तकदीर (भाग-3)
तकदीर (भाग-3)
रागिनी ट्रेन में बैठे बैठे याद कर रही थी कि कैसे वह अतीत में अपने प्रेमी के मदद से शहर से बाहर जाकर अपने पैरों पर खड़े होने का फैसला लिया।
रागिनी जालधंर शहर में यूँ अकेली पहली बार आई थी। कितना अलग था यहाँ सबकुछ धूल मिट्टी व प्रदूषण के कारण सूरज काला दिखाई दे रहा था।
रागिनी डर रही थी कि वो इंटरव्यू कैसे पास करेगी? रागिनी के दोस्त ने उसे हिम्मत दी और उसका खूब खयाल रखा। वह रागिनी को अपनी बहन कि तरह समझने लगा। रागिनी खुश थी उसने फोन पर अंजली को सब बताया। अंजली थोड़ा दुखी हुई पर उसने रागिनी को कुछ नहीं कहा।
रागिनी एक प्रेमिका भी थी उसने अपने प्रेमी आकाश को फोन करके अपने सलामती कि खबर दी। परिवार भी खुश था कि अब रागिनी बड़ी हो गई है। धीरे धीरे रागिनी को काम सिखाया गया। पर रागिनी को क्या पता था कि यह सब आने वाले तूफान से पहले कि शांति थी। पल भर में सबकुछ बदलने वाला था।
क्रमश...