Akash Bhuban Pattanaik

Romance inspirational thriller

4.9  

Akash Bhuban Pattanaik

Romance inspirational thriller

दिल एक दूसरे के लिए

दिल एक दूसरे के लिए

12 mins
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कॉलेज जाने का समय हो चूका था। वीरन्स अपने जूते ढूँढ रहा था। तभी वीरन्स की माँ जूते लेकर आई और गुस्से से अपनी बेटे की तरफ देख रही थी। तब वीरन्स बोला -'' हाँ.... याद आया काल बारिश हो रहा था, इसलिए मैने अपना जूता छत के ऊपर सुखाने रख दिया था।‘’

फिर माँ बोली:-'' जूता मिला यह तो ठीक है, पर जुते के अंदर जो मिला ये कागज इसका क्या ?’’

वीरन्स हड़बड़ी में देख कर पूछा:- ''क्या कोनसा कागज माँ !’’ तब वीरन्स का मुँह उबलते हुए पानी की तरह हो गया था।

 इससे कुछ महीने पहले, रास्ते में वीरन्स अपनी गर्लफ्रेंड सताब्दी के साथ गुपचुप, आइसक्रीम खाते हुए अपनी छोटी बहन देबांसी के रंगे हाथ पकड़ा जा चूका था। फिर देबांशी घर में आकर अपने भाई से पूछती हे :- '' भाई, वह दीदी कौन थी ? आप अकेले अकेले उस दीदी के साथ सब खा रहे थे। माँ को आज सब बोल दूंगा।‘’ तब वीरन्स प्यार से अपनी बहन को दो चॉकलेट दे कर पटा चुका था। 

अभी के समय में, 

वीरन्स अपनी माँ के सामने सोचने लगता हे:- '' क्या कल जो लेटर सताब्दी ने दी थी, वह माँ को कहीं मिल तो नहीं गया ! छोटी ने मेरे और सताब्दी के बारे में कुछ तो बोला नहीं होगा ना ?’’

माँ फिर गुस्से में देख कर बोली:- ''कल तुझे जो दुकान से रसोई का सामान लाने बोली थी, वह तू लाना इसलिए भूल गया ना।‘’ 

वीरन्स बोला :- हाँ ,माँ। 

माँ फिर बोली:- ''कयोंकि दूकान की सामान की लिस्ट का कागज तेरे जुते में पड़ा मिला आज मुझे।‘’     

तब वीरन्स हल्का सा निस्वास छोड़ता हे, फिर बोलता हे:- ''ओह्ह! , माँ ठीक हे आज ला दूंगा।‘’

माँ गुस्से से फिर बोलती हे:- ''रहने दे कल मै औंर छोटी मिलकर बाजार गए थे ,वहां से सब सामान लेकर आगये। आज तू जाकर बिजली का बिल भर देना, ठीक हे?’’ 

इसके बाद वीरन्स कॉलेज की और निकलता है। उसी बक्त उनका एक पड़ोसी वीरन्स को मेडिकल की और जाते हुए देखता है। फिर पड़ोस के मिश्रा जी वीरन्स की माँ को बोलने लगती हे :- '' क्या आप के बेटे का तबियत काफी खराप हे क्या ? आज में उसे हॉस्पिटल की ओर जाते हुए देखा।‘’

इससे ठीक दो दिन पहले वीरन्स की माँ को कॉलेज से एक कॉल आया था।

क्लास टीचर:- हेलो! ''में क्या वीरन्स के अभिभावक से बात कर रहा हूँ?’’

वीरन्स की माँ :- ''हाँ सर जी, नमस्ते।‘’

क्लास टीचर:- ''वीरन्स तबियत में कुछ गड़बड़ हे क्या ?’’

वीरन्स की माँ :- ''नहीं तो!

क्लास टीचर:- ''एक हफ्ता हो गया वीरन्स को कॉलेज में न आये।‘’

वीरन्स की माँ:- ''ठीक हे सर जी, उसको घर आते ही में पूछती हूँ।‘’     

पडोशी और क्लास टीचर की बात सुनकर शक की सुई वीरन्स की ओर ज्यादा बढ़ने लग जाता हे।

घर को वीरन्स आते ही माँ गुस्से से पूछने लगती हे:- वीरे, आज कॉलेज गया था ?

वीरन्स घबराहट में बोलने लगता हे:- ''हाँ हाँ माँ। में कॉलेज से सीधा बिजली का बिल जमा करके आ रहा हूँ। ये देखो रसीद बिल का।‘’

माँ एकदम गुस्से से आंख लाल करके कहती हे:- '' जहाँ तक मुझे मालूम हे बिजली का बिल हॉस्पिटल में तो नहीं भरा जाता हे?’’

तब वीरन्स को थोड़ा चकर आने लगता है और माँ को बोलता हे:- ''हाँ, माँ थोड़ा सर चकर आ रहा था, तो सामने हॉस्पिटल दिखा तो चला गया।‘’  

माँ फिर ऊँची आबाज़ में बोली:- ''एक हफ्ते से तुझे रोज़ चकर आ रहा हे क्या ? जा जाकर मुँह धोके आ। खाना लगाती हूँ।

खाने की मेज़ में,

माँ दोनों बच्चो से कहती हे:- '' कल से दोनों जहाँ जहाँ जाओगे मुझे से सच्ची बताकर जाना। झूठ बिलकुल मुझे पसंद नहीं हे।‘’

देबांसी फिर आश्चर्य होकर बोलती है:-'' माँ , में तो आज तक कभी भी झूठ नहीं बोली  हूँ।‘’

फिर माँ बोलती है:- ''छोटी, अपना खाना चुप-चाप खा तू।

वीरन्स अचानक धीरे से बोलता है:-''माँ गलती हो गयी, अगली बार से झूठ नहीं बोलूंगा बिलकुल पक्का। 

माँ गुस्से से मुँह मोड़कर खाने के टेबल से चली जाती है। जाते जाते यह कहकर जाती हे की,''खाने के बाद चुपचाप अपने कमरे में जाकर सो जाना दोनों।

दोनों भाई-बहन खाने के बाद वहां से अपने कमरे में जाते हैं। वहां पर देबांसी अपनी भाई को और सक की नज़र से घूर रहा होता है। फिर अपनी भाई के पास जाकर पूछती हे :- ''भाई, आज अपने मा से ऐसा क्यों कहा की में आपको आज से झूठ नहीं बोलूंगा, क्या झूठ बोला हे तुमने भैया?’’

वीरन्स जल्दी जल्दी में बोलने लगता हे:-'' कुछ नहीं तू चुपचाप सोने जा''।

देबांसी फिर रूठकर बोलती हे:-''ठीक हे भाई, आपका मर्जी। मै छोटी हूँ न, इसलिए आप मुझे हमेशा कम आंकते हैं। ठीक हे आज से आप मुझे चॉकोलेट, टॉफी कुछ मत देना। मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं आप से बात ही नहीं करूंगी। मैं जाकर सो जाती हूँ।''

फिर वीरन्स अपनी बहन को एक टॉफी रिस्वत में देकर प्यार से बोलता हे:-'' तू मेरी सबसे प्यारी छोटी परी है। अपने भाई से कभी भी नाराज़ मत होना। ठीक हे मैं तुझे पूरी कहानी बताती हूँ, पर प्रॉमिस कर तू किसी से भी नहीं कहेगी। ''

देबांसी फिर टॉफी ले लेती हैं, फिर कहता हे :-'' ठीक हे भैया, मैं छोटी हूँ इसलिए जल्दी मान गयी। बोलिये कोनसी कहानी आप सुनाना चाहेंगे।''

वीरन्स हसकर बोलता हे:-'' मैं जो तुझे अभी कहने जा रहा हूँ, यह केबल कहानी नहीं, मेरे स्वास का एक एक पल की बात हैं। ''

देबांसी फिर कहती हे:- ''भैया, कुछ समझ में आये ऐसा बोलिये।''

तब वीरन्स अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सब कुछ बिस्तार में कहने लगता हैं। कॉलेज के वह साथ में मिलकर कैंपस घूमना, बाहर साथ में जाकर फिल्म देखना, पार्क में घूमना, यह सब बातें अपनी छोटी बेहेन से कहने लगता हैं। 

कॉलेज की समय की बात हैं,

वीरन्स कॉलेज का सबसे पॉपुलर स्टूडेंट था। वह पढाई में थोड़ा जीरो लेकिन खेल कूद में एकदम हीरो था। वह शराब, तम्बाकू आदि का सेवन करता था। जिसकी वजह से उसे कॉलेज से बहुत बार वर्जित किया जा चूका था। हमेशा उसके प्रिंसिपल सर उसे बोलते थे:- '' बेटा यह आदत इतनी बुरी हे की कभी कभी अपने करीब के लोग भी इस से दूर हो जाते हैँ। तुम भी यह आदत छोड़ दो। '' 

जितना भी कहने से वीरन्स की यह बुरी आदत नहीं छोड़ पाया। ऐसे ही तीन साल निकल गया। फिर कॉलेज के अंतिम बर्ष में, सताब्दी नाम का एक लड़की वीरन्स के जीवन में आती हैं।

सताब्दी और वीरन्स की मुलाकात

एकबार इंटर-कॉलेज बास्केटबॉल टूर्नामेंट आयोजित किया जाता हे। वीरन्स उसी में अपनी TIT कॉलेज की तरफ से कप्तान बना होता हे। वीरन्स बास्केटबॉल में पहले से ही बहुत सारी ट्रॉफी जीत चुका था। वह बास्केट बॉल में नेशनल लेवल चैंपियन भी था। इंटर-कॉलेज टूर्नामेंट में वीरन्स तोह ठीक ठाक था, परन्तु उसके साथी खेल में पूरी ढील थे। जिसकी ट्रॉफी को TIT कॉलेज से हाथ साफ़ करना पड़ा।       

इसके ठीक पश्चात, सताब्दी वीरन्स की ओर बढ़कर जाता हैं। वीरन्स सराब पीकर गैलरी के नीचे बैठा होता हे। तब सताब्दी सीधा वीरन्स की तरफ जाकर

कहता हे:- ''कैसा कप्तान हो तुम, एक भी ढंग का प्लेयर नहीं हे तुम्हारी टीम में। तुम्हारी वजह से हमारा कॉलेज का नाम आसमान से नीचे गिर गया पूरा।

अगर टीम को संभालना हीं नहीं अत है तो, कप्तान किस खुसी में तुम्हे बना दिया गया। सराब पीकर खेलोगे तो क्या होगा ?''

तभी उस लड़की की खूबसूसरती और चुलबुली बातें सुनकर वीरन्स का आंखे खुली की नखुली रहा जाती हैं। पहले ही साख्यातकार में वीरन्स को सताब्दी से प्यार हो जाता हैं। 

सताब्दी फिर कहती हे:-'' क्या ऐसे घुर -घुर को देख रहे हो मेंढक की तरह मुझे, मैंने जो पूछा उसका जवाब दो। ''

वीरन्स सम्मोहित जैसे हो गया ऐसा प्रतीत होता था। फिर सताब्दी छीलकर पूछता हैं :- ''कहाँ खो गए लूज़र, मैंने जो पूछा उसका जवाब दो। ''

वीरन्स सम्मोहित भरी आँख में बोला:- ''I Love U Too.''

सताब्दी आंखे मट मट कर देखने लगती हैं। फिर कहने लगती हे :- ''मैं तुम्हे I Love U कब बोला ?''

वीरन्स हसकर बोलता हे:- ''तब से तुम्ही तो बार बार बोलते आ रहे हो। सिंपल, मैंने हाँ बोल दिया। तुम्हारा प्यार मुझे मंजूर हैं। ''

फिर सताब्दी कहती हे:- ''अच्छा, ऐसी बात हे तो में एक शर्त रखना चाहती हूँ।''

वीरन्स पूछता हे:- ''कैसी शर्त ?''

सताब्दी बोलती हे:-'' अगर तुम शराब, तम्बाकू यह सब छोड़ दोगे तो में अपने दिल में तुम्हारा नाम का घर बनालूँगी। ''   

फिर वीरन्स उस सम्मोहित वाले चेहरे पर पूरा फ़िदा हो चूका होता हैं। एकदिन फ़ोन लगाकर सताब्दी को कैंटीन बुलाता हैं और यह कहता हे की:- '' सताब्दी मैंने पूरा सराब छोड़ दिया है। क्या अभी में तुम्हारी दिल के दरवाज़ा में आ सकता हूँ ?"

सताब्दी टेढ़ा मुहं कर बोलती हे:- ''क्या तुम हमेसा केलिए अपनी बुरी आदते छोड़ सकते हो'' ?

वीरन्स प्यार भरी आंख में बोलता हे:- '' हाँ, मेरी सोनपरी। ''

फिर दोनों एकदूसरे के साथ घूमने लगते हैं। एकदूसरे से मीठे मीठे बातें करने लगते हैं। दोनों अपने परिवार के बारे में भी कुछ कहती हुइ मीठी बातें बताने लगते हैं।

वीरन्स की शराब, तम्बाकू से जो बुरी लत थी, उसे भगाने और उसकी कमजोर वाले शरीर को दिखाने सताब्दी अपने करीब चाचा भुबन के पास लेकर वीरन्स को जाती हैं। 

भुबन चाचा एक नामी डाक्टर हैं। उन्होंने वीरन्स का चिकीस्था किये थे। वीरन्स का  हार्ट, लीवर, लंग्स , सब लगभग दस प्रतिशत ख़राब हो चुका था। इसलिए सताब्दी अपनी चाचा के पास वीरन्स को चेक अप के लिए भेजती थी।      

 एक दिन शाम के वक्त वीरन्स और सताब्दी रोड में घूम रहे होते हैं। अचानक एक चोर बाइक से आकर पीछे से धका देता हैं।  सताब्दी का गर्दन को चाकू से  बार करके चैन चुराके का चला जाता हैं। जिससे पास के एक रोड साइड पे वीरन्स गिर जाता हे। सताब्दी बहुत खून बहाने लगाती हैं। वीरन्स जल्दी एम्बुलेंस को कॉल करता हैं ओर सताब्दी को हॉस्पिटल ले जाता है। डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर ले जाते हैं। ऑपरेशन सुरु होता हैं।

इसके बाद ,

ऑपरेशन थिएटर में भुबन चाचा वीरन्स को बुलाकर कहते हे :-'' सताब्दी की श्वसन अंग से अपनी हार्ट को प्रॉपर ऑक्सीजन नहीं जा पा रही हे। तुरंत हार्ट ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा।"

वीरन्स रो रो कर बोलता हे:- 'हाँ जल्दी जल्दी कीजिये।"

भुबन चाचा बोलते हैं :- ''इसलिए उसके मैचिंग वाला हार्ट मिलना जरूरी हैं। तुम अभी घर जाओ सताब्दी के माता पिता आते हि होंगे। में तुम्हे जरूरत होने पर बुलाऊंगा। अभी कृपा करके यहाँ से चले जाओ। ''

सब सारी बातें जब दुःख भरी अबस्था में कहता है तो, तब अचानक वीरन्स की माँ कमरे के दरवाज़े के पास से सुनरहे होते है। तब माँ सीधा कमरे में आते हैं ओर कहने गुस्से में वीरन्स को कहेने लगते हे:-'' रे नालायक ये में क्या सुन रहा हूँ ?''

वीरन्स डरकर अपनी माँ के पैर के नीचे गिर जाता है और कहने लगता है:- ''मेरा कोई गलती नहीं हे माँ।''

माँ फिर एक लाफा वीरन्स को मरती है ओर बोलती हे:- ''उस लड़की की क्या गलती थी जो तेरी वजह अपनी जीवन के साथ अभी लड़ रही हे। पढाई करने की उम्र थी उसकी, तेरी वजह से आज एक लड़की अपने जिन्दंगी हराने जा रही है। पढाई करने की उम्र में यह सब करने से तूने हमारे न उस लड़की के भविष्य बारे में, न की उसकी घर वालो की सोचां। '' 

फिर रो रो कर पूरा मुँह पीला करके बोलता हे:- ''माँ में उससे मिलने रोज़ हॉस्पिटल जाता हूँ। उसने मुझे एकबार एक लेटर दिया था जिसमे उस्सने लिखा था:- उसकी हर स्वास में में ही आता हूँ। मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इसलिये मैं कॉलेज जाने के वजह उससे मिलने चला जाता था।

माँ फिर गंभीर होकर बोलती है:-'' अभी हॉस्पिटल चल।''

फिर वीरन्स, अपनी माँ के साथ हॉस्पिटल जाते है। वहां जाते ही सताब्दी की माता-पिता, वीरन्स की माँ ओर जाते हैं। सताब्दी के माता-पिता कहते हे:-''आप के बेटे के वजह से आज मेरी बेटी के ये हालत है। अभी किशोर बच्चे हो तुम, न तुम अपने बारे में सोचते हो नाकि घरवालों की। तुम्हारी तरह हीरोगिरी दिखानेवाली लड़का की झूठा प्यार की वजह से लड़कियां फंस जाती हैं। इससे लड़की की जीवन बर्बाद हो जाती हैं और उनकी घर वालों की। मेरी बच्ची का आज ट्रांसप्लांट नहीं होगा तो (रोने लगते हैं माता-पिता।)'' 

फिर वीरन्स अपनी माँ से कहता हैं:- '' माँ, यह जो मेरा शरीर का आधे हिस्सा न सताब्दी का हे। मेरा सरे बुरी आदत को जिसने जड़ से उखाड़ कर फेक दिया उसके लिए में कुछ नहीं कर सकता हूँ क्या ? उस्सने मुझे अच्छे से जीना सिखाया हैं। अगर में उससे सच्चा प्यार करता हूँ तो, मेरा हार्ट जरूर उसके साथ मैच करेगी। मैं उसे अपना हार्ट दे दूंगा। ''

इसके बाद वीरन्स का रिपोर्ट आता है की उसकी हार्ट सताब्दी की हार्ट से मैच होता है। डॉक्टर भुबन चाचा वीरन्स के पास आकर पूछते हैं :- '' वीरन्स सच्ची बताना क्या तुम सच में प्यार करते हो सताब्दी से?''

वीरन्स दुःख भरी आंख में बोलता है:- ''हाँ, बहुत बहुत बहुत ज्यादा .... .''

फिर भुबन चाचा कहते हैं:-'' तुम्हे क्या लगता है, सताब्दी भी तुम्हे इतना प्यार करती होगी ?''

वीरन्स जल्दी जल्दी बोलता हे:-'' हाँ बिलकुल, इसलिये में उससे अपना हार्ट देना चाहता हूँ।''

फिर चाचा बोलते हैं:-''अगर उसे पता चला की हार्ट तुमने दी हे, तो वह क्या खुसी में रह पायेगी।''

वीरन्स बोलने लगता है:-''चाचा आप उसे बोल देना, में उसके दिल में हमेशा हूँ। जब भी वह स्वास लेगी तो में उसके दिल में धड़कूंगा।''

फिर चाचा बोलते हैं:- ''ठीक है, कल ऑपरेशन केलिए तैयार रहना।''

अगले दिन हॉस्पिटल में,

वीरन्स और उसकी माँ, सताब्दी के माता-पिता स्तब्ध रह जाते हैं। ऑपरेशन थिएटर के सामने वाली कमरे में सताब्दी को शिफ्ट कराया जा चूका हे।

जब वीरन्स दौड़ कर रूम की ओर जाता हे, तब एक नर्स वीरन्स को एक लिफाफा देती हे और पढ़ने के लिए बोलती है। उसी में चाचा का एक लेटर,

दो तस्वीर मिलती हे (पहला सताब्दी, वीरन्स ओर चाचा भुबन का फिल्म हॉल में खींची हुई तस्वीर, दूसरी चाचा भुबन अपनी गर्लफ्रेंड मयूरी के साथ। 

लेटर में सताब्दी और वीरन्स के लिए चाचा ने लिखा था:- '' में और मयूरी एक दूसरे बहुत प्यार करते थे। मयूरी से ही कॉलेज की पहले ही मुलाकात में प्यार हो गया था। पढाई करने के बाद में, मैं एक छोटा सा प्राथमिक स्वस्थ केंद्र में काम कर रहा था। तब अचानक एक कॉल आता हे की मयूरी हॉस्पिटल में है।

में दौड़कर हॉस्पिटल जाता हूँ। तब डॉक्टर, मयूरी का हार्ट ट्रांसप्लांट करने कहते हैं। किसी का भी हार्ट मैच नहीं हो रहा था। अंत में मेरा भी रिपोर्ट आया की मेरा हार्ट भी मैच नहीं कर रहा हे। तब मेने बहुत हॉस्पिटल के स्टाफ, पेशेंट के लोग को अपने हार्ट का रिपोर्ट के लिए गुहार किया था। इतने में ही डॉक्टर आकर बोले अभी कुछ नहीं हो सकता हे। बहुत देर हो गई। मैं मेरे सामने अपने मयूरी को खो दिया। जिस तरह में अपनी मयूरी को खो दिया में नहीं चाहता हूँ की कोई भी अच्छा प्रेमी अपना प्यार को बैठें। इसलिए मैं अपना हार्ट अपनी भतीजी को दे दिया।

और एक बात वीरन्स की हार्ट भले ही सताब्दी के साथ न मिला हो, लेकिन दोनों का दिल एक दूसरे के लिए जरूर मिलता हे। दोनों हमेशा खुस रहना।

 तुम्हारा प्यारा चाचा,

भुबन

कॉलेज के एग्जाम वीरन्स अचे मार्क से पास करता हैं और अब वह भुबन चाचा के हॉस्पिटल को पूरा संभालने लगा है। वीरन्स और सताब्दी शादी करके अभी बहुत खुशी में हैं।


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