जीत
जीत
शालिनी मतलब एक जीती जागती दुनिया, जो खुद के साथ दूसरों के लिए भी जीने की प्रेरणा बन जाएं। अपनी गृहस्थ जीवन की सारी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए शालिनी जी अब उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंँच चुकी थी, लेकिन उनका जोश और काम करने का जुनून उनकी उम्र को भी मात दे रहा था। वैसे तो प्रोफेशनली वो कुछ नहीं करती थी लेकिन लगातार लिखते रहने से उनके क्षेत्र-जवार के लोग उन्हें लेखिका के रूप में जानने लगे थे। शालिनी जी अपनी बेटी के साथ ही रहती और अपने पढ़ने लिखने वाले कमरे में सदैव व्यस्त रहती। लिखने के अलावा शालिनी जी का एक और शौक़ था वो था अपनी बिटिया और उसके बच्चों के लिए नए-नए पकवान बनाना लेकिन लोगों का झुंड और भीड़- भड़ वाले इलाक़े शालिनी जी को बिल्कुल पसन्द ना थे और यह बात उनकी बेटी बहुत अच्छे से जानती थी, फिर भी आज किसी तरह से उसने शालिनी जी को अपनी ऑफिस के फ़ैमिली पार्टी के लिए तैयार कर लिया था।
शालिनी जी अपनी बेटी के साथ पार्टी में पहुंच चुकी थी। संगीत और खान पान के साथ पार्टी शुरू हो चुकी थी, लेकिन जहां एक तरफ लोग आपस में बातचीत करने में व्यस्त थे, वहीं दूसरी तरफ तेईस-चौबीस साल की एक लड़की चुपचाप एक किनारे उदास सी बैठी हुई थी। शालिनी जी को उस लड़की का उदास चेहरा देखा ना गया और वो उसके पास जाकर बैठ गई और बोली...
"बेटा, तुम्हारा क्या नाम है ?"
"पीहू"
"अरे वाह, बहुत प्यारा नाम है। क्या करती हो ?"
"जी, कुछ नहीं।"
"अरे, तुम तो नए उमर कि बच्ची हो, कुछ तो सोचा ही होगा करने के लिए।"
"कभी -कभी कुछ सोचने से कुछ नहीं होता, क्योंकि जिन्दगी आपको इतना वक्त नहीं देती कि आप अपने सपनों को पूरा कर सको।"
"अरे ऐसा नहीं बोलते बेटा, अगर आपके सपने सच्चे है और मन में दृढ़ विश्वास हो तो बुरा से बुरा वक्त भी बदल जाता है। ऐसे साहसी व्यक्ति का साथ स्वयं ईश्वर देता है, और जहांँ ईश्वर का आशीर्वाद हो, वहांँ असंभव भी संभव बन ही जाता है।"
"देखिए आन्टी, मै आपको नहीं जानती और जानना भी नहीं चाहती। आप अपनी उम्र जी चुकी है इसलिए आपको दूसरों को सलाह देना आसान है।"
"बेटा, मुझे मेरी जिंदगी मेरे सपनों के वजह से ही मिली क्योंकि मैंने जो सोचा उसको पूरा करने के लिए अपने दिमाग़ में सदैव पॉजिटिव विचार रखें और अपने सपनों को पूरा किया।"
"देखिए, आप मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानती , तो मैं आपको बता दूँ, मैं अपनी मासूम ज़िन्दगी और जानलेवा कैंसर के बीच जंग लड़ रही हूंँ और आप मेरी इस मनोदशा को नहीं समझ सकती।"
"बेटा, मैं बिल्कुल समझ सकती हूंँ क्योंकि जो जंग तुम लड़ रही हो ना, वो मैं अपने सपनों के दम पर जीत चुकी हूंँ।"