तकदीर (भाग-1)
तकदीर (भाग-1)
तकदीर कितनी अजीब है न। पर ये तकदीर आखिर है क्या ?
कुछ ऐसे ही सवालों के साथ रागिनी ने अपने जिंदगी के सबसे बड़े फैसले को लिया। रागिनी अपनी जिंदगी आज़ाद होकर जीना चाहती थी। पर अतीत के कुछ पन्ने ऐसे थे जो रागिनी को फिर से पिछे हटने पर मजबूर कर देता।
आखिर ऐसा भी क्या था उसके अतीत में, ये सिर्फ रागिनी ही जानती थी। रागिनी डरते हुए रेलवे स्टेशन में ट्रेन का इंतजार कर रही थी। और सहसा ट्रेन को देख अपनी अतीत की यादों में खो गई।
एक वर्ष पहले की रागिनी कितनी खुश थी। वो इतनी अमीर घर की न थी पर पारिवारिक सहयोग के कारण रागिनी को कभी अपने गरीबी का एहसास न हुआ। रागिनी कॉलेज में ही नौकरी करने लगी।
पर अपने घर की हालात अब रागिनी से छुपी नहीं थी। रागिनी को जब भी कोई तकलीफ़ होती तो उसकी एक बहन जैसी दोस्त हमेशा उसे हँसाने आ जाती। एक प्यार करने वाले के होने से रागिनी बहुत खुश थी।
रागिनी की दोस्त अजंली और रागिनी का प्रेमी आकाश दोनो ने रागिनी को कभी गिरने नहीं दिया।
पर ये तकदीर ही तो थी कि न तो आज न तो उसका प्रेमी आकाश था न ही उसकी दोस्त अजंली
परिवार भी अब रागिनी को अकेला कर गया था। तभी ट्रेन की एक आवाज़ से रागिनी अपने अतीत की यादों से बाहर आई और ट्रेन में बैठ खुद अपनी तकदीर लिखने चल पड़ी।
क्रमश.....