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Laxmi Kumari

Others

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Laxmi Kumari

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22 साल की उम्र के किस्से

22 साल की उम्र के किस्से

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 मैंने हमेशा से यही चाहा की कब मैं जल्दी से जल्दी बड़ी हो जाऊँ और अपने सारे सपनों को पूरा करूँ। लेकिन अब मै पूरी २२ साल की हो गई थी। और सपने वो तो अब भी अधूरे थे। कमाल है न अब यकीन नहीं होता की इतने बड़े हुए ही क्यों जबकि असली सकूं तो बचपन में ही था।

खेर अब बड़ा तो होने से खुद को रोक नहीं सके लेकिन अब जो सपने बचपन में देखे थे बो तो जैसे किसी मजाक की तरह बन गए क्योंकि इस उमर तक आते आते सपने भी बदल गए। अब बजाए इसके की मेहनत करके आत्मनिर्भर बनने से अच्छा मुझे अपनी इस उमर को महसूस भी करना है और दुनिया घूमनी है।

दिन में तो चेहरे पर मुस्कुराहट रहती हैं लेकिन रात में अंधेरे के साये में चैन की नींद नहीं बल्कि कभी अपने भविष्य का डर लगने लगता है तो कभी प्यार में टूटे हुए दिल का दर्द। अब रातें पहले की तरह सुकून भरी नहीं रही। मां बाप को बूढ़े होते हुए देखना खुद को एहसास दिलाता है की अब इन्हें भी आराम की जरूरत है। लेकिन इस उमर में भी काम वो करते है और मैं दुनिया से ठोकर खाकर मन में मायूसी लिए लेकिन आंखों में एक उम्मीद लिए फिर से मुस्करा लेती हूँ। लेकिन हमेशा इन्हें बूढ़ा होते देख एक डर भी मन में रहने लगा है।

नए नए कपड़े , फैशन का शौक तो बहुत है लेकिन अब मां बाप से एक रुपया मांगने में भी शर्म सी आती है। जाने कितने बार बहाना लगा कर दोस्तों को मना किया है की आज मैं इस पार्टी में नहीं आ सकती। आज ये नहीं खाएंगे , आज यहां नहीं जाएंगे जाने ऐसे ही कितने और बहाने रोज लगाती हूं।

बो भी एक उमर थी जब खुद से सुंदर कोई और न लगती थी पर अब हर किसी को देख कर यही लगता है की मुझे छोड़ कर इस दुनिया में हर कोई भगवन की बनाई हुई सबसे खूबसूरत चीज है । कड़वी है बात मगर सच है इससे पहले दुनिया के हर इंसान को अपना प्रशंसक बनाना पसंद था लेकिन अब दिल और दिमाग़ दोनों कहते है की मेरे लिए मेरे मां बाप ही काफी है बाकी जिसे मुझसे नफरत करने में खुशी मिलती हो तो हो बो कर सकते है।

एक तरफ को अब किसी को दिल देने में भी डर लगता है लेकिन फिर भी मन में किसी ऐसे का इंतजार रहता है जो जीवन में खुशियां और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सके। अब सब लड़के एक से होते है बाली सोच खत्म होकर इनमें भी दिल है बाली भावना बन चुकी है।

अब डॉक्टर , एक्टर या बिजनेसमैन बनने से अच्छा दिन के कुछ पल सुकून से परिवार को दे सके उतना ही काफी है अब लोगो की भीड़ न पसंद होकर अकेले रहने में जो खुशी मिलने लगी है बो दुनिया की सबसे अलग कोने में होने का एहसास दिलाती है।

अब असल दुनिया से ज्यादा प्यार अपने मोबाइल फोन से हो चुका है आंखों में गड्ढे और चश्मे इस बात की गवाही देते है की अब मोबाइल ही जिंदगी बन चुकी है। सारे सपने जैसे अब खत्म होकर बस यू जिंदगी जीने का मन सा करने लगा है । 

लेकिन बीच बीच में जब असल दुनिया से सामना होता है तब दुनिया की खूबसूरती नजर आने लगती है नए ख्वाब बनने लगते है । और जब इन ख्वाब को पूरा करने की बारी आती है तो रोज नई मुसीबतें देखकर एक बार फिर अकेले रहने में सुकून मिलने लगता है और मोबाइल की दुनिया में खोकर ही जिंदगी जीने में सुकून मिलता है ।

लेकिन बार बार जब असल दुनिया से सामना होता है तो सिवाए दुख तकलीफ और पछतावे के अ लावा पास में कुछ नहीं रहता। रोज सोचती हूं की आज से सुबह जल्दी उठकर कसरत करके खुद को एक नए सपने की तरफ बढ़ाऊंगी लेकिन ये फुर्ती केवल एक या दो दिन से ज्यादा नहीं रह पाती।

खुद से खुद ही जंग को हारती हूं रोज फिर खुद ही इस जंग में मिले झक्मो पर लेप लगाती हूं मैं। और फिर से एक नई जंग की तरफ बढ़ जाती हूं। कोशिश करने बालो की हार नहीं होती इसी मंत्र को जीवन की सच्चाई मान कर जाने कितने जंग रोज लड़ जाती हूँ मैं।


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