो गई। मंजू को लगा कि वह नहीं बचेगी। वह बेहोश हो गई।
मंजू को होश आया तो उसने देखा कि आकाश उसके पास था उसकी आँखों मे आँसू थे।
मंजू कुछ बोलती उससे पहले ही आकाश बोला 'देख लो दीदी, तुम्हें उमेश ने ही अपना प्लाज्मा देकर बचाया है। हमारे दो रिश्तेदारों से प्लाज्मा मांगा था लेकिन किसी ने मदद नहीं की। तुम्हारी हालत देख उमेश ही मदद को आगे आया। क्योंकि वह कोरोना से ठीक हुआ था इसलिये उसका प्लाज्मा ही काम आया।'
मंजू ने देखा कि उमेश ने उसके मम्मी पापा को पकड़ा हुआ है क्योंकि वो रोये जा रहे थे।
कमजोर मंजू ने उमेश को इशारे से बुलाया। उमेश जब पास आया तो मंजू ने उसका हाथ पकड़ा और रोने लगी।
उमेश बोला 'अरे मंजू दीदी आप रो रही हो, आप तो एक स्ट्रांग दीदी हो। हम सबको आप पर नाज़ है।'
मंजू की आंखों में आँसू बह निकले। वह बोली 'उमेश भैया में तुम्हें कितना गलत समझती थी। आप तो फ़रिश्ता हो। आज से मेरे दो भाई है।'
अब उमेश के भी आँसू आ गए। वह बोला 'दीदी इस राखी ये मेरा सबसे प्यारा गिफ्ट है।'
सब लोग मुस्कुरा दिए।