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Arunima Thakur

Horror

4  

Arunima Thakur

Horror

प्रकृति का श्राप

प्रकृति का श्राप

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गर्मियों के दिन थे रियान और अमन गाड़ी भगाते हुए चले जा रहे थे । चारों तरफ फैली उजाड़ बंजर धरती मानो मनुष्यों की नजर यहाँ पर कभी पड़ी ही ना हो । अचानक से कार झटके से रुक गई। 

अमन बोला, "यह क्या हो गया ? कार तो पूरी चेक करके निकले थे । पेट्रोल भी फुल है"।

रियान ने बाहर निकलकर कार का बोनट खोलकर देखा तो चिल्लाया, "तेरे बाबा के जमाने की खटारा कार में लगता है पानी खत्म हो गया है । पूरा इंजन गरम हो गया है ।

अमन बोला, "कोई नहीं, दस मिनट खुला रहने दे । पानी तो अपने पास है ना पीने का, वह डाल देंगे"। ठीक है बोलकर अमन और रियान गाड़ी ठंडा होने का इंतजार करने लगे । आसपास जहां तक नजर जाती वहां तक बंजर उजाड़ धरती नज़र आती l कुछ दूरी पर एक कुएं जैसा दिख रहा था ।


अमन खुश होते हुए बोला,"वाह रे मेरी कार, खराब हुई भी तो कुयें के पास। रियान वह देख कुआँ चल वहाँ से पानी लेकर आते हैं।


रियान माथा ठोकते हुए बोला, "हुंह कुएं से पानी लेकर आते हैं और रस्सी बाल्टी लेकर वहाँ तेरी सासु बैठी होगी ?


अमन बोला, "चल ना। जब से कार ठंडी हो रही है, घूम कर आते हैं। कुएँ की मुंडेर पर कुछ दिख तो रहा हैं" ।


 वहाँ पहुँच कर अमन बोला, "भाई देख रस्सी बाल्टी भी है । चल पानी भर कर कार में डाल देते हैं । पीने का पानी क्यों खराब करना । बाद में हमारे पीने के काम आएगा । 


रियान बोला, "पता नहीं क्यों पर मुझे कुछ सही नहीं लग रहा है । चल वापस चलते हैं"।


पर अमन ने रस्सी उठाकर बाल्टी कुएं में डाल दी । कुंआँ शायद गहरा था या सूखा, बहुत देर तक बाल्टी की ना तो तल ना ही पानी से टकराने की आवाज आई । तो डर कर रियान के कहने पर अमन ने रस्सी को वापस खींचना शुरू कर दिया । अमन बार बार रियान को कुएँ में झांकने को कहता और रियान कहता चल यहाँ से मुझे कुछ सहीं नहीं लग रहाँ। इतना कह कर रियान वहाँ से वापस चल दिया। तभी अमन को लगा कुएँ में कोई रो रहाँ हैं । घबराकर रस्सी छोड़कर उसने भागना चाहा तो लगा उसके हाथ रस्सी से चिपक गये हैं मानों कोई उसे कुएँ में खींच रहा हैं। अमन की चीख सुनकर रियान ने पलट कर देखा तो अमन का हाथ किसी गुड़िया, नहीं नहीं किसी बुढ़ियाँ, नहीं नहीं पता नहीं किसने पकड़ रखा था । यह कहां से आ गई । अभी तक तो यहां कोई नहीं था । अमन चिल्लाया, "रियान भाग जा यहां से, यह कुएँ से निकली है"।


पर रियान ने वापस आकर उससे पूछा, "तुम कौन हो ? और मेरे दोस्त को क्यों पकड़ रखा है"? 

वह बोली, "बहादुर मालूम होते हो"।


रियान बोला, "बहादुर का तो पता नहीं, पर मैं अपने दोस्त को मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ सकता"।


वह बोली, "भाग जाओ, अपनी जान बचाओ । तुम्हारे दोस्त को तो अब मैं कभी नहीं छोडूंगी" । 


रियान बोला,"मेरे दोस्त को छोड़ने की कोई तो कीमत होगी ? आखिर आप हो कौन ? और मेरे दोस्त से तुम्हारी क्या दुश्मनी है ? हमने तो तुम्हें कुछ परेशान भी नहीं किया"।


वह बोली, "मैं इस कुए की आत्मा हूँ। जो भी कोई इस कुएँ में से पानी निकालने की कोशिश करता है मैं उसे पकड़ लेती हूँ। अगर वह मेरा काम करता है तो ठीक है नहीं तो मारा जाता है" ।


"पर आपका काम क्या है? आप यहां सुनसान बियाबान में क्यो फंस गई हो"? , दोनो ने एक साथ पूछा ।


रुको पहले मैं तुम्हें अपनी कहानी सुनाती हूँ। हजारों साल पहले की बात है तब यहां एक घना वन था। यहां पास में ही दो बड़ी रियासते थी। दोनों के अच्छे संबंध थे । दोनों ही रियासतों के राजकुमार व शहजादे की आपस में खूब बनती थी । वह दोनों हमेशा साथ साथ ही रहते । साथ ही शिकार पर जाते I उस दिन शिकार खेलते समय वे दोनों यहां इस वन में आ गए । यहां उन्हें इसी कुएँ की मुंडेर पर बैठी हुई एक असाधारण सुंदर कन्या दिखी। वह दोनों ही उस पर मोहित हो गए । उस कन्या से उसकी मर्जी ना पूछ कर वह दोनों ही उस कन्या पर अपना अपना हक जमाने लगे । बात बढ़ते बढ़ते इतनी बढ़ी कि दोनों ने लड़ते-लड़ते एक दूसरे के प्राण ले लिए। राजकुमार और शहजादे के शव देख कर दोनों राज्यों ने बदला लेने के लिए एक दूसरे के ऊपर चढ़ाई कर दी । घमासान युद्ध हुआ। दोनों राज्यों में कोई नहीं बचा। दोनों राज्य के कुएं, तालाब का पानी तक खून से लाल हो गया था। खून, लाशों, घायलों की चीखों और गरीबों की हाय से यह हरा भरा वन भी सूख गया । जो महिलाएं बच्चे, बूढ़े बचे थे वह अन्न और पानी की कमी से तड़प तड़प कर जान दे दिए । जो जा सकते थे वह जगह छोड़ कर चले गए । यह सब दशा देखकर प्रकृति मां ने मुझे श्राप दिया, "तुम ही इस विनाश की जिम्मेदार हों। तुम चाहती तो इस विनाश को रोक सकती थी। तूने अगर उन दोनों को रोकने की कोशिश की होती या इसी कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी होती तो यह विनाश नहीं होता । मैं तुझे श्राप देती हूँ कि तू आज से इसी कुएं में रहेगी ।


 वह कन्या मैं ही हूँ। जब मैंने प्रकृति से विनती की तो उन्होंने कहा जब कभी यहां वापस दो अलग-अलग धर्मों से दो दोस्त आकर अपने हाथों से अपने अपने धर्मों का मंत्र जाप करते हुए नौ- नौ पेड़ लगाएंगे। उस दिन तुम मुक्त हो जाओगी । आज तक कभी ऐसा कोई आया ही नहीं और जो आए वो दूसरे को मुसीबत में देख कर भाग खड़े हुए। अब तुम अगर अपने दोस्त की मदद करना चाहते हो तो जाओ जाकर नीम, पाकड़, बरगद, पीपल, और फलों के वृक्ष लेकर आओ। दोनों मिलकर लगाओ । तो तुम्हारा यह दोस्त भी मुक्त हो जाएगा और मैं भी।


अमन ने कहा,"कि हम आपकी बात मानने को तैयार हैं। पर हमारी गाड़ी खराब हो गई है" ।


तो गुड़िया बुढ़िया ने बोला, "तुम्हारी गाड़ी बिल्कुल ठीक है। मैं जादू से यहां से गुजरने वाले वाहनों को खराब कर देती हूँ। अब देर मत करो जल्दी जाओ"। 


रियान बोला, "पर मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती। आप मुझे पकड़ लीजिए और अमन को जाने दीजिए" ।


अमन बोला, "नहीं बिल्कुल नहीं मेरी चिंता मत कर। धीरे धीरे गाड़ी चला कर तू चला जा" ।


गुड़िया बुढ़िया अमन का हाथ छोड़ते हुए बोली, "जाओ तुम दोनों को ही छोड़ती हूँ। अगर मेरे ऊपर दया आ जाए तो लौट कर जरूर आना पेड़ों को साथ लेकर । पर ध्यान रहें ये पौधे लगाना इतना आसान नहीं हैं । गढ़ढ़े खोदते और पौधे लगाते वक्त अगर तुम ने मंत्र व आयतो का जाप रोका तो उसी क्षण यहाँ की जमीन में पड़ी अतृप्त आत्माएँ तुम्हें जमीन के अन्दर खींच लेंगी"।


अमन और रियान भागकर कार में बैठे। कार एक बार में स्टार्ट हो गई । थोड़ी दूर जाने पर अमन बोला, "क्या बोलता है ? वापस चलना है या नहीं"। रियान भी कुछ देर सोचता रहा फिर दोनों एक साथ बोले, "चलना चाहिए। किसी का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए । और करना भी क्या है सिर्फ कुछ पेड़ ही तो लगाने हैं" ।


दोनों थोड़ा आगे शहर जाकर अट्ठारह बीस पौधे, फावड़ा कुदाल सब खरीद कर वापस आए । उन्होंने मंत्रों और आयतों का पाठ करते हुए गड्ढे खोदे । उन्होंने मुँह से उच्चारण करने के साथ ही अपने अपने मोबाइल में भी मंत्र व आयतों का जप लगा दिया था । पौधे लगाने के साथ ही साथ कुएं से पानी निकाल कर उन पौधों में डालते भी गए । सारे पौधे लग जाने पर उन्होंने कुए की गुड़िया बुढ़िया को प्रणाम किया। गुड़िया बुढ़िया बाहर आई और उन्हें आशीर्वाद देती हुई बोली, "अब सवा महीने तक मैं इनकी देखभाल करूंगी। जिस दिन यह सारे पौधे लहलहा उठेंगे, उसी दिन मैं भी प्रकृति माँ के शाप से मुक्त हो जाऊंगी"। गुड़िया बुढ़िया से और पेड़ लगाने का वादा करके अमन और रियान खुशी-खुशी घर वापस आ गए।



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