STORYMIRROR

समय की पदचाप

समय की पदचाप

1 min
443


जो रुचे मन को, वही गन्तव्य चुनिये

किन्तु पहले समय की पदचाप सुनिये।

 

कौन वह जिसने नहीं हो स्वप्न पाले,

स्वप्न ही थे युग जिन्होंने बदल डाले।

जो भले संसार को हो, वे सुहाने स्वप्न बुनिये

किन्तु पहले समय की पदचाप सुनिये।

 

दृष्टि हो जिस कोण पर वह पथ दिखेगा,

सोच से मिलकर, फलित श्रम ही लिखेगा।

दृष्टि का श्रम सोच का, परिपाक वाला गणित गुनिये

किन्तु पहले समय की पदचाप सुनिये।

 

स्वार्थ छोड़ परार्थ हित जीना उचित है,

जतन है शुभ लोकहित जिसमें निहित है।

कीजिए कुछ श्रेष्ठ लेकर जन्म, या फिर शीश धुनिये

किन्तु पहले समय की पदचाप सुनिये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational