तकदीर (भाग-2)

तकदीर (भाग-2)

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रागिनी ट्रेन में बैठ तो गयी, पर अब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब वो करेगी क्या?

आखिर वो दिल्ली जैसे शहर में बिना किसी को बताये जो जा रही थी। रागिनी के अतीत ने हालात ही ऐसे बना दिये थे कि उसे ऐसा करना पड़ा। रागिनी एक बार फिर अपने अतीत में खो गयी। उसे याद आने लगा कि कैसे उसने अपने परिवार की मदद करने का फैसला लिया। रागिनी ने शहर मे ही नौकरी ढूंढने का फैसला किया। वो कड़ी धूप में गर्मियों मे जगह जगह नौकरी के लिए भटकने लगी पर उसे कहीं से भी नौकरी न मिली और वो चिंता में पड़ गयी।

अब रागिनी को नींद नहीं आती थी। वह आनलाईन भी नौकरीयाँ ढूंढती। पर तब भी उसे कोई सफलता न मिली। कि तभी रागिनी को अपने एक पुराने दोस्त का फोन आया, उसने रागिनी को बताया कि उसकी किसी दूसरे शहर में नौकरी लग गयी उसने रागिनी को भी अपने पास आने को कहा। रागिनी ने कुछ सोचा और थोड़ा समय मांगा।

रागिनी ने अपने परिवार का चेहरा देखा और अब उसे लगने लगा कि अब बस यही एक रास्ता है। रागिनी ने अंजली को कुछ न बताने का फैसला लिया क्योंकि यह सब अंजली के समझ के परे था। और अंजली कभी भी रागिनी को जाने न देती। पर आकाश को सब बताना ही पड़ा । आकाश ने रागिनी को पूरा सहयोग दिया व जितना हुआ उतने कि मदद भी की।

अब रागिनी पहली बार अकेले अपने घर, प्यार, व साथी को छोड़ दूसरे शहर चली गयी। वो बहुत खुश थी। आखिर अपना शहर छोड़ जालंधर जाना उसके ख़्वाबों के परे जो था।



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