दादू की सौगात
दादू की सौगात
शहर के सबसे बड़े अस्पताल के सामने बड़ी-बड़ी गाड़ियों के बीच ठेले पर आऐ मरीज़ को देखकर लोग हैरान हो गये थे।और आपस में कानाफूसी करने लगे थे।
"यह देखो ज़रा अब चीटीयों के भी पंख निकल आऐ है ।शायद यह गमछाधारी जानता नहीं कि यह कितना महँगा अस्पताल है।"
कोई नहीं भाईसाहब अभी देखना कैसे उल्टे पाँव लौट कर आऐगा।वो कहावत है ना पास में नहीं दाने, और अम्मा चली भुनाने।
मरीज के अस्पताल के अन्दर जाते ही लोग किसी बड़े तमाशे की उम्मीद में अपना फोन वीडियो मोड में ले आऐ ।
ऑपरेशन थियेटर का दरवाजा खुला और फिर डाक्टर रामू के पास आकर बोले ।
"भगवान का शुक्र है कि आप सही समय पर अपने पिता को अस्पताल ले आऐ नहीं तो कुछ भी हो सकता था।पर अब आपके पापा ख़तरे से बाहर हैं। "
रामू ने अपने आँखों में उतर आई नमी को सबसे छुपाते हुऐ अपनी बीबी का हाथ पकड़कर बोला।
"जानती हो सुलेखा जब दादू ने फालसे का बाग़ लगाया था तो पूरा गाँव उन्हें पागल समझता था। पर आज वही फालसे 400 रूपये किलो बेच-बेच कर मैं इतना समर्थ हो गया कि अपने बापू का अच्छा से अच्छा इलाज करा सका जाने क्यों लोग कहते हैं पैसे पेड़ पर नहीं लगते, लगाना आना चाहिऐ बस, पैसे सच में पेड़ पर ही लगते हैं।"
नेहा अग्रवाल