Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Akash Bhuban Pattanaik

Romance Tragedy thriller crime romance

1.3  

Akash Bhuban Pattanaik

Romance Tragedy thriller crime romance

प्रतिशोध राज वाले प्यार का

प्रतिशोध राज वाले प्यार का

8 mins
630


अध्याय १:- खाने की दुकान अशोका में

युवराज खाने का आर्डर देता है। होटल में लगभग २० लोग खाने बैठे होते हैं। इतने में वेटर एक प्लेट में बहुत सारे व्यंजन लेके आता है। व्यंजन में हलवा पूरी, रस्गुला, पाव भाजी, उपमा, दोसा, नारियल चटनी, टमाटर की चटनी यह सब होता है। मौसम बादलों से घेरा हुआ होता है। 

बहार गर्मी का हवा चल रहा होता है। तभी एक सुन्दर लड़की जल्दी-जल्दी में होटल को आती है। होटल के सभी कर्मचारी, ग्राहकों उसे देखते ही रह जाते हैं। उसकी सुंदरता, नीले ऑंखें, देख कर युवराज का नज़र से हटती ही नहीं थी।

''लगता नहीं हे की बहार का मौसम बादलों से घेरा हुआ है, गर्मी की हवा चल रहा है,

लगता हे की मेरे दिल में गरजते हुए बादलों ने प्यार का बारिश होने का संकेत दिया है।'' युवराज मन ही मन में ऐसा सोचने लगता है।

इतने में वेटर जाकर उस लड़की से पूछती है:- '' हेलो मैडम, हमारे होटल में आपका स्वागत है।''

''खाने में क्या क्या है' ?' वह लड़की पूछती है। 

वेटर बड़े ही नम्र से खाने के मेज़ पर बैठने को कहता है।



 अध्याय २ :- खाने की मेज़ में

 वह लड़की चारों ओर देखती हैं। फिर युवराज का सामने वाला कुर्सी खाली नज़र आती है। जैसे लड़की की पैर उस कुर्सी

ओर बढ़ता जाता है, तभी युवराज का धड़कन उसी रफ़्तार से धड़कता रहता है। लड़की जैसे कुर्सी में बैठने लगती है, युवराज का पैर

अपने आप कुर्सी से उठ जाता है। वह लड़की युवराज का यह हरकत देख कर थोड़ा मुस्कराने लगती है। 

फिर वेटर मेनू लेकर मैडम की तरफ जाता है ओर पूछता है:- '' मैडम, क्या लेना पसंद करेंगी आप ?''

मैडम सीधा बोलती है :-'' पनीर कोफ्ता। ''

वेटर आधा घंटा इंतज़ार बोलती है। '' आपका चीज़ बनने में थोड़ा समय ह लगेगा, प्ल्ज़ मैडम !'' ऐसा वेटर है।

फिर बीच में युवराज बोलने लगता है:- ''हाँ हाँ , ठीक है मैडम रूकेगी। भाई तुम जाओ आराम से पनीर को माखन मार के बनाना।''

युवराज की यह बात सुनकर मैडम की आंखे खुला का खुला ही रह जाता है। फिर मैडम वेटर से कहती है:- ''ठीक है।''

फिर वहां से वेटर चला जाता है।   


अध्याय ३ :- दोनों की आपस में परिचय

वेटर वहां से जाने के बाद थोड़ा पीछे घूम कर दोनों को देखती है। ''कहीं दोनों में कुछ कुछ तो नहीं चल रहा है।'' ऐसे ही

मन ही मन में वेटर सोचने लगता है। ''दोनों आपस में क्या बातें कर रहे होंगे। ऐसे गुंटूर-गु, गुंटूर-गुं क्या कर रहे हैं ?''

युवराज मैडम से उनका नाम पूछता है।

''खाना गर्म है आपका ठंडा हो जायेगा, जल्दी खा लीजिये, बारिश में गर्मा गर्म खाने में ही मजा है।'' मैडम हसकर युवराज को उसकी व्यंजन प्लेट इशारा करके कहती है।

मानो युवराज, मैडम की ऑंख में प्यार का नाव लेकर तैर रहा था। ''आज ऐसा लगता हे की मानो ये बारिश थम कर मेरे दिल में प्यार वाला

इंद्रधनुष का छाप हमेशा के छोड़कर चली जाएगी।'' ऐसा युवराज मन ही मन में सोचने लगता है।

फिर वह मैडम, युवराज की तरफ इशारा करती हे:- '' खाना ठंडा हो जायेगा। आप कहाँ खोये हुए हो।'' ऐसा कहकर युवराज की आँखों के सामने अपने उँगलियों से चुटकी मारती है।

युवराज फिर थोड़ा मुस्कुराके कहने लगता है:- ''अकेले मुझे खाना नहीं जमेगा, जब तक आपका पनीर कोफ्ता आ जाता नहीं, आप मेरे व्यंजन में से कुछ लीजिये।''

मैडम मुस्कुराके कहने लगती है:-'' क्या लूँ, सारे तो मेरे पसंदीदा चीज़ें हैं।''

''ठीक है सारा चीज़ें आधा आधा करके लेते हैं, लीजिये सुरु कीजिये।'' युवराज, मैडम की तरफ इशारा करके कहती है। 

फिर मिलके दोनों मज़े से खाना खाने लगते हैं।

खाने के बीच में, ''मैं एक सिविल इंजीनियर हूँ।'' युवराज उसे कहता है। 

मैडम भी खुद परिचय एक कॉल सेंटर का कर्मचारी युवराज को बताती है।

फिर सारे व्यंजन ख़त्म होने के बाद युवराज उस मैडम से कहता है:-'' आपने आप का नौकरी के बारे में तो बता दिया लेकिन अपना नाम नहीं बताया अभी तक।''

फिर मैडम अपनी नाम बताती है। युवराज नाम सुनकर कहने लगता है:-'' हंसिनी, नाम जैसा सुन्दर आप भी ओर आपकी बातें उतना ही सुन्दर है।'' 

हंसिनी मुस्कुराके कहती है:- ''मैं यहाँ अपने बचपन का दोस्त हंसिका से मिलने आई हूँ।''

''सामने जो मक्कान निर्माण हो रहा है न, उसका टेंडर मेरा कंपनी को मिला है।'' युवराज मक्कान की ओर इशारे करके कहता है।


अध्याय ४ :- हंसिनी की सहेली का होटल में आना 

दूर से खुसी से पागल होकर चीखती हुई हंसिका अपनी सहेली हंसिनी की तरफ दौड़ के आई। हंसिनी अपने सहेली का परिचय युवराज से करवाती है। तीनो खाने की मेज़ में बैठ कर गप्पे लड़ा कर बैठते हैं। हंसिका अपनी इशारे युवराज की तरफ करके हंसिनी को चिडाती है। हंसिनी फिर भी चुप चुप के मुस्कुराती रहती है। 

उतने में वेटर पनीर कोफ्ता लेकर आता है। वेटर को युवराज अपना नाम पूछता है। वेटर ने अपना परिचय देते हुए यह कहता है:- ''पूरा नाम

राजशेखर है, शार्ट में सारे मुझे राजू कहते हैं।''

फिर अचानक राजू का आँख हंसिका का तरफ झुकता है। हंसिका को देख कर राजू पूछता है:- '' मैडम आप को कुछ चाहिए क्या ?''

हंसिका वेटर को आंख उठाकर कहती है:- ''नहीं नहीं तू जा यहाँ से।''

राजू वहां से चला जाता है।

फिर एक ही पनीर कोफ्ता को तीनो साथ में बांटकर खाते हैं। फिर युवराज बिल भर देता हे।  


अध्याय ५ :- युवराज का कंस्ट्रक्शन स्थान पर दोनों को लेना  

होटल से तीनों बाहर निकलते हैं। तब आसमान पूरा साफ़ होता है। आसमान की तरफ देख कर '' अभी तो आसमान भी पूरा साफ़ है, चलो जो सामने मक्कान मरम्मत हो रहा है वह मेरा है, वहां होकर आते हैं।'' युवराज यह कहकर अपने साइट को दोनों को ले जाता है।

साइट पर पहुँचते ही हंसिका हसकर कहती है:- '' जो तुम मरम्मत का कार्य कर रहे हो न मक्कन का, ये मेरे पापा मुझे तोफा के रूप में देने वाले हैं।''

युवराज आश्चर्य हो कर पूछता है:-'' तुम्हारा पापा बहुत कंजूस और गुस्सेवाला इंसान है।''

तुम्हे क्यों मेरे पापा अगर कंजूस हे तो चिड़चिड़ा होकर हंसिका कहने लगती है।

युवराज अपने वेतन न मिलने के कारण हंसिका के पापा मनोहर जी पे बहुत गुस्से में था। 

इस्सके बाद दोनों सहेली साइट पूरा घूमने के बाद युवराज से बिदाय लेते हैं। युवराज हंसिनी से अपना फ़ोन नंबर लेता है।

फिर दोनों सहेली वहां से एक पास में पार्क जाने के बारे में युवराज को बोलते हैं। दोनों दोस्तों बचपन की यादें ताज़ा करने पार्क को जातें हैं। 



अध्याय ६ :- पार्क में हंसिका का अपने प्यार के बारे में बोलना 

पार्क में दोनों आइसक्रीम खाते खाते घूमते रहते हैं। तभी हंसिका को अपने प्रेमी का याद आता है। हंसिका अपने प्रेमी सेखर के बारे में कहने लगता हैं। सेखर बहुत गरीब है, इसलिए ''मेरे पापा हमारे शादी के लिए इंकार कर दिए थे। '' रो रो कर हंसिका कहती है। फिर हंसिनी

पूछती है सेखर अभी क्या करता है।

हंसिका फिर गंभीर होकर केहेती हे:- '' यह सब छोड़ना, तू बता तेरा युवराज के साथ क्या चकर है ?''

इतने में हंसिनी को अपने जन्मदिन के बारे में याद आता है। वह युवराज को फ़ोन करके अपने जन्मदिन के लिए मंदिर बुलाता है।''



अध्याय ७ :- हंसिनी की जन्मदिन में  

इस दिन सुबह सुबह हंसिका का फ़ोन आता है:- ''हेलो हेलो ! हंसीनी जल्दी जल्दी मेरी नयी बनने वाली मक्कान पर आजा

तेरा राज मुझे जान से मार देना चाहता है।'' इतने में फ़ोन कट जाता है। 

हंसिनी जल्दी जल्दी में कंस्ट्रक्शन साइट पे पहुँच जाता है। जाकर वहां हंसिका ...... हंसिका चिलाती है।

फिर हंसिका हसते हुए उसके सामने आती हे और कहती है:- '' अपने पीछे देख तेरे लिए कुछ है।''

जब हंसिनी पीछे देखता है तो दिवार पर ''हंसी मैं तुम्हे खोना नहीं चाहता हूँ, तुम सिर्फ राज'' की हो लिखा होता है। 

फिर युवराज, हंसिनी को अपने दिल की बात कहता है।

फिर हंसिका अपने प्यारी सहेली को जन्मदिन का शुभकामनाएं देती है। फिर वहां तीनो केक कट करके मंदिर की तरफ निकलते हैं।    


अध्याय ८:- नए मक्कान में हत्या  

जन्मदिन के अगले दिन,

''सुन तू जल्दी मेरे होने वाले नए मक्क।न को आजा। तुझे कुछ चमत्कार दिखाना है'' ऐसा कहकर हंसिका फ़ोन रख देती है।

फिर हंसिनी साइट पर पहुंच के जो देखता है, वहीँ वह छिलने लगती हे जोर से:-हंसिका का ........

पुलिस वहां पर जांच पड़ताल कर रहा था। दिवार में जो युवराज ने हंसिनी केलिए लिखा था, उसका बिलकुल नीचे ही लिखा था राज़ ''मैं सिर्फ

तुम्हारा हूँ।'' जो चाक से यह लिखा गया था वही चाक हंसिका के हाथ में था।

पुलिस वहां से एक चाकू उठाता है ओर पूछता है:- ''ये चाकू किसका हे, आप कुछ बता सकती हैं मैडम।''

हंसिनी बोलती है:-''कल मेरा जन्मदिन था, तो हम तीनो यहाँ सेलिब्रेट कर रहे थे।''

हंसिनी पूरा कहानी पुलिस को सुनाती है।


अध्याय९ :-पुलिस स्टेशन में  

      पुलिस युवराज को जेल में दाल देती है। हंसिका के पापा मनोहर अपने बेटी का मृत्यु के बारे में पुलिस के F I R दे चुके होते हैं।

उनका सोचना यह है की युवराज को बेटन न देने की कारण उसने हंसिका का खून कर दिया। हंसिका के हाथ का चाक, चाकू में मिले उँगलियों के निसान सारे सबूत युवराज के खिलाफ जा रहा था। पुलिस जाँच केलिए एक जासूस का नियुक्ति किया।   

 अध्याय :-हंसिनी के घर में   

अशोका होटल का वेटर राजू आता है। हंसिनी अंदर बुलाकर पूछती हे की क्या काम है ? तभी हंसिनी का मन बहुत बिचलित ओर ख़राब था। राजू वेटर कुछ सीक्रेट बताने का प्रस्ताब हंसिनी के सामने रखता है।

''मैंने हंसिका का खून अपनी चाकू से किया, क्योंकि मैं उसे बहुत प्यार करता था, लेकिन उसके पिता ने मेरी गरीबी के कारण नहीं किया। वह

लड़की भी मुझसे बात तक नहीं की। इसलिए अभी में उसके पिता मारकर आ रहा हूँ। मैं हूँ राजशेखर उर्फ़ राज। '' इतने बात राजू से सुनकर

हंसिनी घबरा जाती है। पुलिस को फ़ोन करने का सोचती है। इतने में राजू चाकू लेकर हंसिनी के पीछे दौड़ता है। तभी जासूस रंगा आकर राजू को रेंज हाथ पकड़ लेते हैं। युवराज को पुलिस छोड़ देती है।



अध्याय १० :-हंसिनी और युवराज की शादी  

इसके बाद दोनों शादी कर लेते हैं। दोनों की मुलाकात रंगा जासूस से होता हे। हंसिनी जासूस रंगा से पूछती है:- '' आप को कैसे पता चला खुनी मुझे मरने आएगा ?''

रंगा जी हसकर बोले हमारा शक तुम्हारे ऊपर था की, कहीं तुम तो अपने सहेली का खून नहीं कर दिया ? ''जिस चाकू से बार किया गया था वह चाकू किसी रसोई घर में इस्तेमाल करनेवाली चाकू था। लेकिन देखो होटल वेटर का चाकू से खून किया। '

दोनों को अभिनन्दन कहकर रंगा जी वहां से चले जाते हैं।  


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance