पत्नी हू कठपूतली नही?
पत्नी हू कठपूतली नही?
"सुधा मेरे मोजा मिल नही रहा?"
"आई... ये देखिए मोजा सामने ही रखा है।"
थोड़ी देर बाद रमन फिर आवाज लगाता है, "सुधा मेरा व्हाइट वाली शर्ट नही मिल रहा है।"
"आ रही हू... ये तो मैने बेड पर पहले ही निकालकर रख दी है।"
"ओह, मै तो अलमारी मे ढूॅंढ रहा हूॅं। अच्छा तुम जल्दी जल्दी नास्ता निकाल दो मुझे देर हो रही है।"
"सुनिऐ रमन..."
"हाँ बोलो..."
"आज अपनी सहेली रमा से मिलने चली जाऊ, बहुत दिनों से बुला रही है।"
"अरे सुधा तुम उसे अपने ही घर क्यू नही बुला लेती।"
"हर बार तो वो आती है मुझसे मिलने।"
"ये तो बढिया है इस बार भी बुला लो। अच्छा, मुझे लेट हो रहा है... मै चलता हूॅं। इस बारे मे कभी और बात करेगे...।"
मन मसोस कर रह गई सुधा, ये पहली बार नही हुआ था कि रमन ने उसे रोका नही था। हर बार रमन यही करता था। जब भी सुधा कही आने जाने की बात करती तो सीधे मना भी नही करते थे और जाने भी नही देते थे। जब से ब्याह कर के आई घर मे सुधा जिंदगी कठपूतली बन कर रह गई है, शादी के पहले सुधा जॉब करती थी, उसका मन था कि आगे भी जॉब करे... पर रमन के कहने पर उसने अपनी जॉब भी छोड़ दी और घर की साज सज्जा, रमन के लिए तरह तरह का पकवान बनाती खिलाती। शुरू मे रमन की टोका टाकी प्यार लगा था सुधा को, पर धीरे धीरे वही प्यार बंदिश बनने लगा...
आज सुधा ने ठान लिया कि वह वही करेगी जो उसका दिल चाहता है। वह अपने आप को शीशे मे देखा और खुद को सवारने लगी। वह तैयार होकर रमा के घर गई।
सुधा को देखकर रमा बहुत खुश हुई और कहा, "मुझे लगा तू नही आयेगी क्योकि, रमन जी तुझे आने नही देंगे... पर एक बात बता तुझे कैसे आने दिया?"
सुधा ने मुस्कराया और कहा, "बस तू सवाल जवाब ही करेगी या कुछ खिलायेगी भी।"
"अरे चल तू किचन मे... देख मैने तेरे लिए तुम्हारी पसंद का मलाई कोफ्ता बनाई है।"
"अपने हाथो का खा खा कर ऊब गई हूॅं। आज तेरे हाथो का खाके मजा आ जायेगा।" दोनों दोस्तों ने एक साथ कुछ समय बिताया।
आज कुछ अलग ही सुकून मिल रहा था सुधा को।
घर पहुंची तो रमन पहले से घर आया हुआ था, "अरे आप आज जल्दी आ गए?"
"जल्दी आया तभी तो आज पता चला कि मेरे ना कहने पर तुम बाहर गुलछर्रे उड़ाती हो।"
"कैसी बात कर रहे है, मैने आपको बताया नही था कि मै रमा के घर जा रही हूॅं।"
"तुमने बताया नही, पूछा था..."
"तो आपने भी मना नही किया था।"
"पर एक बात सुनलो यहा रहना है तो मेरे हिसाब से..."
"आपके हिसाब से या कठपूतली बनकर। और एक बात आप सुन लीजिऐ पत्नी हूॅं मै कठपूतली नही कि आप मुझे जैसे चाहे नचाते रहे मेरी भी जिंदगी और कुछ सपने है। मै आपकी इज्जत करती हूॅं तो आपने तो मुझे कमजोर समझ लिया पर अब नही।"
उसके बाद सुधा कमरे मे चला गई, रमन चुप था...