परिणाम का दिन
परिणाम का दिन
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आज सुर्रया और उसके भाई सूरज का बारहवीं का परिणाम आने वाला था| सुर्रया सुबह से बहुत उत्साहित थी "सुर्रया", माँ की पुकार आती है और वो एक दम घबरा जाती है भागकर माँ की पुकार कि दिशा में जाती है।
"हा माँ बोलिये आपने बुलाया?"
पूरे दिन कहाँ रहती है थोड़ा काम करले जा खेत से सब्जी ले आ।"
"माँ भाई को भेज दो ना" ,
"देख तो वो कितना तनाव में है आज उसका परिणाम आने वाला है "
यह सुनकर सुर्रया को अच्छा नहीं लगा लेकिन वो इन सब बातों को टालते हुए खेत की और जाते हुए मन में अपने अफसर बनने के सपने में खो जाती है।
सब्जी लेकर घर पहुचने पर देखती है तो सब लोग काफी खुश दिखते है उसे लगा कि उसका परिणाम आ गया है उस ने अन्दर जाकर खुशी का कारण पूछा तो उसे बताया गया सुरज के ८०प्रतशत बने है वो सूरज के अंक से खुश थी, फिर उसने उसके अंक पूछे तो पता चला उसका परिणाम किसी ने देखा नहीं था ,वो अन्दर गई और परिणाम देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वो भागकर अपने परिणाम सबको बताने गई तो किसी ने उसके परिणाम पर किसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और तो और उसे अलग से सुना भी दिया और बोला तेरी पढाई तो आसान है सूरज ने तो विज्ञान मे इतने अच्छे अंक प्राप्त किये हैं।
सब उसके आगे की पढ़ाई के बारे में सोचने लगे तो सुर्रया ने भी अपनी आगे की पढ़ाई के बारे में उनसे पूछा तो परिवार वालों ने कहा बहुत हो गई पढ़ाई शादी करा दो अब।ये सुनकर तो सुर्रया के पैरों तले जमीन खिसक गई,और वो शुन्य अवस्था में कमरे में चलीं गई|