वो आवाज!
वो आवाज!
मुझे सभी रिशतेदारो ने घेर रखा था। यहाँ मेरी कोई शादी की बात नही चल रही थी बल्कि प्यार करने की सजा दी जा रही थी।
आख़िर हम दोनो केे घर मे सब कुछ पता चल गया था।वहां उससे सवाल हुऐ और यहा मुझसे। मैने सबसे छुपते हुए उसे मैसेज किया कि "चाहे जो भी हो जाए हिममत मत हारना। हम हमेशा साथ है।"
पर दूसरी तरफ से कोई जवाब नही आया। मुझे लगाा की कहीं उसका फोन न ले लिया हो।
मै चुप -चाप सबके ताने सुुनती रही। सोचा प्यार किया है, कैसै उसका नाम ले लू? तभी पिछे से बुुुआ ने कहा "बेटा जिसे तू बचा रही है न उसने अपने हाथ खड़े कर दिए है। उसने अपनी माँँ से कह दिया है कि तू ही उसके लिए पागल थी। तू उससे मिलने गई थी, और हाँ वो तुझसे प्यार भी नहीं करता।"
बस ये सुुनते ही मेरी सारी दुनिया वहीं ख़त्म हो गई। मै चुप रही क्यूंकि अगर मै एक बार भी उसका नाम ले लेेती तो मेरे भाई उसेे मार डालते। तभी बुआ फिर बोली की "मै उसकी माँ से बात करके आई हूँ , तू बेटा एक बार बोल दे की उस लड़के और तेरे बीच कुछ है तो हम अभी तुम दोनों की शादी करवा देेेगे।"
पर मै तो जैसे मर ही चुकी थी। उसकी बाात याद आई कि अगर उसे मुझसे शादी करनी पड़ी तो वो खुद को मार देगा । मै चुप ही रही। सब चले गए थे।और मेरी आँँखो मे एक आँँसु तक न था। मै एक अँधेरे कमरे मे बिना कुछ खाए पिए लेेटी रहती।
एक रोज़ मैै अकेले नदी की तरफ चल पड़ी । नदी का इतना प्रचंड रूप देख मै जैैैसे ही उसमे कुदने लगी कि एक आवाज ने मुझे रोक लिया । वक्त वहीँ थम चुका था थी तो बस वो आवाज़ !
मेेरे कानो मे धीरे से उस आवाज ने बस इतना कहा कि "कुुछ पल खुद को दे दे। फिर अगर तुुझे मरना होगा तो मै नही रोकुंगी।" और अचानक सब पहले सा हो गया । मैनै अपने चारो ओर देखा कहीं कोई न था।
मैने जाने क्यों अपने कदम वापस ले लिए। पर वो आवाज किसी ओर की नहीं बल्कि मेरी अपनी मन की आवाज थी। आज इस घटना को हुए दो
साल होने को आऐ हैै।
पर मै आज भी उस आवाज का शुक्रिया करती हूँ । मै आज खुुद के लिए खड़ी होना सीख़ चुकी हूँ । और शायद यही तो इस दुनिया का दस्तूर है " कि समय किसी के लिए नही रूकता"।