Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr Jogender Singh(jogi)

Inspirational

3  

Dr Jogender Singh(jogi)

Inspirational

मित्र

मित्र

3 mins
355


"सोचा तुम्हें डिस्टर्ब कर दूँ " वो धीरे से बोली, एक महीन सी मुस्कराहट के साथ ! फिर सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी ! आकाश ने सीधे उसकी आंखों में झांका ! 

कोई देख न ले ! तुरंत कहानी बन जाती है, जानते हो न ? लैला/ मजनूं का एक और जोड़ा तैयार हो जाएगा ! वो हँसी ! करीने से सजे मोतियों जैसे दाँतों की दो पंक्तियों ने उसे और भी सुन्दर बना दिया ! 

छोटी सी बिंदी माथे के बीचों /बीच !

तुम जानती हो ऐसा कुछ नहीं है ! मैंने सच्चा दोस्त माना है तुम्हें ! पता नहीं क्यों लोगों की खोपड़ी में आशिकी घुसी है ! कोई और रिश्ता नहीं हो सकता क्या एक मर्द/ औरत के बीच? अपनी आंखों को सिकोड़ते आकाश ने प्रश्न किया ! चाय पीयोगी? 

मंगा ले ! बहन/ भाई भी तो हो सकते हैं। रश्मि बोली। वो क्या कहते हैं “ राखी भाई ” ठीक रहेगा ना ? 

मुझे नहीं बनना राखी भाई। कल नाज़िया से तेरी बहस हो गयी, मनन बता रहा था क्या हो गया था ? 

 ख़ास कुछ नहीं, बस चण्डी चड़ गयी थी। बकवास कर रही थी। धर / धर के सुनाया तो दिमाग़ ठीक हो गया। बाद में सॉरी माँग रही थी। 

हुआ क्या था ? 

बताना ज़रूरी है क्या ? चाय पिलाने का टैक्स वसूलेगा। 

मत बता, आज नहीं तो दो दिन बाद बताएगी। मुझे बताए बग़ैर तेरा खाना ही हज़म नहीं होगा।  

हाँ ! जब मन करेगा तब बता दूँगी।

चाय साहब। सोनू ने गिलास मेज़ पर रख दिए।  

खाते में लिखवा देना। “लो चाय ले लो रश्मि।" रित्विक की पढ़ाई ठीक चल रही है ना ? 

पढ़ता तो है, पर विवेक के घर आते ही खेलना चालू , फिर बंद ही नहीं होता। बाप / बेटे का खेलने से मन ही नहीं भरता कभी। विवेक के सिर चढ़ कर रहता है रित्विक, कुछ भी माँगता है, तुरंत हाज़िर।  

यही उम्र है, फिर तो वही नून /तेल / भाजी। खेलने दिया करो, खेलने से दिमाग़ तेज होता है। अब मुझे ही देख लो।

तुम्हारा दिमाग़ तेज ??? जोक ओफ़ द ईयर। हाहाहा। रश्मि ने ठहाका लगाया। आकाश ने भी साथ दिया।  

तुम्हारे साथ बैठ कर, दो बातें कर के बहुत अच्छा लगता है। “बहुत ज़्यादा अच्छा।" आकाश भावुक हो गया।  

“मुझे भी ” रश्मि ने मुंह फेर कर बोला।  

उसकी आवाज़ की भर्रराहट आकाश ने महसूस कर ली। क्या हुआ ? 

“कुछ भी तो नहीं। ” तेरे जैसे दोस्त के होते मुझे कुछ हो सकता है क्या ? 

बात को घुमा मत। बता क्या बात है ? 

क्या पता कल से हम लोग साथ बैठ पायेंगे या नहीं ? रश्मि उदास हो गयी।  

क्यों ?? क्या छुपा रही हो।  

नाज़िया से कल तुम्हें लेकर ही बहस हुई थी, हम दोनों के बारे में उल्टा / सुलटा बोल रही थी। कल वो बोली आज और लोग बोलेंगे, बात फैलते / फैलते विवेक के कानों तक भी जायेगी। मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। हम दोनों का रिश्ता पवित्र है, यह बात सबको समझाना असम्भव सा है। जितना सफ़ाई देंगे, उतनी कहानियाँ बनेगी। ख़ास कर एक औरत के लिए ऐसे रिश्ते में तमाम जवाबदेहियाँ खड़ी कर दी जाती हैं। विवेक की नज़रों में मेरा जो स्थान है, वो बना रहे। तुमने एक सच्चे दोस्त बनकर इतने सालों तक साथ निभाया, उसके लिए धन्यवाद। अब शायद इस दोस्ती को एक अलग स्तर पर ले जाने की ज़रूरत है। सुन रहे हो ना !! 

हूँ … आकाश को अपनी आवाज़ ही अजनबी सी लगी। उस का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। “तुम्हारी ख़ुशी, तुम्हारे परिवार की ख़ुशी सबसे पहले ” आवाज़ की भर्रराहट को क़ाबू करते आकाश बोला। और सुन, कभी भी ज़रूरत हो, मैं खड़ा हूँ तुम्हारे लिए।  

थैंक्स ! मेरी स्थिति समझने के लिए। “मेरे सबसे प्यारे दोस्त।" रश्मि बोली। चलती हूँ, बाई।  



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational