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Sajida Akram

Drama

4.4  

Sajida Akram

Drama

"चिटर पति "

"चिटर पति "

4 mins
420


शाहिदा मेरी बचपन की सहेली थी स्कूल में,और फिर कालेज की पढ़ाई और हमारी शादी भी आगे पीछे हुई थी। फिर हम दोनों का मिलने का मौका नहीं मिला एक साल बाद इतिफ़ाक़ से मेरा भी अपने घर जाना हुआ उन्हीं दिनों हाजरा कभी आई हुई, उससे मिलने में पहुँची सोचा कुछ उसकी, कुछ अपनी शादी-शुदा लाइफ की बातें साझा करेंगे, ।

मेरे पहुँचते ही हाजरा अपने कमरे में ले गई खींच कर मैंने कहा क्या। अंकल -आंटी से सलाम-दुआ नहीं करने दी

क्या बात है।

उसने जो बताया उसे सुनकर तो मैं सन्न रह गई....!

हाजरा ने बताया मेरे साथ मेरे पति ने शादी की दूसरे दिन ही सारे मेहमानों के सामने ख़ूब हंगामा किया कहा "मेरी शादी ऐसी बदसूरत लड़की से कर दी है, वो अम्माँ और भाईयों से झगड़ा कर रहा था ,मैं शर्म से गड़ी जा रही थी।

सारे रिश्तेदार बातें बनाने लगे कि वाहिद तलाक़ दे देगा,

मेरी तो बहुत इंसल्ट हुई । हाजरा फूट-फूट कर रोने लगी।

कुछ दिनों बाद वो अपने बडे़ भाई, भाभी के साथ जहाँ सर्विस थी वाहिद चले गए , मुझे अपनी सास के पास फिर बहुत दिनों तक नहीं आए। जब भी आते ख़ूब गुस्सा करते मेरा पूरा कांफिडेन्स ख़त्म कर दिया । मैंने पूछा तुने घर में बताया कि नहीं, अम्मी और अब्बू को बता कर परेशान नहीं करना चाहती हूँ। फिर सास के समझाने पर वाहिद मुझे अपने साथ ले आए जहाँ क्वाटर में बड़ेभाई-भाभी के साथ रहते थे, धीरे-धीरे मैनें जो देखा-समझा उसका सार ये था......!

मुझे समझ आया के भाभी और देवर के बीच कुछ

और ही खिचड़ी पक रही है

भाभी -देवर के रिश्ते को शर्सासार किया जा रहा है।

दोनों के बीच ग़लत ताल्लुक़ात थे

मुझसे बैख़ोफ हो गए।

मेरी ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी समझ कर,उनके होसला बढ़ने लगा।

उसकी भाभी मेरे उपर ज़ुल्म करने लगी ,मेरा पति वो दोनों मुझे ख़ुब सताते और मेरे आंसुओं को देख कर मज़े लेते

तू ही बता इस ही बीच मेरे को एक बेटी भी हो गई,पति का हक़ निभाने के लिए कभी-कभी उसकी भाभी की इजाज़त लेकर मेरा पास भी आ जाता था।

अब शाहिदा ज़ारो-क़तार रो रही थी

तू ही बता मेरे मैं क्या कमी है,क्या करूं ?

मैने उसे कहा थोड़ा सोचने दे के इसे सबसे कैसे निपटना है इस स्तिथि से …

मुझे समझ आ गया था ,उन दोनों देवर भाभी ने किस बात का फायदा उठा रहे है।

शाहिदा तेरा बात-बात पर आंसुओं को बहाते रहने और दब्बू पन को उन दोनों ने तेरी कमज़ोरी समझ कर ।

मैनें उसको कहा पहली तब्दील तो ये कर ये ज़रा-ज़रा सी बात पर रोना नहीं अब तुझें उन दोनों को रुलाना है।

ख़ुब भाभी से अच्छी बातें कर, पति के सामने भाभी की

ख़ूब तारीफ़ करों ,उसे ये बताओ,आप ऑफिस चलें जातें हैं,तोभाभी मुझसे कहती हैं कहीं घुमने चलते हैं काफ़ी -वाफ़ी पीतें हैं, पर मैंने कहा आपसे इजाज़त ले लेते हैं।

बस अभी इतना ही करना। जितना हो सके भोली

बनकर कहना हां आपने कहा था भाभी आप भुल गई, अरेआपकी यादाश्त क्या हो गया भाभी ….

बस इतना कहकर हट जाना। बस शाहिदा जब भी मौका मिलेअपने पति से उसकी भाभी की तारीफ़ करना खलने लगेगा,वो सर्तक हो जाएगा

कुछ दिनों बाद शाहिदा के शहर में मेरे पति का ट्रांसफर हो गया मैंने धीरे से उसके भाई के ज़रिए कहलवाया की हम यहां बगैंलोर में शिफ्ट हो गए हैं।

शाहिदा अपने भाई के साथ मायके जा रही थीं शाहिदा ने घर ले जाने का कहा तो

दोनों बहन-भाई मेरे घर आए“

शाहिदा ने बताया अपनी भाभी पर मेरा पति अब नज़र रखने लगा हैऔर मुझसे कह रहा है कि मैं जल्दी अपने नाम क्वाटटर एलॉट करवाना चाहता हूँ।

मने

मैंने कहा अरे भाभी, ई साहब के साथ कितने प्यार से रह रहें हैं, हम लोग क्यों अलग

रहने ? मगर मेरा पति थोड़ा चिढ़ कर बोले “बड़ी भाभी” की बहुत हिमायत हो रही है, चुपचाप सामान पैक करो।

फिर क्या। था भाभी ने घर में कोहराम मचा दिया ,अपने पति से जिद की अपने भाई को रोको और खाना-पीना छोड़ दिया। अकेले में देवर के साथ

मेरा क्या होगा ,शाहिदा के पति वाहिद को ये समझ आ गई थी। मेरी भाभी शाहिदा को भी बिगाड़ देगी…।


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