प्रतियोगिता
प्रतियोगिता
"राहुल कल जिला स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता है, हमारे स्कूल से तुम्हारा नाम ही भेजा गया है, तुम जाओगे न?" बोलो !!
चुप क्यों हो? रीता मेम ने फिर पूछा
"जी मेम" राहुल ने कहा
"ठीक कल सुबह 8 बजे गांधी हॉल में ही मिलूँगी मैं तुम्हें"
जी मेम!
"अरे राहुल तुम आ गये लेकिन तुम अपने कलर्स वगैरह कुछ नहीं लाये?" प्रश्न के उत्तर में राहुल ने गर्दन हिलाई
"सभी छात्र अपने नियत स्थान पर बैठ जाये वही आपको ड्राइंग शीट उपलब्ध करवा दी जाएगी" अनाउंसमेंट हो चुका था
राहुल चुपचाप बैठ गया।
प्रतियोगिता का समय एक घण्टे का था ,मेम लगातार उसे देख रही थी, राहुल ने जेब से पेंसिल निकाली और अपना काम शुरू कर दिया।
शीट जमा हो चुकी थी,बस रिजल्ट आने ही वाला था।
और रिजल्ट सुनकर रीता मेम उछल पड़ी,
राहुल को स्टेज पर बुलाया गया, निर्णायक महोदय ने उसकी तारीफ तो की लेकिन प्यार से गाल सहलाते हुए पूछा-"बेटा आपने कलरफुल चित्र क्यों नहीं बनाया, और जो बनाया उसके पीछे कोई कारण??" जवाब चौंकाने वाला था। "मेरे पापा बहुत बड़े आर्टिस्ट थे, लेकिन अचानक पेरेलिसिस से उनका आधा शरीर खत्म हो गया,अब उनके पास एक हाथ और एक पाँव ही है" आँखें भरी थी राहुल की, लेकिन पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था।