तकदीर (भाग-4)
तकदीर (भाग-4)
रागिनी जालधंर शहर में अकेली अपने गाँव, संस्कृति से दूर थी। हर जगह कि तरह इस शहर कि परपंरा भी अलग थी। बड़ा शहर पर सच्चाई भी बड़ी थी। चोरी चकारी इस शहर कि परंपरा सी बन गई थी।
जगह गलत नहीं होती बल्कि उस जगह के लोग गलत हो सकते है , यही सोच लेकर रागिनी शांत थी। पर उसे क्या पता था कि चोर उसके घर में ही थे। रागिनी के दोस्त ने रागिनी को अपने घर से एक बड़ी रकम लाने को कहा। उसने रागिनी को कहा कि यहाँ पहले पैसे लगाएगी तो सब सही रहेगा और फिर उसकी तनख्वाह भी बढ़ जाएगी। रागिनी सीधी थी उसने हामी भरी व परिवार के सामने अपनी बात रखी।
क्रमश...
